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क्या कोच कुंबले से वाकई 'आजादी' चाहते हैं कप्तान कोहली?

क्या विराट और कुंबले के बीच मतभेद की खबरें ‘ब्रेक-अप’ के करीब पहुंच गई हैं

Shailesh Chaturvedi

वो दौर था, जिसने भारतीय क्रिकेट को बदलने का काम किया था. कप्तान सौरव गांगुली और कोच जॉन राइट. भारतीय टीम मैच फिक्सिंग के दौर से निकली थी और लगातार कामयाबी पा रही थी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की ऐतिहासिक सीरीज जीती थी. इस दौरान कुछ लोग जॉन राइट के करीबी थे, जिनके साथ वो रात में ड्रिंक शेयर करते थे.

बताया जाता है कि आदर्श समझी जाने वाली गांगुली-राइट जोड़ी के जॉन राइट अपनी विवशता दिखाते थे. वो कुछ ड्रिंक के बाद बताते थे कि उनके पास कोई अधिकार नहीं हैं. जाहिर है, ये बातें गॉसिप गली की होती है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकती. लेकिन इस गॉसिप से समझ आता है कि भारतीय क्रिकेट की कप्तान-कोच की जोड़ी का बॉस कौन होता है.


गांगुली से शुरू हुआ था कप्तान के बॉस बनने का दौर

दरअसल, सौरव गांगुली ने उस दौर की शुरुआत की थी, क्योंकि उससे पहले बॉस कोच ही हुआ करते थे. यकीन नहीं, तो अजहरुद्दीन का कार्यकाल चेक कर सकते हैं. तब रणनीतिक फैसले करने की जिम्मेदारी ज्यादातर अजित वाडेकर की होती थी. यहां तक कि कप्तान सचिन तेंदुलकर कोच कपिल देव की बातें नहीं टाल पाते थे. वो कुख्यात अहमदाबाद टेस्ट, जिसके फिक्स होने की अफवाहें रहीं. जिसमें भारत ने फॉलोऑन नहीं दिया. कहा यही जाता है कि वो फैसला कपिल देव का था.

लेकिन गांगुली ने ये सब बदल दिया. वो जगमोहन डालमिया के करीबी थे. डालमिया उनके फैसलों पर साथ देते थे. इस जोड़ी ने कोच-कप्तान की जोड़ी का मिज़ाज बदल दिया. अब विराट कोहली और अनिल कुंबले के बीच मतभेदों की बातें उस दौर के बदलाव से जुड़ती हैं. जाहिर है, कुंबले किसी भी हालत में जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और डंकन फ्लेचर जैसे नहीं हो सकते, जो बैकग्राउंड में रहकर काम करें.

क्या किसी ने कुंबले या कोहली से बात करने की कोशिश की है

सवाल यही है कि क्या अनिल कुंबले और विराट कोहली के बीच तनातनी की खबरें इसी वजह से आ रही हैं, क्योंकि दोनों ‘स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी’ के मालिक हैं? पहले एक बात साफ कर देनी चाहिए कि अभी तक इस मुद्दे से जुड़े दो लोगों में से किसी से यह सवाल नहीं पूछा गया है कि क्या वाकई ऐसा कोई मनमुटाव है?

हर कोई जानता है कि इसका जवाब होगा कि नहीं. लेकिन किसी खबर के लिए संबंधित पक्षों से सवाल किया जाना तो बनता ही है. वो भी तब, जब आईपीएल के दौरान लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन विराट कोहली प्रेस कांफ्रेंस का हिस्सा होते थे. इंग्लैंड जाने से पहले वो मीडिया से रू-ब-रू हुए. इंग्लैंड पहुंचने के बाद मीडिया से बात की. कोई विराट कोहली के वॉट्सएप मेसेज की बात कर रहा है, कोई कुंबले के ग्रुप की, जिसमें खबरें लीक होती हैं. लेकिन अभी तक बीसीसीआई की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, क्योंकि इस मुद्दे को सुलझाना नहीं, इसे उलझाना ही कुछ लोगों के लिए ज्यादा अहम है.

जिस तरह की बातों को लेकर खबरें आ रही हैं, उनमें से कोई ऐसी नहीं है, जो कोच और कप्तान के बीच नहीं हो सकती. टीम में किसी एक खिलाड़ी को खिलाने या न खिलाने को लेकर जाहिर तौर पर कप्तान और कोच की राय अलग हो सकती है. वही इस मामले में ‘सूत्रों के हवाले’ से बताया जा रहा है.

बड़ा मुद्दा ये है कि जब अनिल कुंबले कोच बने थे, तब भी सबको पता था कि कुंबले को बैकग्राउंड में नहीं रखा जा सकता. वो रवि शास्त्री की तरह हल्के-फुल्के, मौजमस्ती के अंदाज में काम करने वाले नहीं हैं. उन्हें अनुशासन पसंद है. तो क्या भारतीय क्रिकेट टीम को अनुशासन पसंद नहीं है?

दरअसल, टीम को वो तरीका पसंद नहीं है, जो कुंबले अपना रहे हैं. इसका फायदा वो ‘सूत्र’ उठा रहे हैं, जिन्हें कुंबले पसंद नहीं हैं. ऐसे मामले को, जिन्हें सुलझाया जा सकता है, उसको भड़काने का काम हो रहा है.

कोच-कप्तान में हमेशा किसी एक को बैकग्राउंड में रहना होगा

भारतीय क्रिकेट में कोच-कप्तान की जोड़ियां देखिए. अजित वाडेकर और अजहरुद्दीन थे, जहां वाडेकर बॉस की तरह थे. कपिल देव और सचिन तेंदुलकर में सचिन ज्यादातर समय कपिल की बात सुनते थे. उसके बाद बदलाव आया गांगुली और राइट आए. राइट ज्यादातर समय बैकग्राउंड में ही दिखते थे. फिर ग्रेग चैपल आए. कप्तान राहुल द्रविड़ को उनसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई, क्योंकि उन्हें चैपल को लाइम-लाइट दिया जाने से ज्यादा तकलीफ नहीं थी. लेकिन बाकी टीम को चैपल और चैपल को तमाम सीनियर नहीं भाए.

उसके बाद गैरी कर्स्टन आए. यहां भी बॉस धोनी थे. कर्स्टन को पता था कि उनकी सीमाएं कहां तक हैं. इसलिए इस जोड़ी को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई. न ही उसके बाद डंकन फ्लेचर को. यहां भी श्रीनिवासन के पसंदीदा रहे धोनी के लिए किसी भी किस्म की दिक्कत नहीं थी.

विराट कोहली और अनिल कुंबले की दिक्कत ये है कि दोनों की शख्सियत ऐसी नहीं, जो बैकग्राउंड में रहने को राजी हो. कुंबले उस तरह का अनुशासन चाहते हैं, जिसकी उम्मीद भारतीय क्रिकेट के सीनियर्स ने नहीं की होगी. विराट थोड़ी आजादी चाहते हैं. लेकिन समस्या वो लोग हैं, जो इन दोनों के बीच समझबूझ नहीं चाहते. जिनकी तरफ से रोजाना खबरें ‘लीक’ की जा रही हैं.