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ब्लॉकबस्टर हिट टीम इंडिया का ऐसा साइड हीरो जिसने कप्तान धोनी को सुपर स्टार बना दिया!

धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को मिली बड़ी कामयाबियों में हमेशा गौतम की 'गंभीर' भूमिका रही

Sumit Kumar Dubey

सिल्वर स्क्रीन पर अगर कोई फिल्म सुपरहिट होती है तो उसके कुछ फॉर्मूले भी तय होते हैं. मुख्य किरदार यानी हीरो के साथ-साथ अक्सर फिल्मों एक ऐसा साइड हीरो भी होता है जिसकी भूमिका हीरो के आभा मंडल के सामने दब तो जाती है लेकिन उसके किरदार के बिना फिल्म अधूरी सी लगती है.

मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन के करियर के गोल्डन पीरियड में विनोद खन्ना और शशि कपूर जैसे जोरदार अभिनेता, साइड हीरो का ही किरदार निभाया करते थे. ठीक वैसे ही भारतीय क्रिकेट हीरो एमएस धोनी की कप्तानी को सुपर-डुपर हिट बनाने में एक ऐसे खिलाड़ी ने किरदार निभाया जिसे हमेशा साइड हीरो ही समझा गया.


मंगलवार की शाम को भारी मन से भारत के सबसे साहसी बल्लेबाजों में से एक और धोनी की सुपरहिट कप्तानी वाली टीम इंडिया के इस साइड हीरो यानी गौतम गंभीर ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स से संन्यास का ऐलान कर दिया.

2004-05 में अपने करियर का आगाज करने वाले गौतम ने अपने एक दशक लंबे करियर में कई ऐसी गंभीर पारिया खेलीं जो उनके फैंस को को तो याद रहेंगी है साथ ही भारत के सबसे कामयाब कप्तान एम धोनी भी कभी नहीं भूलेंगे.

धोनी को बनाया वर्ल्ड चैंपियन कप्तान

पिछले एक-डेढ़ दशक में साल 2007 का साल भारतीय क्रिकेट के लिहाज से सबसे क्रांतिकरी साल था. वेस्टइंडीज में खेले गए आईसीसी वर्ल्ड कप में टीम इंडिया पहले ही राउंड में हारकर वापस आ चुकी थी. खिलाड़ियों के घरों पर पथराव तक हुआ. कोच ग्रेग चैपल की छुट्टी हुई. द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी और फिर साउथ अफ्रीका में पहले टी20 वर्ल्ड कप का ऐलान हुआ. कप्तान युवा विकेटकीपर धोनी का हाथो में सौंपी गई. युवराज और सहवाग की मौजूदगी में धोनी को कप्तानी मिलने का फैसला बहुतों को नहीं जंचा.

इस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की हार धोनी की कप्तानी की भविष्य की संभावनाओं पर ग्रहण लगा सकती थी. लेकिन हुआ एकदम उल्टा. टीम इंडिया चैंपियन बनकर लौटी और धोनी की कप्तानी पर मोहर लग गई. इस वर्ल्ड कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन इसी साइड हीरो यानी गौतम गंभीर के बल्ले से निकले. गौतम ने सात मैचों की छह पारियों में 227 रन बनाए. और सोने पर सुहागा यह था कि उनके बल्ले से पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में 75 रन की पारी निकली जिसने भारत को चैंपियन बना दिया.

वन डे में भी बनाया धोनी को हीरो

टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद जल्दी धोनी को वनडे टीम की कप्तानी भी मिली. इनकी कप्तानी का सबसे पहला और कड़ा टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में था.  साल 2008-09 में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी.  भारत ने लंबे वक्त से इस धरती पर कोई सीरीज नहीं जीती थी. सीबी सीरीज में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा तीसरी टीम श्रीलंका थी. भारत यह टूर्नामेंट शानदार तरीके से जीता. तीनों टीमों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे गौतम गंभीर. गौतम ने 10 मैचों में 55 की औसत से 440 रन बना कर धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया की यह ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की.

टेस्ट में भी धोनी को बनाया बेस्ट

वनडे और टी20 के अलावा धोनी ने बतौर टेस्ट कैप्टन जो यादगार कामयाबियां हासिल की उनमें गौतम की गंभीर भूमिका रही. 1968 में अपने पहले न्यूजीलैंड दौरे के पार 41 साल तक टीम इंडिया उस धरती पर सीरीज नहीं जीत सकी थी. साल 2009 में धोनी की कप्तानी में भारत ने इस देश में सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया. पहला टेस्ट जीतने के बाद टीम इंडिया दूसरे टेस्ट में हार के कगार पर थी लेकिन गंभीर ने राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर टीम को हारने से बचा लिया. 437 गेंदों पर 137 रन की धैर्यवान पारी खेलकर गंभीर ने इस सीरीज में टीम इंडिया जीत को सुनिश्चित कर दिया.

इस सीरीज के तीन मैचों में सबसे अधिक रन गौतम के बल्ले से ही निकले. उन्होने छह पारियों में 89.0 की बड़ी औसत से 445 रन बनाए. जिसमें दो शतक और एक अर्द्ध शतक शामिल था.

यही नहीं 2011 में साउथ अफ्रीका में हुई सीरीज ड्रॉ में भी की बड़ी भूमिका थी. सेंचुरियन में हार के बाद भारत ने डरबन टेस्ट जीतकर सीरीज में बराबरी कर ली थी लेकिन न्यूलैंड्स में मेजबान टीम जीत को बेताब थी. गौतम ने पहली पारी 93 रन की साहसी पारी खेली तो दूसरी पारी में 184 गेदों पर 64 रन की बेहतरीन डिफेंसिव पारी खेलकर यह सुनिश्चित किया कि धोनी की वह टीम इंडिया इस सीरीज को बराबर करके वापस लौटे.

2011 में जीती दुनिया

धोनी के स्टारडम में चार चांद उस वक्त लगे जब भारत ने 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप पर कब्जा किया. फाइनल मुकाबले में भले ही धोनी के उस विजयी छक्के को याद किया जाता है लेकिन इस जीत की बुनियाद भारतीय क्रिकेट के इसी साइड हीरो ने ही रखी थी.

श्रीलंका के सामने 275 रन के टारगेट का पीछा कर रही टीम इंडिया की सलामी जोड़ी यानी सचिन सहवाग सस्ते मे वापस लौट गए. 22 साल के युवा विराट कोहली के साथ गंभीर ने 83 रन की पार्टनरशिप की और फिर कप्तान धोनी के साथ 109 रन की पार्टनरशिप करके टीम इंडिया को जीत के दरवाजे तक पहुंचा दिया. गंभीर इस फाइनल मुकाबले में शतक तो नहीं लगा सके लेकिन उनके 97 रन की इस पारी ने भारत को 1983 के बाद दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना दिया.

यह एक विडंबना ही है कि जिन धोनी को भारत का सबसे कामयाब कप्तान बनाने में गंभीर ने बेहतरीन भूमिका निभाई उन्हीं धोनी पर गंभीर को टीम से निकलवाने के इल्जाम भी सुर्खियों में रहे. हालांकि इनकी कभी पुष्टि नहीं हो सकी.