श्रीलंका के सबसे मलंग और सुनहरी बालों वाले लेकिन हुनर के अमीर लसित मलिंगा को लेकर मन में कई सवाल थे. उसके बेहद अजीब बॉलिंग एक्शन और ताड़ के पेड़ों पर चढ़ नारियल तोड़ कर खर्चा उठाने के बारे में कई कहानियां भी उनके बारे में सुनी और छपी. योजना बनी कि क्यों न उनके गांव जाकर कुछ ओर तलाशा जाए.
गॉल क्रिकेट स्टेडियम से कोलंबो- गॉल हाइवे पर 12 किलोमीटर के टुकटुक (श्रीलंका में बजाज आटो टुकटुक के नाम से जाना जाता था) से सफर के बाद मलिंगा के समुद्र के किनारे बसे गांव रथगामा पहुंचने पर श्रीलंकाई क्रिकेट के विवादित खिलाड़ी के बारे में कई मिथ्याएं दूर हुई जो सफर का पैसा वसूल करने वाली थीं.
हरे-भरे पेड़ों के घिरे घर में मलिंगा अब नहीं रहते क्योंकि उन्होंने क्रिकेट के कारण कोलंबो में भी घर लिया है. मलिंगा एक साधारण परिवार से आते हैं जिसके पास सीमित संसाधन थे क्योंकि पिता स्टेट रोडवेज में क्लास फोर कर्मचारी थे .
गांव पहुंचने पर उनके बचपन के दोस्त और गांव के क्रिकेट क्लब से साथी खादेनामल विदेरंगा मिल गए. विदेरंगा बताते हैं, ‘यह स्टोरी गलत है कि वह रोजी रोटी कमाने के लिए पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ने का काम करते था. हम सभी उसके साथ ये सब करते थे. वो सिर्फ मस्ती थी. काफी मस्त-मलंग था. हम दोनों गांव के फ्लाइंगबर्ड क्रीड़ा समाज नाम के क्लब से टेनिस बॉल से खेलते थे और उस समय भी वह इस अजीब एक्शन के साथ काफी तेज था और काफी विकेट लेता था.’
मलिंगा को श्रीलंकाई टीम में सबसे फिट खिलाड़ी माना जाता है. इसके लिए उसने ज्यादा काम नहीं किया है बल्कि उसके गांव से निकलने वाली रधगामा नदी उसकी फिटनेस राज है.
विदेरंगा कहते हैं, ‘लसित बहुत अच्छा तैराक है और वह इस एक किलोमीटर लंबी नदी के आरपार जा सकता है. वह बचपन से इस नदी में तैराकी करता आया है. यह कारण है कि उसकी फिटनेस काफी अच्छी है. श्रीलंका का पिछला वनडे खत्म होने के बाद वह गांव आया था और नदी में तैराकी करके गया.’
25 साल के विदेरंगा मछली पकड़ने का काम करते हैं और गांव में उन्हें मछली फंसाने के लिए जाल फेंकने का माहिर माना जाता है.
रगथामा से गॉल स्टेडियम तक की यात्रा इतनी आसान नहीं थी. लेकिन मलिंगा ने हर बाधा को पार किया और इस समय उन्हें श्रीलंका क्रिकेट का शाहरुख खान माना जाता है.
गॉल क्रिकेट स्टेडियम के दो किलोमीटर दूर मलिंगा का स्कूल महिंदा कॉलेज है. इस सरकारी कॉलेज का क्रिकेट को लेकर अपना रुतबा है. मलिंगा इस स्कूल में 2001-2006 तक रहे.
कॉलेज के खेल निदेशक और मलिंगा के कप्तान रहे दुमिंदा विक्रमासिंघे बताते हैं, ‘वह जब गॉल क्रिकेट क्लब के लिए खेलने आया तो मैं कप्तान था. उसकी गेंदबाजी में तेजी थी. उसका एक्शन अजीब था. लेकिन कभी भी किसी ने शिकायत नहीं की. उस समय उसके पास यॉर्कर बॉल नहीं थी. क्योंकि वह टेनिस की बॉल से गेंदबाजी करते थे, क्रिकेट की बॉल से काफी मेहनत करने के बाद ही उन्होंने यॉर्कर को डेवलप किया है. मेरा मानना है कि जितनी तेजी से उसने अपनी गेंदबाजी के पैना किया है, काबिले तारीफ है.’
विक्रमासिंघे कहते हैं, ‘उसकी एकुरेसी इसलिए भी है कि उसने पहले महिंदा कॉलेज में मेटिंग की पिच पर खेला है और मेटिंग पर गेंद को नियंत्रित करने के लिए काफी अभ्यास चाहिए. अच्छी बात यह है कि मौका मिलने पर वह अब भी कॉलेज के मैदान पर खेलने आता है.’
असल में सरकारी महिंदा कॉलेज में जाना उनके लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि इस स्कूल ने श्रीलंकाई क्रिकेट को अतुल समरसेखरा, जयनंदा वारनावीरा, मरवन अटापट्टू जैसे टेस्ट क्रिकेटर दिए.
महिंदा कॉलेज के पूर्व खिलाड़ियों का एक यूनियन भी है जो स्कूल के प्रतिभाशाली क्रिकेटरों का हुनर उबारने में मदद करती है. विक्रमासिंघे कहते हैं कि हाल ही में इस मैदान में इंडोर नेट सेंटर विकसित किया और इसके लिए मलिंगा ने काफी मदद की. वैसे मलिंगा ने अपने बचपन के दोस्त विदेरंगा को एक महंगा बैट भी गिफ्ट किया है जो उनके लिए जिंदगी की सबसे बड़ी अमानत है.
तस्वीरें - जसविंदर सिद्धू