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जन्मदिन विशेष: क्रिकेट में 'टीम मैन' या 'जेंटलमैन' की परिभाषा है द्रविड़

11 जनवरी को भारतीय क्रिकेट में 'द वॉल' के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ का जन्मदिन है, वह 46 साल के हो गए

Riya Kasana

भारतीय क्रिकेट में एग्रेशन के नाम पर आपको सौरव गांगुली याद आ सकते हैं या शायद विराट कोहली. स्टाइल के मामले में अजहरुद्दीन का कॉलर स्टाइल याद आ जाता है. दबाव में भी ठंडे दिमाग से टीम को जीत दिलाने के लिए महेंद्र सिंह धोनी को कैप्टन कूल का टैग लोग दे ही चुके हैं. पर भारतीय क्रिकेट में सादगी के साथ एक ही नाम जोड़ते आ रहे हैं. वो है राहुल द्रविड़.

द्रविड़ एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने भारतीय क्रिकेट को बड़ी जीत और पारियों के साथ कई अहम सीख भी दी. यह वो शख्स हैं, जिसने जरूरत पड़ने पर कीपिंग ग्लव्ज भी थामे और विवादों के बीच टीम की कप्तानी भी. 2011 में इसी टीम पर बोझ ना बनने के लिए सेलेक्शन होने के बावजूद रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया. द्रविड़ ने देश को बताया कि क्रिकेट अगर जेंटलमैन खेल हैं तो क्यों वह इस खेल के सबसे बड़े महारथी हैं.


असली टीम मैन की परिभाषा हैं द्रविड़

द्रविड़ को जब भी कोई जिम्मेदारी दी गई उन्होंने उसे पूरी ईमानदारी से निभाया. बिना यह सोचे कि उन्हें वह जिम्मेदारी आखिरी विकल्प के तौर पर दी जा रही है. गांगुली और ग्रेग चैपल के विवाद ने बेशक टीम पर बहुत प्रभाव डाला. उसी दौर में राहुल द्रविड़ को कप्तानी सौंपी गई. द्रविड़ को कप्तानी उस वक्त दी गई जब टीम पहले ही मुश्किलों से गुजर रही थी. लेकिन उन्होंने ना सिर्फ कप्तानी संभाली बल्कि टीम के हालातों को भी संभाला. मजबूरी में ही सही पर द्रविड़ ने जिस भी जिम्मेदारी को निभाया उसे अपना सब कुछ झोंककर निभाया.

द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट फैंस को क्रिकेट में वापस भरोसा करने की वजह दी. 2001 में टीम फिक्सिंग स्कैंडल विवाद में फंस चुकी थी. देश और विदेशों में मिल रही लगातार हार से भारतीय फैंस का भरोसा टीम पर से उठने लगा था. उसी दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत आई. मुंबई में पहले मैच में हारने के बाद टीम जीत के लिए जूझ रही थी. कोलकाता में हुए दूसरे टेस्ट मैच में द्रविड़ को छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतारा गया था. द्रविड़ और लक्ष्मण ने दूसरी पारी में 335 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी करके टीम को संकट से उबारा और जीत की नींव रखी. वह जीत एक तरह से भारतीय क्रिकेट को पूरी तरह बदलने वाली साबित हुई.

‘द वॉल’ के टेस्ट रिकॉर्ड और उनके खेलने का तरीका देखकर तमाम  लोग उन्हें लिमिटेड ओवर्स के लायक नहीं मानते. हालांकि तमाम बार द्रविड़ ने लोगों की सोच को गलत साबित किया. उन्होंने खुद ही तय किया था कि वो कभी टी 20 नहीं खेलेंगे. लेकिन करियर के अंत में उन्होंने एक टी 20 मैच भी खेला.

इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में खेले गए इस मैच के 11वें ओवर में समित पटेल की लगातार तीन गेंदों में तीन छक्के जड़ दिए. नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े रहाणे ने अपने रोल मॉडल से इस तरह के खेल की उम्मीद नहीं की थी और यह उनके चेहरे के भाव से साफ जाहिर था. अपने इस डेब्यू या कह लीजिए आखिरी मैच में उन्होंने 23 गेंदों में 31 रनों की पारी खेली. उसके बाद उन्होंने आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स टीम को खड़ा करने में अहम रोल निभाया. खासतौर पर वहां युवा खिलाड़ियों के साथ राहुल द्रविड़ ने जिस तरह की कामयाबी हासिल की, वो दिखाती है कि किस तरह का वर्क कल्चर उन्होंने टीम में विकसित किया था.

द्रविड़ का नया रोल

आज सालों बाद भी द्रविड़ के जिम्मेदार कंधों पर एक अहम जिम्मेदारी है. वह देश के अंडर 19 और इंडिया ए टीम के कोच हैं. जिस वक्त कभी उनके साथ खेले तमाम दिग्गज या तो सीनियर टीम के लिए कोच का पद ढूंढ रहे थे या खुद ही उसकी दावेदारी कर रहे थे, उस वक्त द्रविड़ ने फैसला किया कि अब वह भारत के युवाओं के साथ काम करने चाहते हैं. आज राहुल एक नई भूमिका में दुनिया के सामने हैं.

भारतीय अंडर 19 क्रिकेट टीम अपने कोच द्रविड़ के साथ न्यूजीलैंड में दुनिया जीतने के लिए 14 तारीख से अभियान से शुरू होगा. इस टीम को तैयार करने में भी द्रविड़ ने दो साल का समय लिया. उनकी कोशिश थी कि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों के पूल से टीम चुनी जाए. राहुल द्रविड़ फैंस के लिए भरोसे का दूसरा नाम रहे हैं और अब यही भरोसा द्रविड़ को अपनी इस युवा टीम पर है जो शायद द्रविड़ को वर्ल्ड कप की जीत की स्वाद चखा सके.

(ये लेख इससे पहले 11 जनवरी 2018 को प्रकाशित हो चुका है, इसे आज दोबारा प्रकाशित किया गया है)