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चैंपियंस ट्रॉफी 2017: जब दुनिया का सुपरपावर रहा क्रिकेट में फिसड्डी

साल 2004 में अमेरिका की टीम उतरी थी चैंपियंस ट्रॉफी में

FP Staff

क्रिकेट की दुनिया में आपने कई अजूबे, रिकॉर्ड व किस्से देखे होंगे लेकिन इस खेल के दिलचस्प पहलू कभी खत्म नहीं होते। 1 जून से इंग्लैंड में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज होने जा रहा है. आइपीएल के खुमार से निकलकर आप वनडे क्रिकेट के जोश में रंग जाएंगे. वैसे, पहले मिनी विश्व कप बोले जाने वाले इस टूर्नामेंट में कई दिलचस्प किस्से हुए हैं. हम आपको उन्हीं में से एक किस्से से रूबरू कराते हैं.

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (यूएसए) 2004 में पहली बार किसी आईसीसी के टूर्नामेंट में एंट्री हासिल कर सका था. उस साल खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में जब अमेरिका ने कदम रखा तो सबको लगा कि आने वाले समय में अमेरिका धीरे-धीरे क्रिकेट में भी खुद को स्थापित करने का प्रयास करेगा..लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं दिखा. उस चैंपियंस ट्रॉफी में अमेरिका का बुरा हाल होगा इसका सबको अंदाजा था और हुआ भी कुछ ऐसा ही.


अमेरिका ने उस चैंपियंस ट्रॉफी में दो मैच खेले थे और दोनों में उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था.

पहला मैच बनाम न्यूजीलैंड

उनका पहला मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ हुआ. मैच में अमेरिका ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया. पहले बल्लेबाजी करने उतरी न्यूजीलैंड की टीम ने उम्मीद मुताबिक शानदार बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 347 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया. न्यूजीलैंड की तरफ से पूर्व दिग्गज नाथन एस्टेल ने नाबाद 145 रनों की पारी खेली जबकि दो बल्लेबाजों ने भी अर्धशतक जड़े. जवाब में अमेरिकी टीम किसी तरह 42.4 ओवर तक टिकी और 137 रन पर सिमट गई. कीवी गेंदबाज जेकब ओरम ने 5 विकेट लिए और न्यूजीलैंड ने ये मैच 210 रन से जीता.

दूसरा मैच बनाम ऑस्ट्रेलिया

इसके बाद अमेरिका का दूसरा मुकाबला दिग्गज टीम ऑस्ट्रेलिया से हुआ. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया. फिर जो सोचा था वही हुआ. कास्प्रोविच (4 विकेट), गिलेस्पी (4 विकेट), ब्रेट ली (1 विकेट) और ग्लेन मैकग्रा जैसे धुरंधर गेंदबाजों के आगे अमेरिकी टीम पूरी तरह से पस्त हो गई. वे 24 ओवर में 65 रन पर ही सिमट गए. टीम का सिर्फ एक ही खिलाड़ी (स्टीव मासिया 23 रन) ही दहाई का आंकड़ा पार करने में सफल रहा. जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने ये मामूली सा लक्ष्य सिर्फ एक विकेट के नुकसान पर कुल 7.5 ओवर में हासिल कर लिया. ऑस्ट्रेलिया ने 253 गेंदें बाकी रहते इस मैच को 9 विकेट से जीता.