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गुहा गए, लिमये जा रहे हैं... कब तक बने रहेंगे विनोद राय?

कब होगा काम पूरा, अभी तक त्रिपुरा और विदर्भ में ही लागू हो सकी हैं लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें

Sumit Kumar Dubey

बीसीसीआई का कामकाज संभाल रही प्रशासकों की समिति (सीओए) से एक और विकेट गिरने वाला है. इतिहासकार रामचंद्र गुहा के इस्तीफे के बाद अब दूसरे प्रशासक विक्रम लिमये भी जल्दी बोर्ड को अलविदा कह देंगे. हालांकि लिमये के बोर्ड को छोड़ने की वजह रामचंद्र गुहा की तरह निजी नहीं बल्कि पेशेवर होगी.

खबरों के मुताबिक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने विक्रम लिमये की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएससी) में नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है. लिमये अब जल्दी एनएससी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ का पद संभालेंगे. तो जाहिर है लिमये, बोर्ड से इस्तीफे के साथ ऐसी कोई विस्फोटक चिट्ठी तो नत्थी नहीं करेंगे जैसी रामचंद्र गुहा ने की थी. लेकिन उनके इस्तीफे के बाद सीओए के लिए मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही.


आधी रह जाएगी सीओए की क्षमता !

गुहा के इस्तीफे पर सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई हो सकती है. और उससे पहले ही विक्रम लिमये की भी विदाई की खबरें आने के बाद अब सीओए में बस इसके हेड विनोद राय और पूर्व महिला क्रिकेटर डायना एडुलजी ही बचे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि अब इस कमेटी की 50 फीसदी क्षमता कम होने के बाद क्या विनोद राय बीसीसीआई में सुधार काम को उस तेजी के साथ अंजाम दे पाएंगे जिसकी जिम्मेदारी उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सौंपी है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट की बनाई लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में आनाकानी कर रही बीसीसीआई को रास्ते पर लाने के लिए ही इसी साल फरवरी में सीओए का गठन किया गया था. भारत के सबसे ज्यादा चर्चित रहे कम्प्ट्रौलर एंड ऑडिटर जनरल यानी कैग विनोद राय को इस कमेटी का मुखिया बनाया गया. दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड का कामकाज संभालने के बाद से ही यह कमेटी चर्चा में है. सीओए के जिम्मे सबसे बड़ा काम लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को जल्दी से जल्दी अमल में लाकर बीसीसीआई को उसके मुताबिक तैयार करने का है.

बीसीसीआई में अभी बहुत सुधार बाकी हैं

लेकिन करीब चार महीने पूरे होने बावजूद विनोद राय इन सुधारों को आंशिक रूप से भी लागू नहीं करा सके हैं. बीसीसीआई की 31 यूनिटों में से अभी तक बस विदर्भ और त्रिपुरा ने ही अपने संविधान में इन सुधारों के मुताबिक संशोधन किया है. हैदराबाद यूनिट इसी महीने इन सुधारों को अमल में लाने के लिए मीटिंग करने वाली है जबकि राजस्थान यूनिट अभी भी निलंबित है. यानी अभी विनोद राय के लिए बहुत काम बाकी है.

अपने इस कार्यकाल में सीओए, लोढ़ा कमेटी के सुधारों का लागू कराने के अलावा बोर्ड के आंतरिक मामलों में भी उलझी रही है. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की भागीदारी का मामला इसकी एक नजीर है. वहीं रामचंद्र गुहा की चिट्ठी में सीओए की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठाए हैं.

सीओए के हेड के तौर पर 100 दिन पूरे होने पर पिछले दिनों विनोद राय ने उम्मीद जताई जल्दी ही कमेटी अपनी जिम्मेदारी पूरी करके बीसीसीआई को नए पदाधिकारियों के हवाले कर देगी. लेकिन जिस तरह से बोर्ड की स्टेट यूनिट्स को लाइन पर लाने में देरी हो रही है उसे देख कर लगता है कि विनोद राय लंबे वक्त तक बोर्ड की कमान संभालते रहेंगे. ऐसे में रामचंद्र गुहा के इस्तीफे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी दिलचस्प होगा.