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ट्रैक पर विरोधियों से नहीं, बल्कि अब इस बात से डरती हैं स्वप्ना बर्मन

हाल ही में एशियन गेम्स में हेप्टाथलन जैसे कठिन इवेंट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं स्वप्ना

FP Staff

हाल ही में आयोजित हुए एशियन गेम्स में हेप्टाथलन जैसे मुश्किल इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर चर्चा में आई भारत की एथलीट स्वप्ना बर्मन का मानना है कि इस मेडल के बाद उनकी जिंदगी बदल गई है.

उन्हें लगता है कि वह स्टार बन गई हैं, लेकिन साथ एक डर भी उनके जेहन में समा गया है. उन्होंने कहा कि लोगों की बढ़ती अपेक्षाओं से वह कई बार नर्वस हो जाती है और डर भी जाती हैं.


एशियाई खेलों से पहले बंगाल की जलपाईगुड़ी की इस खिलाड़ी को बहुत कम लोग जानते थे. लेकिन अगस्त में जकार्ता में गोल्ड जीतने से वह रातों रात स्टार बन गईं.

स्वप्ना ने यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा, ‘जिंदगी बदल गई है, लेकिन मैं नहीं बदली. लोगों का नजरिया बदल गया है. कई बार मुझे लगता है कि मैं सपना देख रही हूं या सो रही हूं.’

उन्होंने कहा, ‘अब मुझे डर लगता है. इससे पहले मेरे माता-पिता और कोच चाहते थे कि मैं जीत दर्ज करूं और अच्छा प्रदर्शन करूं. अब मेरे सारे देशवासी मुझसे ओलिंपिक मेडल चाहते हैं. इन अपेक्षाओं से मैं नर्वस हो जाती हूं. सोचती हूं कि अगर मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो क्या होगा.’

स्वप्ना ने एशियाई खेलों में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 6026 अंक हासिल किए थे. लेकिन ओलिंपिक में पदक जीतने के लिए उन्हें  कम से कम 6700 से अधिक अंक पाने होंगे. यह निश्चित तौर पर बहुत मुश्किल है. रियो 2016 के लिये क्वालीफाइंग मानक ही 6200 अंक था.