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क्या फिक्सिंग के लिए खेली जा रही हैं क्रिकेट लीग?

क्रिकेट लीग में फिक्सिंग का बढ़ता जाल

Lakshya Sharma

क्रिकेट में स्‍पॉट फिक्सिंग का 'जिन्‍न' फिर बोतल से बाहर निकल आया है. पाकिस्‍तानी क्रिकेट टीम के दो क्रिकेटरों शरजील खान और खालिद लतीफ पर इस मामले में लगे आरोपों के बाद जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट के दामन पर फिर कुछ 'दाग' लगते नजर आ रहे हैं.

आज के दौर में क्रिकेट का क्रेज बढ़ रहा है यह क्रिकेट और क्रिकेटर्स के लिए अच्छा है. आजकल हर देश में अपनी क्रिकेट लीग होती है जिसमें दुनियाभर के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं. इस लीग से न केवल क्रिकेटर्स को फायदा होता है बल्कि उस देश का क्रिकेट बोर्ड भी अच्छी खासी कमाई कर लेता है.


भारत में आईपीएल, साउथ अफ्रीका में रैम स्लैम, वेस्टइंडीज में कैरेबियन लीग, पाकिस्तान में पीएसएल और बांग्लादेश में बीपीएल, ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश तो आईपीएल की तरह पूरी दुनिया में फेमस है.

इस लीग के फायदे पर तो बात कर ली लेकिन इन लीग के कारण क्रिकेट में फिक्सिंग का जाल लगातार फैल रहा है. जब से इन लीगों की शुरुआत हुई है फिक्सिंग में मामले लगातार उजागर हो रहे है.

आईपीएल में भी लगातार फिक्सिंग की बात होती रहती है. लेकिन आईपीएल शायद सबसे बड़ा टूर्नामेंट है इसलिए उसके बारे में लगातार बात होती है. लेकिन छोटी लीग में फिक्सिंग की खबरें बाहर नहीं आती.

बांग्लादेश में खेले जाने वाली बांग्लादेश प्रीमियर लीग में स्टार खिलाड़ी मोहम्मद अशरफुल ने पूरी दुनिया के सामने कबूला था कि उन्होंने स्पॉट फिक्सिंग की है. उसके कुछ साल बाद बांग्लादेश के मौजूदा वनडे कप्तान मशरफे मुर्तजा ने आरोप लगाया कि शरीफुल हक नाम के खिलाड़ी ने उन्हे स्पॉट फिक्सिंग का ऑफर दिया है.

साउथ अफ्रीका की रैम स्लैम में तो लगभग हर साल स्पॉट फिक्सिंग के कारण खिलाड़ी पर बैन लगाया जाता है. एलवीरो पीटरसन और गुलाम बोदी जैसे नामी खिलाड़ियों को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में बैन लगाया गया.

अभी हाल में ही पाकिस्तान क्रिकेट लीग में शरजील खान, मोहम्मद इरफान और लतीफ सहित पांच खिलाड़ियों पर स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा. जिसमे शरजील और लतीफ के खिलाफ पक्के सबूत मिले है बाकी खिलाड़ी भी शक के दायरे में है.

अब सवाल ये है कि आईपीएल दुनिया की सबसे बड़ी लीग है दुनियाभर के लगभग सभी बड़े खिलाड़ी इस लीग में खेलना चाहते है. पूरे दुनिया की मीडिया की नजरें इस लीग पर होती है इसी कारण इसमें होने वाले विवाद ज्यादा उजागर होते है. 2013 में जब श्रीसंत सहित दो खिलाड़ियों पर स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा तो यह हर अखबार की हैडलाइन थी.

लेकिन सवाल ये है कि आईपीएल में तो छोटे छोटे विवाद सामने आ जाते हैं. लेकिन अन्य देशो में खेले जाने वाली छोटी लीग पर किसी का ध्यान नहीं जाता. इन लीग पर ना तो मीडिया ज्यादा तवज्जो देता है और न ही आईसीसी. इसलिए इस तरह की लीग में लगातार फिक्सिंग का जाल फैल रहा है.

इस तरह की लीग में फिक्सिंग होने का कारण क्या है ?. क्या इस तरह की लीग होती ही इसलिए है ताकि पैसे कमाए जा सके? क्योंकि हो सकता है कि कई खिलाड़ी आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं होते और कुछ पैसों की खातिर इस तरह के अपराध में शामिल हो जाते हैं.

लीग कराने वालों का तर्क होता है कि टिकट की बिक्री और टीवी स्पॉन्सर से लीग का खर्चा चलता है. लेकिन क्या इतना काफी है एक लीग के आयोजन के लिए?

आईपीएल का ही उदाहरण ले लीजिए. चेन्नई सुपर किंग्स के मालिकों में एक गुरुनाथ मयप्पन पर स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का आरोप लगा. अब उनके पास न तो पैसे की कमी है और ऐसा भी नहीं है कि उन्हे नियम नहीं पता हो. अब सवाल ये है कि क्या इस तरह की फिक्सिंग में फ्रेंचाइजी का भी हाथ होता है? क्या सब कुछ उस देश के क्रिकेट बोर्ड के सामने होता है?

हां पकड़े जाने या मामले पर खुलासा होने पर सारा ठीकरा खिलाड़ियों पर थोप दिया जाता है जो शायद कुछ पैसो के कारण ऐसा करते हैं लेकिन उन अधिकारियों पर कोई आंच नहीं आती जो खिलाड़ियों के कंधे पर बदूंक चलाते हैं.

इस तरह के मामलों से न केवल क्रिकेट की साख खराब हो रही है बल्कि लोगों का क्रिकेट पर से भी विश्वास खराब हो रहा है. अगर जल्दी ही इस तरह के मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया तो पूरी दुनिया में क्रिकेट को फैलाने का सपना सपना ही जाएगा.