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कप्तानी छोड़ने के बाद फिर दिखेंगे धोनी के लंबे छक्के?

कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी का बल्लेबाजी में दिखेगा पुराना रूप?

Lakshya Sharma

महेंद्र सिंह धोनी ने वनडे और टी20 टीम से कप्तानी छोड़ दी है. उनके कप्तानी छोड़ते ही क्रिकेट फैंस के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. महेंद्र सिंह धोनी ने लगभग 9 साल भारतीय टीम की कमान संभाली है. इसलिए अब ये देखना दिलचस्प होगा कि नये कप्तान विराट कोहली उनका कैसे उपयोग करते हैं.

कप्तानी से पहले धोनी ने एक खिलाड़ी की तौर पर 84 वनडे खेले हैं. इन 84 वनडे में उन्होंने 2477 रन बनाए हैं वो भी करीब 45 की औसत से. बिना कप्तानी खेलते हुए उनकी स्ट्राइक रेट करीब 97 की रही.


कप्तानी मिलने के बाद उनकी औसत तो बढ़ी लेकिन स्ट्राइक रेट कम हुई. भारत की कप्तानी करते हुए धोनी ने 199 वनडे खेले हैं. इन 199 वनडे में उनके नाम 6633 रन है. इस दौरान उनकी औसत 54 की रही, इसे कप्तानी का दबाव कहें या जिम्मेदारी,  कप्तान रहते हुए उनकी स्ट्राइक रेट 96 से घट कर 86 की रह गई.

अब सवाल ये है कि धोनी कप्तानी छोड़ चुके हैं तो क्या वह उसी प्रदर्शन को दोहराएंगे जो करियर की शुरुआत में उनकी पहचान थी. अब न तो उनके ऊपर प्लेइंग इलेवन चुनने का दबाव होगा और न ही फील्डिंग लगाने का. अब वह अपना पूरा ध्यान अपनी बल्लेबाजी पर लगा सकते हैं.

हाल के समय में धोनी के साथ एक परेशानी ये भी है कि वह पिछले कुछ समय से  फिनिशर की भूमिका सही तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं. बल्लेबाजी में उनके रिफलेक्सस भी धीमी हो गए है. जिसके कारण उनकी बल्लेबाजी काफी फीकी नजर आ रही है.

लेकिन एक रिकॉर्ड कहें या संयोग धोनी अपने पुराने दो कप्तानों- सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के प्रदर्शन से सीख ले सकते हैं. पहले सौरव गांगुली की बाद करते हैं. आपको याद होगा कि साल 2005- 06 में गांगुली को उस वक्त न केवल कोच ग्रेग चैपल के कारण कप्तानी छोड़नी पड़ी बल्कि टीम से वह बाहर भी हो गए. लेकिन दादा ने एक खिलाड़ी के तौर पर शानदार वापसी की.

वापसी वाले प्रदर्शन के दौरान उनके ऊपर न तो कप्तानी का दबाव दिखा और न ही किसी विवाद का. कप्तानी जाने के बाद उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया. आंकड़ों  के हिसाब से देखे तो गांगुली की करियर औसत 42 के लगभग की है. वहीं वापसी के बाद उनकी औसत 46 की रही. साफ है कि गांगुली ने सिर्फ अपने खेल का मजा लिया और एक यादगार विदाई ली.

राहुल द्रविड़ का प्रदर्शन भी कुछ इसी तरह का रहा. कप्तान के तौर पर उन्होंने भारतीय इतिहास का सबसे बुरा दौर देखा. भारतीय टीम वेस्टइंडीज में हुए 2007 के वर्ल्डकप में पहले ही दौर में बाहर हो गई. उस समय न तो उनकी कप्तानी चल रही थी और न ही बल्लेबाजी.

इसके बाद द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ते हुए एक खिलाड़ी के तौर पर खेलने का फैसला किया. इस फैसले ने उनके डूबते करियर को बचा लिया. कप्तानी से हटने के बाद द्रविड़ ने जमकर रन बनाए. टेस्ट में उन्होंने इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया सभी बड़ी टीमों के खिलाफ जमकर रन बनाए. वनडे और टी20 टीम को अलविदा कह चुके द्रविड़ संन्यास के बाद टीम में बुलाया गया.

इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद फैंस धोनी से कर रहें है. अब नजर विराट कोहली पर भी रहेगी कि वह धोनी को कौन से क्रम पर बल्लेबाजी करवाना चाहते हैं. क्या वह उनसें चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करवाना चाहते हैं या वह धोनी को वही फिनिशर की भूमिका देंगे जिसके लिए वह जाने जाते हैं.

फैंस तो यही उम्मीद कर रहे है कि धोनी के लंबे-लंबे छक्के फिर से दिखेंगे. फैंस की तरह विराट कोहली ने भी बता दिया है कि वह भी चाहते हैं कि धोनी बल्लेबाजी में ऊपर आएं और अपना स्वाभाविक खेल खेलें. लेकिन क्या धोनी अपने प्रदर्शन को दोहरा पाते हैं या नहीं, ये आने वाला वक्त ही बताएगा.