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चैंपियंस ट्रॉफी, फाइनल : न... न करते इत्तेफाकन भारत-पाक मैच की ‘मेजबान’ बनी सरकार

पहले पाकिस्तान का विरोध, अब उसी के खिलाफ मैच के लिए खास इंतजाम!

Jasvinder Sidhu

भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए या नहीं, देश में इस मसले पर काफी समय से बहस चल रही है. खुद भारत सरकार का मत है कि आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते. लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के फाइनल में पहुंचने के साथ ही सरकार अब इत्तेफाकन दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच की ‘मेजबान’ बन गई है.

असल में हुआ यूं कि पहले ही मैच में टीम इंडिया के सेमीफाइनल में पहुंचने की मजबूत संभावनाओं को देखते हुए खेल मंत्रालय ने उसके बाकी बचे मैचों का फ्री में सीधा प्रसारण दिखाने के लिए नेशनल स्टेडियम में विशाल एलईडी स्क्रीन लगाने का फैसला किया.


स्क्रीन का अनावरण 14 जून को हुआ लेकिन इस बारे में विज्ञापन दो दिन पहले ही जारी कर दिए गए थे. विज्ञापन छपने के बाद पाकिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचा.

खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ‘स्क्रीन लगाने के फैसले के समय पाकिस्तान की हालत खराब थी. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि यह टीम सेमीफाइनल या फाइनल में खेलेगी. हम खुद समझ नहीं पा रहे थे कि अगर भारत बांग्लादेश के हार जाता है तो क्या हमें पाकिस्तान के मैच के लिए स्क्रीन को लगाए रखना चाहिए या नहीं. शुक्र है कि ऐसी स्थिति नहीं आई. लेकिन ये सब इत्तेफाकन हुआ है. उम्मीद है कि दिल्ली वाले फाइनल का मजा लेने स्टेडियम में आएंगे.’

भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल 18 जून को खेला जाना है. यह भी रोचक है कि इस महीने की शुरुआत में खेल मंत्री विजय गोयल ने कई बार दोहराया है कि पाकिस्तान के साथ खेल नहीं हो सकते क्योंकि वह भारत में आतंकवाद की मदद कर रहा है. साथ ही कि प्रो कबड्डी लीग में पाकिस्तानी खिलाड़ियों की हिस्सेदारी के बारे में भारत सरकार को ही तय करनी है.

लेकिन अब उनका ही मंत्रालय भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच के लिए अपनी जेब से खर्च कर रहा है. एलईडी स्क्रीन का उद्घाटन करते समय गोयल ने कहा कि यह उनके मंत्रालय का नया प्रयोग है क्योंकि अगर युवा स्क्रीन पर भारत का मैच देखने आएंगे तो उनके माता-पिता भी साथ होंगे. इसका दोहरा फायदा होगा क्योंकि इससे न केवल खेलों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्टेडियम का प्रयोग भी हो सकेगा.

बांग्लादेश और भारत के बीच सेमीफाइनल देखने आए करोल बाग के तरुण बजाज कहते हैं कि सरकार लगातार पाकिस्तान का विरोध कर रही है और अब वही पाकिस्तान के साथ होने वाले मैच का इंतजाम कर रही है. यह काफी हैरान कर देने वाला है. खेल मंत्री कर रहे हैं कि इससे स्टेडियम का सही प्रयोग होगा लेकिन अगर भारत फाइनल में हार जाता है तो गुस्साई भीड़ स्टेडियम को नुकसान भी पहुंचा सकती है.

यहां बताना जरूरी है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के बीच 2014 में आपस में घर और बाहर सीरीज खेलने के लिए करार हुआ था. लेकिन भारतीय बोर्ड के कई बार गुजारिश के बाद भी सरकार ने पाकिस्तान के साथ खेलने की अनुमति नहीं दी.

इसी साल मार्च में गृह राज्य मंत्री  हंस राज अहीर ने साफ किया था कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की कोई संभावना नहीं है. पाकिस्तान बोर्ड के साथ हुए करार के मुताबिक भारत को इस साल नवंबर में खेलना है लेकिन सरकार की और से इसकी मंजूरी की संभावना काफी कम है.

इस मुद्दे पर पाकिस्तान बोर्ड, भारतीय बोर्ड के खिलाफ वादाखिलाफी का मुकदमा भी करने की तैयारी कर रहा है. चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच से पहले भी बर्मिंघम में दोनों ओर के अधिकारियों के बीच बातचीत हुई थी लेकिन इसमें कोई हल नहीं निकला क्योंकि भारत सरकार का रुख साफ था.

इस बैठक के बारे में खुद गोयल ने कहा था, ‘पाकिस्तान को कोई भी प्रस्ताव देने से पहले भारतीय बोर्ड को सरकार से बात करनी चाहिए. मैंने साफ कहा कि सीमा पार से आंतकवाद जारी रहने तक पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं हो सकता.’