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तो क्या डीडीसीए में सिर्फ अपनी मर्जी चलाते हैं रजत शर्मा?

डीडीसीए के सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बीसीसीआई का नया संविधान आने पर फिर से चुनाव होना तय है

Bhasha

दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ के चुनाव के डेढ महीने बाद ही अंतर्कलह शुरू हो गई है जबकि शीर्ष दो अधिकारियों के बीच अहम मसलों पर फैसले लेने को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. रजत शर्मा डीडीसीए के अध्यक्ष हैं जबकि विनोद तिहाड़ा सचिव हैं.

डीडीसीए के सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बीसीसीआई का नया संविधान आने पर फिर से चुनाव होना तय है.


तिहाड़ा ने शर्मा को लिखे पत्र (जिसकी प्रति मीडिया को जारी की गई) में आरोप लगाया कि डीडीसीए अध्यक्ष अकेले फैसले ले रहे हैं और सचिव के तौर पर उनके पद का अपमान कर रहे हैं.

उधर शर्मा ने मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा कि सभी फैसले 12 निदेशकों से मशविरे के बाद लिए गए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ नकारात्मक तत्व निहित स्वार्थों के चलते झूठ फैला रहे हैं.

डीडीसीए अध्यक्ष की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया ,‘हम बताना चाहते हैं कि डीडीसीए में कुछ नकारात्मक तत्व निहित स्वार्थों के चलते झूठ फैला रहे हैं ताकि कार्यकारी के भीतर मतभेद पैदा हों. हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम सभी एकजुट हैं और अपने अध्यक्ष रजत शर्मा द्वारा चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

शर्मा गुट से डीडीसीए का चुनाव लड़ने वाले तिहाड़ा ने शर्मा को लिखे जवाब में कहा ,‘‘आप डीडीसीए में नए थे और कभी क्रिकेट नहीं खेला और ना ही अतीत में डीडीसीए से जुड़े रहे. हमारे सहयोग के बिना आपके लिए चुनाव जीतना इतना आसान नहीं होता. आप पदासीन होने के बाद मसलों पर मशविरा भी नहीं करते और ना ही निदेशकों की सहमति या राय लेते हैं. डीडीसीए का सचिव होने के नाते आपका कर्तव्य है कि हर मसले पर मेरी सहमति ली जाए.’