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'कोहली आज जिस टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे हैं उसकी बुनियाद टाइगर पटौदी ने रखी थी'

पूर्व फिरकी गेंदबाज बिशन सिंह बेदी के मुताबिक टाइगर पटौदी ने ही बतौर कप्तान टीम में क्षेत्रीय पहचान को किनारे रखकर भारतीयता के जज्बे को पैदा किया था

Sumit Kumar Dubey

विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया आज एक यूनिट की तरह खेल दिखा रही है. टीम के एकजुट प्रयासों से उसे कई बड़ी जीत भी हासिल हुई हैं. पूर्व फिरकी गेंदबाज और टीम के कप्तान रहे बिशन सिंह बेदी का मानना है कि आज हम टीम इंडिया का जो एकजुट रूप देख रहे हैं उसकी बुनियाद भारत के महान कप्तान मंसूर अली खान पटौदी ने रखी थी. जिन्हें टाइगर पटौदी के नाम से जाना जाता है.

टाइगर पटौदी की ही कप्तानी में अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज करने वाले बेदी ने फर्स्टपोस्ट हिंदी के साथ बात करते हुए कहा ‘ वो ऐसा दौर था जब भारत की टीम के खिलाड़ी अपनी क्षेत्रीय पहचान को छोड़ने के लिए राजी नहीं थे. टीम में कोई मद्रासी था, कोई पंजाबी था तो कोई बंगाली, लेकिन उन्होंने टीम के हर खलाड़ी के भीतर ये जज्बा भरा कि हम भारत के लिए खेल रहे हैं लिहाजा हमारे जेहन में भारतीयता सबसे पहले आनी चाहिए’.


बेदी के मुताबिक अपने कप्तान के इसी सीख ने पूरी टीम में एकजुट होकर खेलने के जज्बे की बुनियाद रखी जिसका नतीजा हम आज की टीम इंडिया के रूप में देख रहे हैं.

'टाइगर' जैसा कोई नहीं!

मौजूदा कप्तान विराट कोहली के टाइगर पटौदी से तुलना किए जाने पर बेदी कहते हैं ‘ वह एक ऐसे कप्तान थे जिनकी तुलना किसी के साथ नहीं की जा सकती. कोहली निश्चित तौर पर जिस तरह से टीम को लीड कर रहे हैं वह तारीफ के काबिल है, लेकिन पटौदी का तरीका अलग था.

वह फील्ड में जितने ठंडे दिमाग के साथ अपने खिलाड़ियों को मोटिवेट करते थे उसका कोई जवाब नहीं है. इस लिहाज से अगर देखें तो बतौर कप्तान धोनी जरूर उनके आसपास दिखते हैं लेकिन कोहली की कप्तानी उनके काफी जुदा है. वह किसी भी खिलाड़ी को डांट-डपटने में भरोसा नहीं करते थे.’

बेदी ने 1993 में बिशन बेदी कोचिंग ट्रस्ट बनाया था जिसके फाउंडिंग चीफ पैट्रन टाइगर पटोदी ही थे, क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह इसी ट्रस्ट के जरिए युवा क्रिकेटरों के साथ अपना अनुभव शेयर किया करते थे. इस ट्रस्ट के 25 साल पूरे होने पर सात मार्च को दिल्ली में एक समारोह भी आयोजित किया जाएगा जिसे ‘ट्रिब्यूट टू टाइगर’ नाम दिया गया है. इस मौके पर टाइगर पटौदी के पूरे परिवार, कई फिल्मी हस्तियों और कई नए-पुराने क्रिकेटरों के भी पहुंचने की उम्मीद है.

बेदी का कहना है यह इवेंट टाइगर जैसे बड़े खिलाड़ी को श्रद्धांजलि देकर उन्हे याद करने के लिए आयोजित किया जा रहा है.

टाइगर के साथ अपने दिनों को याद करते हुए बेदी का कहना है महज 21 साल की उम्र में कप्तान बने टाइगर पटौदी जिस करह पॉली उमरीगर, विजय हजारे और चंदू बोर्डे जैसे सीनियर खिलाड़ियों को एक साथ लेकर चले वह अपने आप मे कप्तानी की एक मिसाल है.

एक एक्सीडेंट में अपनी एक आंख गंवाने के बावजूद उनकी बल्लेबाजी और खासतौर के उनकी फील्डिंग गजब की थी. बेदी का मानना है कि अगर वह पूरी तरह फिट होते तो उनके आंकड़े बेहद शानदार होते. साल 2011 में दुनिया से रुखसत होने से टाइगर पटौदी ने 46 टेस्ट मैचों में 34.91 की औसस से 2793 रन बनाए. उनके बल्ले से कुल छह शतक निकले जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल है.