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आईपीएल का हजारों करोड़ का ढेर तो है ठीक लेकिन यह लुटने से कैसे बचेगा?

कोई यह नहीं बता रहा है इस करार से क्रिकेट और खिलाड़ियो को क्या फायदा होने वाला है या बीसीसीआई इस पैसे के साथ होने वाली संभावित लूट को कैसे रोकेगा

Jasvinder Sidhu

बीसीसीआई के मुख्यकार्यकारी राहुल जोहरी और स्टार के मुखिया उदयशंकर ने 16374.5 करोड़ की प्रसारण और मीडिया राइट डील के बाद कई इंटरव्यू दिए हैं. दोनों खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. जाहिर है कि यह पूरा करार ऐतिहासिक है.

लेकिन कोई यह नहीं बता रहा है इससे क्रिकेट और खिलाड़ियो को क्या फायदा होने वाला है या बीसीसीआई इस पैसे के साथ होने वाली संभावित लूट को कैसे रोकेगा.


सच तो यह है कि इसका एक बेहद छोटा सा हिस्सा ही खेल में लगने वाला है और बाकी बचे पैसे के साथ वही होने वाला है जिसका जिक्र बीसीसीआई की कई इकाईयों के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में किया गया है.

पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई और उसकी इकाईयों में पैसे के इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता लाने के लिए एक सिस्टम स्थापित करने की सिफारिश की थी.

इसके बाद बीसीसीआई ने खुद अंतरराष्ट्रीय एकाउंटेसी फर्म डिलोएट को सभी इकाईयों के खाते जांचने के लिए कहा था.

डिलोएट ने जो रिपोर्ट दी, वह सिर घूमा देने वाली है. रिपोर्ट के एक भाग के अनुसार कई इकाईयों के अधिकारियों ने सादे कागज पर पर्चियां बना कर ही करोड़ों के बिलों का भुगतान किया है.

बीसीसीआई ने उस रिपोर्ट का क्या किया,यह खुद बीसीसीआई के अधिकारी भी नहीं जानते.

सुप्रीम कोर्ट की बीसीसीआई को चलाने वाली प्रशासकों की कमेटी ने डिलोएट से ऐसी प्रणाली स्थापित करने के लिए कहा जैसा जसटिस लोढ़ा कमेटी ने सोचा था.

लेकिन कमेटी ने अपनी पाचंवी स्टेटस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि बीसीसीआई ने डिलोएट के सुझावों को मानने से इनकार कर दिया है.

अब सवाल उठता है कि जिस बीसीसीआई के एकाउंट में 2016 तक  3,576.17 करोड़ रुपए जमा थे और उसकी फिक्सड डिपोजिट से कमाई 176 करोड़ रुपए थे, वह नोटों के माउंट एवरेस्ट को प्रदूषित होने से कैसे बचाएगी?

इससे पहले भी बीसीसीआई और सोनी के बीच अरबों रुपए का करार हुआ था. भारत में टेस्ट, वनडे और टी-20 मैचों के प्रसारण के लिए स्टार से खरबों का करार अलग से है. 2016 तक 3,576.17 करोड़ रुपए जमा थे और उसकी फिक्सड डिपोजिट से कमाई 176 करोड़ रुपए रही.

हालात यह हैं कि जिन राज्य इकाईंयों में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम सहित ढांचागत सुविधाएं विकसित हो चुकी हैं, उन्हें भी हर साल 50 करोड़ से अधिक रकम के अलावा टीवी प्रसारण से होने वाली कमाई का हिस्सा दिया जा रहा है और यह सुप्रीम कोर्ट की तमाम आलोचनाओं और आदेशों के बावजूद जारी हैं. यहां कहीं रोकने की कोशिश हुई भी है तो इकाईयों ने दूसरे रास्ते खोज निकाले.

मसलन बैंक में करोड़ों रुपये होने के बावजूद मीडिया में खबरे प्लांट करवाई कि उसने पास रणजी या एज ग्रुप के मैच करवाने के लिऐ पैसे नहीं हैं.

इस समय बीसीसीआई की कई बड़ी इकाईयों के खिलाफ करोड़ो रुपए गबन करने के केस चल रहे हैं. लेकिन इसका सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि इसमें से किसी भी मामले में बीसीसीआई की तरफ से कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.

हजारों करोड़ बैंक में होने के बावजूद बीसीसीआई आईपीएल में खिलाड़ियों को मिलने वाले पैसे की असमानता को दूर करने में नाकाम रहा है.

अगर 5.3 अरब की वैल्यू के आईपीएल में यह असमानता न होती तो राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों पर 10 लाख, चार लाख या दो लाख रुपए ले कर मैच बेच देने के आरोप न लगते.

साफ है कि 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग से बीसीसीआई ने अपने भीतर के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया और अब उसके पास पहले से भी अधिक पैसा है.

देखना यह रोचक होगा कि बोर्ड भविष्य में इसकी लूट को कैसे होने देता है या उसे कैसे रोकता है !