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जानिए ब्रांड धोनी के बारे में, जिसने किया दुनिया पर राज

फोर्ब्स द्वारा 2014 में जारी सबसे मूल्यवान खिलाड़ियों की सूची में वह पांचवें स्थान पर थे

Manoj Chaturvedi

महेंद्र सिंह धोनी भारतीय खेलों के सबसे बड़े ब्रांड रहे हैं. किसी भी खिलाड़ी को मिलने वाली सफलताओं से उसकी ब्रांड वैल्यू बनती है. धोनी भारतीय क्रिकेट इतिहास के सफलतम कप्तान रहे हैं, इसलिए वह क्रिकेट के भगवान कहलाने वाले सचिन तेंदुलकर को भी इस मामले में पीछे छोड़ने में सफल हो गए.

खड़गपुर में 2001 में टिकट कलेक्टर के रूप में जीवन यात्रा शुरू करने वाले धोनी विश्व क्रिकेट के शिखर तक पहुंचेंगे, इसकी शायद उन्होंने भी कल्पना नहीं की होगी. दिसम्बर 2004 में वनडे कॅरियर की शुरुआत करने पर एक आक्रामक बल्लेबाज की छवि बनाने पर वह अगले साल अप्रैल माह में कोलकाता स्थित गेम प्लान के साथ पहली एंडोर्समेंट डील करने में सफल हो गए. इसके बाद उनका यह सफर आगे बढ़ता गया और वह ब्रांड वैल्यू के मामले में शिखर पर पहुंच गए.


2014 में मूल्यवान खिलाड़ियों की लिस्ट में पांचवां स्थान

इसके बाद धोनी के कॅरियर में उपलब्धियां जुड़ती चली गई और उनका ब्रांड मजबूत होता चला गया. 2011 का आईसीसी विश्व कप जीतने के साथ ही वह देश में क्रिकेट ही नहीं सभी खेलों में सबसे बड़े ब्रांड बन गए. फोर्ब्स द्वारा 2014 में जारी सबसे मूल्यवान खिलाड़ियों की सूची में वह पांचवें स्थान पर थे. उनसे आगे सिर्फ लेब्रोन जेम्स, टाइगर वुड्स, रोजर फेडरर और राफेल नडाल थे. इस साल उन्होंने 2.1 करोड़ डालर की एंडोर्समेंट से कमाई की थी.

धोनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच में जब अप्रत्याशित रूप से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की तो सारा क्रिकेट जगत सकते में आ गया. इसके बाद उनकी ब्रांड वैल्यू में कमी आना स्वाभाविक था. लेकिन वह अक्टूबर 2016 में फोर्ब्स द्वारा कमाई के मामले में जारी विश्व के टॉप टेन खिलाड़ियों की सूची में शामिल इकलौते भारतीय थे. हालांकि उनकी एंडोर्समेंट से कमाई 1.1 करोड़ डालर रह गई थी. वह इस सूची में पांचवें से दसवें स्थान पर फिसल गए थे.

महेंद्र सिंह धोनी दुनिया के इकलौते कप्तान हैं, जिसने आईसीसी की सभी प्रमुख प्रतियोगिताओं को जीता है. उन्होंने 2007 में टी-20 विश्व कप को जीतकर विजय अभियान शुरू किया. इसके बाद वह 2011 में आईसीसी विश्व कप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी को जीतने में सफल रहे. इन सफलताओं ने ब्रांड धोनी को नित नई ऊंचाइयां दीं. हम धोनी की सालाना आमदनी की बात करें तो उन्हें बीसीसीआई से ग्रेड वन करार होने पर एक करोड़ रुपए सालाना मिलते थे. इसके अलावा वह टेस्ट, वनडे और टी-20 की मैच फीस से लगभग 22 करोड़ रुपए कमाते थे. वहीं एंडोर्समेंट से उनके खाते में करीब 182 करोड़ रुपए जुड़ जाते थे।

किसी भी खिलाड़ी को सफलताओं से लोकप्रियता तो मिलती ही है. इसके अलावा स्टाइलिश होने से भी उसकी लोकप्रियता में इजाफा होता है. महेंद्र सिंह धोनी अपनी हेयर स्टाइल के कारण भी बहुत लोकप्रिय रहे. वह जब 2006 में पाकिस्तान दौरे पर गए तो उन्होंने शानदार प्रदर्शन करके क्रिकेटप्रेमियों का तो मन मोहा ही, साथ ही अपने लंबे बालों से वहां के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का मन मोह लिया था. उन्होंने अपनी हेयर स्टाइल की दीवानगी हमेशा बनाए रखी. हेयर स्टाइल के अलावा धोनी मोटर साइकिलों के भी जबर्दस्त प्रेमी हैं. इस प्रेम की वजह से भी वह खासी सुर्खियां बटोरते रहे हैं.

2015 में धोनी के पास थे 20 ब्रांड

यह सही है कि 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उनकी लोकप्रियता में थोड़ी कमी आई. लेकिन साल 2015 में भी उनके पास 20 ब्रांड थे. उस समय उनसे ज्यादा देश में शाहरुख खान के पास 21 ब्रांड थे. उस समय भी धोनी 10-12 करोड़ रुपए प्रति ब्रांड ले रहे थे. लेकिन किसी भी खिलाड़ी की ब्रांड वैल्यू उसकी चमक से जुड़ी होती है.

सचिन तेंदुलकर के प्रदर्शन की चमक फीकी पड़ने पर जिस तरह धोनी ने उन्हें पीछे छोड़ा था, उसी तरह धोनी के प्रदर्शन की चमक कमजोर पड़ने पर विराट कोहली एंडोर्समेंट फीस के मामले में उन्हें पीछे छोड़ने में सफल हो गए. विराट ने पिछले साल 13 करोड़ रुपए की डील करके देश के सबसे वैल्यू वाले खिलाड़ी बन गए.

विराट कोहली के देश के सबसे बड़े स्पोर्ट्स ब्रांड के तौर पर उभरने और टेस्ट मैचों में लगातार पांच सीरीज जीतने के साथ बल्ले से रनों की आग उगलने की वजह से देश में उन्हें क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में कप्तानी सौंपे जाने की मांग की जा रही थी. दूसरी तरफ धोनी के बल्ले से रन नहीं निकलने और बांग्लादेश से वनडे सीरीज हारने पर धोनी पर कप्तानी छोड़ने का दबाव पड़ने लगा था.

धोनी के खेलना जारी रखने पर यह माना जा रहा था कि वह शायद अगले विश्व कप तक खेलना जारी रखना चाहते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने अब वनडे और टी-20 टीमों की कप्तानी भी छोड़कर अपने आगे भी खेलते रहने की उम्मीदों को बढ़ा लिया है. इसलिए अब हम शायद मिस्टर कूल को 2019 के विश्व कप में खेलते हुए देख पाएं.