view all

गॉल टेस्ट के बाद बदली कोहली की सोच

पिछले साल गॉल टेस्ट में हार के बाद कोहली की कप्तानी में आया बदलाव

Chetan Narula

जब हम किसी भी क्रिकेट कप्तान की बात बार-बार सुनते है तो हम उनके बारे में जानने लग जाते है और उनकी बात को आसानी से समझ लेते है. कोई भी अंग्रेज कप्तान हमेशा लंबे और थकान वाले दौरे की बात करते हैं. आप एलिस्टर कुक को ही ले लीजिए. पिछली 3 प्रेस कॉन्फ्रेस में 4 बार उन्होने लंबे दौरे की बात की. माना इंग्लैंड के खिलाड़ी ज्यादा क्रिकेट खेल रहे है लेकिन वह तो सभी टीमें खेल रही है.


एमएस धोनी को पता है कि मीडिया के सवालों का कैसे जवाब दिया जाता है. बातों को कैसे घुमाना है वह कोई धोनी से सीखे, धोनी से सीधे जवाब मिलना थोड़ा मुश्किल होता है और एक ही बात वह भी बार-बार दोहराते हैं.

विराट कोहली ने भी अपने छोटे से करियर में यह बात काफी जल्दी सीख ली है. विराट 2015 में श्रीलंका के खिलाफ हुए गॉल टेस्ट की बात कई बार कर चुके हैं. कोहली ने सबसे पहले एंटीगुआ में बताया कि कैसे वह 5 बॉलरों के कॉम्बिनेशन को बेहतर मानते हैं.

विराट ने इसके बारे में  त्रिनिदाद में और इसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट से पहले भी बात की थी. भारतीय टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज को खिलाने की प्रथा बदल रही है. कोहली ने राजकोट टेस्ट से पहले और फिर मोहाली टेस्ट के बाद भी इस बारे में अपनी सोच बताई.

ये सही है कि कोहली का कप्तानी रिकॉर्ड इसे सही साबित करता है. चलिए पिछले साल गॉल में हुए टेस्ट मैच की बात करते है. श्रीलंका ने स्पिन ट्रैक पर टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और भारतीय टीम ने उन्हें पूरे टेस्ट के दौरान दबाव में रखा. हालांकि दूसरी पारी में दिनेश चांडीमल के शानदार शतक और अंपायरों के कुछ विवादित फैसलों के बाद श्रीलंका ने भारत के सामने 176 रन का टारगेट रखा लेकिन भारतीय टीम चौथे दिन ही 112 रन पर सिमट गई.

Source: BCCI

अंपायरों के उन फैसलों के बाद कोहली डीआरएस के उपयोग के बारे में गंभीर हुए. कप्तान के चाहने के बाद बीसीसीआई ने भी डीआरएस के उपयोग के लिए मंजूरी दे दी. कई कड़े मुकाबलों में इसका फायदा भी हुआ है.

श्रीलंका के खिलाफ दोनों पारियों की बात करे तो पांचवे गेंदबाज के रोल पर सवाल खड़े हुए. हरभजन सिंह का पहली पारी में ज्यादा उपयोग नहीं किया गया वहीं दूसरी पारी में दिनेश चांडीमल ने उनकी गेंदबाजी पर जमकर रन बनाए. इस टेस्ट मैच में रोहित शर्मा को नंबर तीन पर खिलाने का प्रयोग भी किया गया. इन टर्निंग कंडीशन में कोहली को पता लगा कि 5 बल्लेबाज का प्रयोग सफल नहीं होगा.

अब पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट मैच की बात करते है. जहां उन्होनें अपने स्वभाव के खिलाफ जाकर 7 बल्लेबाज और 4 गेंदबाज के कॉम्बिनेशन का प्रयोग किया. हालांकि वह टेस्ट मैच बारिश के कारण धुल गया था.

घरेलू सरजमीं पर आते ही उन्होंने तीन स्पिनर्स के साथ खेलने की रणनीति बनाई. पिच को देखकर ये फैसला ठीक लगता है. वहीं टॉस जीतना उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ. न्यूजीलैंड के खिलाफ इंदौर टेस्ट में जब भारत के पास फॉलोऑन खिलाने का मौका था तो उन्होनें चौथी पारी में बल्लेबाजी का रिस्क नहीं उठाया और तीसरी पारी में फिर से बल्लेबाजी करते हुए कीवी टीम को चौथी पारी में बल्लेबाजी करवाई.

सवाल ये नहीं है है कि भारतीय खिलाड़ी स्पिन खेल सकते हैं या नहीं. बल्कि कप्तान अपनी टीम के साथ कैसे तालमेल बैठाता है, ये जरूरी है. गॉल टेस्ट ने टीम चयन को लेकर कोहली की मानसिकता बदल दी.

कोहली अब कंडीशन के हिसाब से फैसले ले रहे है और अपने पास उपलब्ध विकल्पों पर सोच-विचार कर फैसले ले रहे हैं. पांच गेंदबाजों के साथ खेलना सही है, कोहली अपनी टीम में बदलाव को लेकर डरते नहीं है और कंडीशन के हिसाब से खिलाड़ियों का चयन करते हैं.

इस समय सभी की नजरें भारत और इंग्लैंड की सीरीज पर है. राजकोट में कोहली को एक बल्लेबाज की कमी महसूस हुई. विशाखापत्तनम में उन्होंने अमित मिश्रा को बाहर कर जयंत यादव को टीम में शामिल किया क्योंकि वह स्पिन गेंदबाजी के साथ निचले क्रम पर बल्लेबाजी भी कर सकते हैं. सभी को उम्मीद थी कि यहां पिच समय के साथ टूट जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोहली ने पिच को बड़ी अच्छी तरह से परखा था.

राजकोट और विशाखापत्तनम में जो हुआ उसी की उम्मीद मोहाली में भी की गई. यहां भी पिच नहीं टूटी. इंग्लिश कैम्प और उनकी मीडिया इस बारे में कुछ अलग ही सोच रहे थे. मोहाली टेस्ट से ठीक पहले जब केएल राहुल चोटिल हो गए थे तो ये टीम चयन के लिए कोहली के लिए थोड़ा कठिन समय था.

मोहाली टेस्ट में पार्थिव पटेल के रूप में कोहली को एक विकल्प मिला. पार्थिव से ओपनिंग करवाने के बाद वह 6 बल्लेबाज और 5 गेंदबाजों के साथ खेल सकते थे. इसी कारण उन्होने करुण नायर के रूप में एक अतिरिक्त बल्लेबाज खिलाया. हालांकि उन्होंने अपनी बॉलिंग कॉम्बिनेशन से कोई छेड़छाड़ नहीं की.

आज के समय में निचले क्रम के बल्लेबाजों से भी रन की उम्मीद की जाती है. भारतीय खिलाड़ी अपना रोल बखूबी निभा भी रहे है. मोहाली टेस्ट में 156 रन पर 5 विकेट गिरने के बाद, जिस तरह निचले क्रम के बल्लेबाजों (अश्विन, जडेजा, जयंत) ने बल्लेबाजी की. उससे भारतीय खेमे को काफी संतुष्टि मिली होगी.

Source: BCCI

कोहली ने भी कहा कि हम अपनी पिछली गलतियों से सीख रहे है. इसी कारण हमने गॉल टेस्ट की गलती को नहीं दोहराया और अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार कर रहे हैं.