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भारत-इंग्लैंड, मुंबई टेस्ट :  क्यों हारी इंग्लैंड टीम

बैटिंग, फील्डिंग, बॉलिंग... हर तरफ फेल रही मेहमान टीम

FP Staff

पहली पारी में 400 रन बनाकर भी शिकस्त का सामना करना पड़े, तो सवाल बहुत से उठते हैं. इंग्लैंड की हार पर भी सवाल उठेंगे. खासतौर पर इंग्लिश मीडिया ढेर सारे सवाल उठाएगा. प्रजेंटेशन सेरेमनी में विराट कोहली से सवाल पूछा गया कि दोनों टीमों के बीच फर्क क्या रहा. इस पर विराट का जवाब था – एप्लिकेशन. ये एक वजह पूरी सीरीज में दोनों टीमों के बीच बड़ा फर्क है. राजकोट टेस्ट के बाद इंग्लैंड के बल्लेबाजों में एप्लिकेशन यानी खुद को साबित करने की शिद्दत नहीं दिखाई दी है. वे बड़े आराम से समर्पण करते नजर आए हैं. इसके साथ, कुछ और गलतियां हुई हैं, जिनसे मुंबई टेस्ट और सीरीज मेहमान टीम ने गंवा दी है.

पहली पारी में विकेटों की झड़ी


एक समय इंग्लैंड का स्कोर दो विकेट पर 230 था. यहां से 334 रन के बीच छह विकेट खो दिए गए. भले ही पहली पारी में 400 का स्कोर अच्छा लग रहा हो. लेकिन पूरी सीरीज में ऐसा नहीं हुआ कि टीम के तौर पर अच्छा प्रदर्शन किया गया हो. कुछ खिलाड़ी अच्छा खेलते हैं, फिर धड़ाधड़ विकेट गिर जाते हैं. 334 पर आठ के बाद भी नौवें विकेट के लिए अगर 54 रन की साझेदारी नहीं होती, तो स्कोर 400 तक नहीं पहुंचता. ये वो समय था, जब पिच बल्लेबाजी के लिए बेस्ट थी.

भारतीय बल्लेबाजों को मौके

वानखेडे में तीन भारतीय बल्लेबाजों ने शतक जमाए. तीनों को जीवनदान मिला. विजय जिस वक्त 45 रन पर खेल रहे थे, उन्हें विकेट कीपर बेयरस्टो ने मौका दिया. रशीद की गेंद पर स्टंपिंग करने से चूक गए. भारत का स्कोर तब 90 पर एक था. उसके बाद, विराट कोहली को 68 रन पर जीवनदान मिला. रशीद ने कॉट एंड बोल्ड छोड़ा. तब स्कोर छह विकेट पर 315 था. विराट कोहली जिस फॉर्म में हैं, उन्हें जीवनदान देना मैच हारने से कम नहीं है. उसके बाद जयंत यादव का कैच कप्तान एलिस्टर कुक ने छोड़ा. जयंत तब आठ पर थे. जेम्स एंडरसन की गेंद पर कैच छूटा था. तब भारत का स्कोर सात विकेट पर 405 है. ये कैच भी ले लिया जाता, तो भारतीय पारी जल्दी सिमट सकती थी. आखिर में भुवनेश्वर कुमार का भी कैच छूटा.

मैच में गेंदबाजों का चयन

हर किसी को पता था कि मुंबई की पिच स्पिनर्स की मददगार होने वाली है. इंग्लैंड के कई खिलाड़ी लगातार ट्वीट करते रहे कि पिच अंडरप्रिपेयर्ड है. हालांकि इस पर बल्लेबाजी की जा सकती है, ये बात भारतीय बल्लेबाज लगातार साबित करते रहे. लेकिन अगर पिच में स्पिनर्स को मदद है, तो क्या कोई टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ उतर सकती है? इंग्लैंड ने यही किया. उनकी मजबूरी भी हो सकती है कि टीम में अच्छे स्पिनर नहीं हैं.

स्पिनर्स का रोल

एक तो दो स्पिनर्स के साथ टीम मैच में उतरी. उसके बाद लेकिन स्पिनर का रोल इससे समझा जा सकता है कि जो रूट जैसे गेंदबाज को दो विकेट मिल गए. वो भी सिर्फ 31 रन देकर. आदिल रशीद ने लगातार विराट कोहली को राउंड द विकेट क्रीज के बिल्कुल कोने से गेंद की. प्रयोग के तौर पर कुछ समय ऐसी गेंदबाजी ठीक थी. लेकिन राउंड द विकेट गेंदबाजी के लिए नियंत्रण बहुत जरूरी है, जो रशीद में नहीं दिखा. एक तो उन्होंने एलबीडबल्यू के मौके खत्म कर दिए. दूसरा, हर ओवर में शॉर्ट पिच या फुल टॉस जैसी गेंद करके वो दबाव पूरी तरह खत्म कर देते थे.

दूसरी पारी में भी नहीं दिखी इच्छाशक्ति

इंग्लैंड की दूसरी पारी तक तो गेंद जबरदस्त टर्न ले रही थी. ऐसे में उनका टिकना बहुत मुश्किल लग रहा था. फिर भी सिर्फ दो बल्लेबाजों का 20 रन से ऊपर स्कोर बना पाना दिखाता है कि किसी बल्लेबाज ने अड़ जाने की जिद नहीं दिखाई. जो रूट के 77 और बेयरस्टो के 51 रन के अलावा कोई अच्छा स्कोर इंग्लिश टीम की तरफ से नहीं था.