view all

आखिर कप्तान कोहली के लिए खतरे का संकेत क्यों है यह ठुस्स सीरीज!

श्रीलंका में 3-0 की जोरदार जीत के बावजूद कोहली-शास्त्री की अग्निपरीक्षा अभी बाकी है

Jasvinder Sidhu

जैसी उम्मीद थी कि रवि शास्त्री के हेड कोच बनने के बाद ड्रेसिंग रूम में मुस्कुराहट लौटेगी, अब चेहरों पर खुशी के अलावा टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम से पंजाबी गानों की आवाज भी सुनी जा सकती है. हार्दिक पांड्या जब स्पिनर मलिंदा पुष्पकुमारा को एक ओवर में दो चौके और तीन छक्के ठोक रहे थे तो बाकी मैंबर्स के ठहाके देखने लायक थे.

श्रीलंका तीनों टेस्ट मैचों में धराशायी हैं. इससे ज्यादा गिरा-गिरा कर किसी को मारा नहीं जा सकता और इसके लिए कप्तान विराट कोहली को पूरा श्रेय मिलना चाहिए और वह हर तरह का जश्न मनाने के हकदार हैं.


क्या हैं इस जीत के मायने?

लेकिन यहां एक सवाल है कि क्या दक्षिण अफ्रीका के बेहद ही मुश्किल दौरे से ठीक पहले एक बेहद ही कमजोर टीम के खिलाफ एकतरफा व ठुस्स सीरीज खेलने का लाभ टीम को मिलेगा! खासकर कोहली के लिए इस तरह की जीत के क्या मायने हैं ?

इस सीरीज से पहले कोहली और पूर्व कोच अनिल कुंबले के बीच जो कुछ भी हुआ, सभी को जानकारी है. उसके बाद जिस तरह से कोहली अपनी मर्जी का कोच टीम में लाने में कामयाब हुए,वह भी सभी ने देखा हैं.

साफ है कि कोहली व शास्त्री की जुगलबंदी की असली परीक्षा साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के दौरे हैं. वहां पर श्रीलंका जैसा प्रदर्शन इन दोनों की स्थिति का मजबूत करेगा.

कोहली के लिए खतरे की घंटी!

श्रीलंका की कमजोर गेंदबाजी के सामने सात शतक बने और उनमें से एक नाबाद  कोहली का भी है जो उन्होंने गॉल में उस समय बनाया जब मेजबान टीम कई सौ रन पीछे थी और उसे हर हाल में फॉलोआन खेलना था.

उस 103 रन की पारी के मिला कर तीन मैचों की चार पारियों में कोहली के अब तक 161 रन हैं और वह हार्दिक पांड्या से 17 रन पीछे हैं जबकि स्पिनर आर अश्विन को अपने कप्तान के बराबर आने के लिए सिर्फ 29 रन चाहिएं.

यहां एक सवाल और उठता है कि आखिर इन आंकड़ों की बात क्यों हो रही है ?

जिन पिचों पर निचले क्रम के बल्लेबाज रन बना रहे हैं, कप्तान सस्ते में अपनी विकेट गंवाते जा रहे हैं जो कि उनके लिए अच्छा संकेत नहीं हैं.

कप्तान को उनकी मर्जी का कोच मिला, उनकी पसंद की टीम मिली और अब कप्तान से उम्मीद की जाएगी कि वह अपने इस रुतबे के साथ न्याय करे और अहम सीरीज में टीम के लिए रन बनाए.

ऐसा नहीं होने वाला कि श्रीलंका के खिलाफ एकतरफा जीत के बाद कप्तान के आलोचक उन्हें आसानी से जाने देंगे.  साउथ अफ्रीका व इंग्लैंड की पिचों पर टीम व कप्तान के आंकड़ों पर सभी की निगाह रहेगी.

इस उप-महाद्वीप के बाहर स्कोर बोर्ड पर कोहली के लगातार रन ही बतौर कप्तान और बल्लेबाज उनका भविष्य तय करेंगे क्योंकि अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा जैसे बल्लेबाज इस दौड़ में कभी भी बराबरी पर आने में सक्षम हैं.

जाहिर है कि आगामी सीरीज को लेकर कोच और कप्तान पर दवाब नजर आ रहा हैं.

असली इम्तिहान तो अब शुरू होगा

कोलंबो टेस्ट शुरू होने के एक दिन पहले हेड कोच शास्त्री से दक्षिण अफ्रीका के आगामी दौरे पर सवाल किया गया.

शास्त्री ने अपने चिर परिचित अंदाज में जवाब दिया, 'मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा हूं. मैं वर्तमान में जीता हूं. हम गॉल में जीतने के बाद सीरीज में 1-0 से आगे हैं और अभी मकसद इस लीड को बरकरार रखना है.’

गॉल और कोलंबो में आसान जीत के बाद कप्तान कोहली से भी  यह सवाल किया गया.

कप्तान का जवाब था,  ईमानादारी के कहूं हम घर या घर बाहर टेस्ट मैच जीतने या टेस्ट क्रिकेट के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहे हैं. हम  टेस्ट मैच को टेस्ट मुकाबले की तरह ही खेलना चाहेंगे और हम हर जगह जीतना चाहते हैं. टीम के मैच जीतने होंगे, चाहे पिच और हालात कैसे भी हों. टीम को भविष्य में भी जीतने की आदत डालनी होगी.’

कप्तान और कोच दोनों अभी श्रीलंका सीरीज से आगे देखने को तैयार नहीं हैं.

लेकिन यह तय है कि अगले आगामी विदेशी दौरों पर अगर वह खुद नाकाम रहते हैं और टीम लगातार जीत हासिल करती है तो वह सेफ हैं. टीम हारी और उनसे रन भी न बने तो कप्तान से साथ उनके साथी कोच को भी काफी सवालों का जवाब देना पड़ेगा.