1996 विश्व कप जीतने वाली श्रीलंका वाली टीम का हिस्सा रहे अरविंदा डि सिल्वा का कोलंबो में अपने धर्मेंद्र पाजी जैसा जलवा है. कुछ समय पहले तक वह खुली जीप में इस सुंदर शहर में घुमने का मजा लेते थे. उनके आलीशान घर के बाहर रेंज रोवर्स भी खड़ी है और उन्होंने उसका नंबर भी जेम्स बांड वाला लिया है 007.
कभी 22 गज की पट्टी पर मोहल्ले के दादा की तरह अपनी तड़ी में खेलने के आदी अरविंदा इन दिनों भारतीय कंपनी महिंद्रा के श्रीलंका में प्रतिनिधि हैं और हाल में कई और भी बिजनेस में हाथ बढ़ाया है जिसमें वह कामयाबी का मजा ले रहे हैं.
लेकिन इस सब के बावजूद अरविंदा एक बेहद ही शालीन और आसानी से पकड़ में आ जाने वाले पूर्व स्टार हैं.
छोटा बेटा स्पेन के कोच से टेनिस की ट्रेनिंग ले रहा है लेकिन क्रिकेट आज भी अरविंदा की रगों में दौड़ता है. इस खेल में कभी कुछ गलत होता है तो वह आहत होते हैं. यही कारण हैं कि पिछले दिनों उन्होंने क्रिकेट श्रीलंका की टॉप पोस्ट से इस्तीफा दे दिया है.
अरविंदा से कई मुद्दों पर बात हुई लेकिन एक सवाल का जवाब चाहिए था.
1996 में विश्व कप जीतने वाली टीम के कप्तान अर्जुना रणतुंगा अरविंदा के लिए किसी धर्मगुरु से कम नहीं हैं. रणतुंगा 21 साल बीत जाने के बाद भी उनके कप्तान हैं. इसलिए सीधे पूछने की हिम्मत नहीं हुई.
पिछले महीने रणतुंगा ने फेसबुक पर पोस्ट किए अपने वीडियो में आरोप लगाया था कि 2011 की विश्व कप फिक्स था. हालांकि रणतुंगा ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन जो उनकी हैसियत है, उसके लिहाज से यह आरोप वायरल हुआ.
अरविंदा से पूछा गया कि क्रिकेट में भ्रष्टाचार या फिक्सिंग के आरोपों के बारे में उनकी क्या राय है. क्या महज आरोप इस खेल का ज्यादा नुकसान नहीं कर रहे?
लाहौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप के फाइनल में 107 रन बनाने वाले अरविंदा बिना रणतुंगा का नाम लिए कहते हैं, 'आप किसी के बारे में कुछ भी बोल सकते हैं. कई लोग किसी के खिलाफ खुंदक के कारण भी ऐसे आरोप लगाते हैं. लेकिन अंत में क्रिकेट में भ्रष्टाचार या फिक्सिंग के आरोप पर कोई सबूत तो चाहिए न. जो भी ऐसा आरोप लगाता है, उसे सूबूत के साथ सामने आना चाहिए. तभी ऐसे आरोपों का सही माना जा सकता है.'
भारत में हुए 2011 के विश्व कप के फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी की टीम श्रीलंका को हरा कर 1983 के बाद दूसरी बार चैंपियन बनी थी.
लेकिन रणतुंगा ने अपने वीडियो में कहा कि वह भी उस फाइनल में कमेंट्री कर रहे थे. जब श्रीलंकाई टीम हारी वह काफी आहत हुए थे और उन्हें कई शंकाएं भी थीं. इसलिए 2011 के विश्व कप में टीम की हार की जांच किए जाने की जरूरत हैं.
साफ है कि श्रीलंका के कई पूर्व दिग्गज रणतुंगा के आरोपों के लेकर काफी आहत हैं. अरविंदा भी उनमें शामिल हैं.
उस विश्व कप में मैन ऑफ द मैच रहे अरविंदा कहते हैं, 'जब भी क्रिकेट में भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, मेरा मन काफी आहत होता है. मेरा मानना है कि ऐसे आरोप खिलाड़ियों के खेल पर बुरा असर डालते हैं. क्योंकि मैच के दौरान खिलाड़ियों से कई गलतियां हो जाती हैं. हर गलती को शंका की निगाह से देखा जाता है. ऐसे में होगा ये कि अगली बार कोई भी बल्लेबाज कोई शॉट मारने से पहले सोचेगा कि आउट होने पर कहीं उस पर आरोप तो नहीं लगेंगे. पाकिस्तानी टीम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. मैं खुश हूं कि हर बार सवालों के घेरे में आने वाली इस टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी जीती है.'
अरविंदा आईसीसी की ओर से उठाए गए भ्रष्टाचार निरोधी कदमों से काफी संतुष्ट नजर आए. उन्होंने कहा, 'जो भी क्रिकेटर एक ऊंचे मुकाम को हासिल करना चाहता है, उसे पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ आईसीसी की शिक्षा का हिस्सा बनना चाहिए.'
(तस्वीरें - जसविंदर सिद्धू)