रिकॉर्ड बनाना सबको अच्छा लगता है. कुछ रिकॉर्ड ऐसे होते हैं, जिनके पीछे खिलाड़ी भागते हैं और कुछ ऐसे होते हैं, जिनसे खिलाड़ी दूर भागते हैं. किसी भी बल्लेबाज के लिए किसी टूर्नामेंट में सबसे अधिक बार शून्य पर आउट होना एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसे कोई खिलाड़ी अपने नाम नहीं करना चाहेगा. लेकिन कभी-कभी रिकॉर्ड बनाए नहीं जाते, बन जाते हैं.
चैंपियंस ट्रॉफी की बात की जाए तो इस प्रतिष्ठित आयोजन में सबसे अधिक बार शून्य पर आउट होने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉटसन के नाम है. वॉटसन 17 मैचों में चार बार शून्य पर आउट हुए हैं. उनके नाम हालांकि दो शतक और दो अर्धशतक भी हैं.
अब वॉटसन जैसा बल्लेबाज कभी भी नहीं चाहेगा कि वह शून्य पर आउट हो. उसका नाम किसी टूर्नामेंट में सबसे अधिक बार शून्य पर आउट होने वाले बल्लेबाजों की सूची में दर्ज हो. यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जो न चाहते हुए भी बन जाता है.
वॉटसन के बाद बांग्लादेश के हबीबुल बशर, न्यूजीलैंड के नैथन एस्टल, पाकिस्तान के शोएब मलिक, श्रीलंका के सनथ जयसूर्या तीन-तीन मौकों पर शून्य पर आउट हुए हैं. इसके अलावा दर्जनों खिलाड़ी ऐसे हैं, जो दो बार इस टूर्नामेंट में बिना कोई स्कोर बनाए विदा हुए हैं.
इस साल चैंपियंस ट्रॉफी में जितने भी खिलाड़ी खेल रहे हैं, उनमें से इंग्लैंड के जोस बटलर और स्टुअर्ट ब्रॉड अब तक दो-दो बार शून्य पर आउट हो चुके हैं. बटलर ने पांच मैच खेले हैं जबकि ब्रॉड ने आठ मैच खेले हैं.
इंग्लैंड की टीम इस साल चैंपियंस ट्रॉफी में खेल रही है और ऐसे में बटलर और ब्रॉड की कोशिश खुद को इस अनचाहे रिकॉर्ड से बचाने की होगी.
मजेदार बात यह है कि भारतीय बल्लेबाजों के लिए यह टूर्नामेंट काफी अच्छा रहा है. अब तक सिर्फ दिनेश मोंगिया (दो बार) ही इस टूर्नामेंट में एक या उससे अधिक बार शून्य पर आउट हुए हैं लेकिन कुछ भारतीय बल्लेबाज ऐसे भी हैं, जो इस साल इस फेरहिस्त में ऊपर आने से खुद को बचाने के लिए प्रयास करते नजर आएंगे.