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जन्मदिन विशेष: जब 300 रन बनाने के बाद सहवाग ने पूछा, क्या ऐसा करने वाला मैं पहला भारतीय हूं?

20 अक्टूबर को अपना 40वां जन्मदिन मना रहे हैं सहवाग

Sachin Shankar

वीरेंद्र सहवाग को हमेशा से बड़ी चीजों के लिए पहचाना जाता रहा है. करियर के शुरुआती दिन में इंडियन एयरलाइंस की टीम के लिए खेलते हुए धुरंधर तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ का सामना एक ऐसे क्रिकेटर से हुआ जो बेधडक होकर खेलता था.

वह ऐसा बल्लेबाज था जो अपना बल्ला हर कहीं घुमाने के लिए तैयार नहीं रहता था. बल्कि ऐसी चीज पर चलाता था जिसे वह दंड देना चाहता था. सहवाग दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आसानी से खींच लेते थे. वह कुछ नया कर दिखाने का वादा करते थे और उसे निभाते भी थे. बेलौस और बेफिक्र अंदाज, यही उनकी बल्लेबाजी की खासियत थी.


क्रिकेट के जानकार जब हैरान होकर उनकी ओर देखते थे तो उन्हें कुछ कमी जरूर दिखती थी. लेकिन उन्हें मैदान पर आता देखकर क्रिकेट फैंस को एक चीज नजर आती थी वो है मनोरंजन की गारंटी.

एक ऐसा खिलाड़ी जो उन्हें बेहतरीन किस्म का क्रिकेट देखने का मौका देता था. वीरू के कई शॉट ऐसे होते थे जो न सिर्फ क्रिकेट बल्कि कभी-कभी गोल्फ और यहां तक की टेनिस के होते थे. दरअसल सहवाग की बल्लेबाजी में किंतु परंतु वाली बात नहीं थी, बल्कि उन्हें मालूम था कि उनकी तकनीक इतनी पर्याप्त है कि वह विकेट बचाने के बजाए रन बना सकते हैं. उनका सारा खेल आक्रमण पर टिका था.

दर्शक भले ही पहली बार मैदान पर उतरने वाले दिन से ही उनके दीवाने हो गए हों, लेकिन आलोचकों को संतुष्ट करना सहवाग के लिए कभी आसान नहीं रहा. उनकी तकनीक को लेकर हमेशा भौंहें तनती रहीं.

सहवाग को 1999 विश्व कप के दौरान पहली बार भारतीय टीम में शामिल करने की तैयारी थी. मगर पाकिस्तान की टीम के खिलाफ एक मैच में बेकार प्रदर्शन करने पर उन्हें दो साल तक भुला दिया गया. फिर दो साल बाद जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आयी तभी उनकी सुध ली गई.

इसके बाद बाद आया वह दिन जिसने सहवाग का कद भारतीय क्रिकेट में अचानक बालिश्त भर ऊंचा कर दिया. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट में तिहरा शतक (309 रन) लगाने का कारनामा कर दिखाया.

नजफगढ़ के नवाब के नाम से मशहूर सहवाग ने वो कर दिखाया जो उनसे कहीं ज्यादा प्रतिभाशाली और कुलीन खिलाड़ी नहीं कर सके थे. लेकिन तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी को पता ही नहीं था कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड बना दिया है. ड्रेसिंग रूम में जब उन्हें हकीकत बताई गई तो थोड़ा चकित होकर बोले, ‘मैंने सोचा किसी और ने 300 किया होगा कभी.’ वह भले ही स्वभाव से थोड़े अक्खड़ माने जाते हों, लेकिन बचाव की मुद्रा नहीं अपनाते.

ऐसे छा जाना बेशक सहवाग की खासियत है. टेस्ट हो या एकदिवसीय मैच जब वह भारतीय पारी की शुरुआत करने उतरते हैं तो हमेशा कुछ नया होने की गुंजाइश रहती है. सहवाग जब पहली बार भारत के लिए खेले थे तो उन्हें सचिन तेंदुलकर का सस्ता संस्करण कहा जाता था, लेकिन बाद में क्रिकेटप्रेमी मनोरंजन के लिए उन पर ज्यादा भरोसा करने लगेे थे.

यही वजह थी कि बतौर सलामी बल्लेबाज हर तीन मैच में एक में शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर ने उनके लिए सलामी बल्लेबाज की जगह छोड़ी थी, क्योंकि अगर वह 40 ओवरों तक ध्यान से खेलें तो शतक बनाते हुए टीम के लिए भारी स्कोर खड़ा कर सकते थे.

भारतीय टीम में यह शाही बल्लेबाज की गद्दी रही है और खुद सम्राट ने उनके लिए यह गद्दी छोड़ी थी. सचिन से जगह की अदलाबदली के बाद दोनों के बीच तुलना के लिए लोग उतावले हो उठे थे.

अपने प्रदर्शन को लेकर साथियों से प्राप्त सम्मान के बदले वह वैसा ही सम्मान उन्हें देने की कोशिश करते थे. इसमें उनकी गेंदबाजों से निपटने वाली सूझबूझ भी काम आती थी. सचिन और उनमें क्या अंतर है? उनका जवाब होता था, ‘हमारा बैंक बैलेंस.’

चेन्नई में लगाया सबसे तेज तिहरा शतक

‘मुल्तान का सुल्तान’ बनने के चार साल बाद ही सहवाग ने चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 319 रनों की पारी खेली. इस पारी में सहवाग ने महज 278 गेंदों में तिहरा शतक जड़ा, जो कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज तिहरा शतक है.

सहवाग टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में दो तिहरे शतक जड़ने वाले महज चार बल्लेबाजों में सहवाग भी एक हैं. वह दुनिया के अकेले क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टेस्ट में दो तिहरे शतक जड़ने के अलावा एक ही पारी में पांच विकेट भी चटकाए हैं. उन्होंने अपने 11 साल के टेस्ट करियर के दौरान छह दोहरे शतक भी जड़े हैं.

इंदौर में जड़ा वनडे में दोहरा शतक

सहवाग ने आठ दिसंबर, 2011 को इंदौर के होल्कर स्टेडियम में वेस्टइंडीज केे खिलाफ वनडे क्रिकेट में भी दोहरा शतक जड़ डाला था. वह तेंदुलकर के बाद इस मुकाम को हासिल करने वाले दूसरे बल्लेबाज बने. उस समय 149 गेंदों में उनके द्वारा बनाया गया 219 रनों का स्कोर वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे बड़ा स्कोर था. 2014 में रोहित शर्मा ने 173 गेंदों पर 264 रनों की पारी खेलकर यह रिकॉर्ड तोड़ा.

जब शोएब से कहा, बेटा बेटा होता है, बाप बाप

आजकल अपने तीखे ट्वीट के चर्चा में रहने वाले सहवाग अपने क्रिकेट जीवन में भी गेंदबाजों को चिढ़ाने के लिए मशहूर थे. सहवाग ने एक बार पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर से कहा था, ‘बेटा बेटा होता है और बाप बाप होता है.’

उस मैच में सहवाग अपना दोहरा शतक पूरा करने के करीब थे और शोएब लगातार बाउंसर करते हुए उन्हें हुक या पुल करने का इशारा कर रहे थे. जिस पर सहवाग ने कहा कि तुम्हारे पिताजी दूसरे छोर पर बल्लेबाजी कर रहे हैं, उन्हें यह बात बोलो. दूसरे छोर पर सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी कर रहे थे और शोएब ने उन्हें बाउंसर फेंकी. तेंदुलकर ने हुक कर छक्का जड़ा.

यह वाकया 2002 अक्टूबर का है, जब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल मैच में सहवाग ने 58 गेंदों पर 59 रन बनाए और बाद में पांच ओवर में 25 रन देकर तीन अहम विकेट भी चटाकाए.

उनके इस मैच विजयी प्रदर्शन के बाद भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने सभी से कहा कि चलिए, सभी लोग वीरू के लिए तालियां बजाइए. तालियां बजीं, लेकिन उनमें वो तेजी नहीं थी. लेकिन सहवाग के करियर में कई बार ऐसा हुआ. जाहिर है नई गेंद की बखिया उधेड़ देने वालन यह विध्वंसक बल्लेबाज जितनी तालियों का हकदार था, वो उन्हें नहीं मिली.

(यह लेख पिछले साल 20 अक्टूबर को प्रकाशित हो चुका है, इससे फिर से प्रकाशित किया जा रहा है)