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कुछ यूं विराट और शास्त्री के स्टार स्पिनर्स को स्टंप कर गया खतरों से खेलने वाला यह खिलाड़ी

ICC T-20 रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज चाइनामैन गेंदबाज Kuldeep Yadav खतरों से खेलने की क्षमता रखते हैं, तभी वह बाकी के दो फॉरमेट में भी टीम की टॉप स्पिनर बन कर उभरे हैं

Jasvinder Sidhu

भारतीय क्रिकेट में ऐसा बहुत की कम होता है. 2017 में टेस्ट डेब्यू करने वाले लेफ्ट आर्म स्पिनर कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) इतने कम समय में टीम इंडिया के लीड बॉलर्स आर अश्विन (R. Ashwin) और रवींद्र जडेजा (Ravindra jadeja) से कहीं आगे निकल आए हैं. हालात ये हैं कि इस समय इन दोनों गेंदबाजों की तुलना में टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और रवि शास्त्री (Ravi Shastri) को कुलदीप पर गजब का भरोसा है.

अभी एक दिन पहले ही कुलदीप आईसीसी की टी-20 रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज हुए हैं. असल में टी-20 में इस चाइनमैन गेंदबाज की खतरों से खेलने की क्षमता के कारण है वह बाकी के दो फॉर्मेट में भी टीम के टॉप स्पिनर बन कर उभरे हैं. टी20 के तूफानी फॉर्मेट में कोई भी गेंदबाज ज्यादा रन लुटा कर अपने करियर को खतरे में डालने का जोखिम कभी नहीं लेगा. इसके लिए कई तरह की गेंदें ईजाद की गईं. ऑफ स्टंप के बाहर यॉर्कर सबसे अच्छा उदहारण है. यानी गेंद को ऑफ स्टंप के बाहर बल्लेबाज के बैट की पहुंच के बाहर डालते रहो. इससे न तो रन जाएंगे और न ही गेंद खराब होगी.


विदेशों में मुख्य स्पिनर बन गए हैं कुलदीप

लेकिन यादव ने रनों की लूटे वाले इस फॉर्मेट में गेंद को हवा में छोड़ने का जोखिम उठा कर अपने करियर को मजबूती प्रदान करने में कामयाबी पाई है. कुलदीप का अपनी फ्लाइट के साथ गेंद के घूमाव और लाइन एंड लेंथ पर जबरदस्त कंट्रोल है. उनके पास गुगली सहित कुछ गेंदों की किस्म हैं, जो बल्लेबाज को हैरान-परेशान कर रही हैं. अपने इस जोखिम की बदौलत कुलदीप कप्तान और कोच के भरोसे पर कब्जा करने में कामयाब हुए हैं.

अभी कुछ दिन पहले की ही बात है. हेड कोच रवि शास्त्री ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा था कि कुलदीप विदेशी दौरे पर टीम के मेन यानी प्रमुख स्पिनर बन गए हैं. वह विदेशी दौरे पर पांच विकेट हासिल करने में कामयाब रहे हैं. टीम के बाकी स्पिनरों का भी टाइम बाकी है लेकिन कुलदीप विदेशी दौरे पर उनके फ्रंटलाइन नंबर वन स्पिनर हैं. 2017 से कुलदीप ने छह टेस्ट मैचों की दस पारियों में 3.15 की औसत से 24 विकेट हासिल किए हैं जो काफी प्रभावित करने वाला प्रदर्शन है. 18 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में अब तक 6.72 की किफायत से 35 विकेट टीम को दिए हैं. वनडे में भी उनके 39 मैचों में 4.77 की एवरेज से 77 विकेट हैं.

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जोखिम लेना कुलदीप के हक में

साफ है कि कुलदीप की रन खर्च करने की चिंता के बिना जोखिम उठा कर बॉलिंग करने की दिलेरी उन्हें इस मुकाम तक लाने में मददगार साबित हुई है. उनके हर विकेट के लिए खर्च किए गए रनों का औसत देखने के बाद साफ होता है कि यह जुआ उनके हक में ही गया है. कुलदीप को इस बेहतरीन समय के लिए कानपुर के अपने कोच कपिल पांडे का शुक्रिया अदा करना चाहिए.

असल में जब कुलदीप ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उन्होंने पेस बॉलर बनने की ठानी थी. उनका कद तेज गेंदबाजों वाला नहीं था. सर्विसेज की ओर से रणजी ट्रॉफी खेल चुके पांडे ने कुलदीप को स्पिन गेंदबाजी पर ही जोर देने की सलाह दी. युवा कुलदीप को वह सलाह पसंद नहीं आई. लेकिन उन्होंने स्पिन पर अपने हाथ आजमाना शुरू कर दिया. फिर गेंद को मिलने वाले टर्न से उनका विचार भी गुलाटी मार गया और उन्होंने स्पिन गेंदबाजी को अपनाने की फैसला कर लिया और बाकी सब इतिहास है . फिलहाल वह टीम को अहम मौके पर विकेट दिलाने वाले गेंदबाज के रूप में उभरे हैं. उनका यह योगदान भविष्य में कितना लंबा चलता है, यह अभी देखना बाकी है.