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जन्मदिन विशेष: जब एक आर्टिकल ने सिद्धू को बना दिया 'सिक्सर सिद्धू'

जब मोहम्मद अजहरुद्दीन से विवाद के बाद बीच में छोड़ आए इंग्लैंड दौरा

Lakshay Sharma

नवजोत सिंह सिद्धू, शायद अब आप ये नाम सुनते हैं तो कपिल शर्मा के शो में हंसता हुआ इंसान आपके जेहन में सबसे पहले आता है. अपने ठहाके और शायरी के कारण लोगों के दिल में जगह बना चुके सिद्धू को जिंदगी का असली ऑलराउंडर कहा जा सकता है. अपने समय में शानदार क्रिकेट खेलने के बाद उन्होंने टीवी और राजनीति की पारी में भी अपना कमाल दिखाया.

नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला जिले में हुआ था. उनके पिता सरदार भगवंत सिंह सिद्धू भी एक क्रिकेट खिलाड़ी थे और वो अपने बेटे नवजोत को एक उच्च श्रेणी के क्रिकेटर के रूप में देखना चाहते थे.  सिद्धू ने पटियाला में ही अपनी शिक्षा पूरी की. सिद्धू पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई कर चुके हैं.


नवजोत सिंह सिद्धू ने 1983 से लेकर 1999 तक इंटरनेशनल क्रिकेट में धूम मचाई. सिद्दू ने अपना पहला टेस्ट 1983 में खेला था, लेकिन उनकी शुरुआत काफी फीकी रही और उन्हें सिर्फ दो टेस्ट मैच के बाद ही टीम से बाहर कर दिया गया.

अखबार के आर्टिकल ने बदली सिद्धू की किस्मत

सिद्धू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरुआत में फेल होने के बाद हर जगह उनकी आलोचना हो रही थी. उस वक्त इंडियन एक्सप्रेस के जाने माने पत्रकार राजन बाला ने उन पर एक आर्टिकल लिखा जिसका शीर्षक था, सिद्धू, द स्ट्रोकलेस वंडर. इस आर्टिकल को देखने के बाद उन्हे काफी धक्का लगा.

सिद्धू ने बताया कि इस आर्टिकल की वजह से उनके पिता की आंखों में आंसू आ गए थे और उन्होंने पहली बार अपने पिता को रोते हुए देखा था. बस यहीं से एक नए सिद्धू ने जन्म लिया. उसके बाद उन्होंने दिन रात मेहनत की और फिर से भारतीय टीम में अपनी जगह बनाई.

इसके बाद सिद्धू ने 1987 के वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन किया और 7 मैचों की 5 पारियों में 4 अर्धशतक की बदौलत सबसे ज्यादा 276 रन बनाए. इस पूरे टूर्नामेंट में उनके बल्ले से 10 छक्के निकले. इसके बाद राजन बाला ने उन पर फिर से आर्टिकल लिखा. जिसका शीर्षक था, ‘सिद्धू, फ्रोम स्ट्रोकलेस वंडर टू ए पामग्रोव हिटर’

इसके बाद सिद्धू ने लगातार अच्छा प्रदर्शन जारी रखा. 1993 से 1998 तक उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में रनों का अंबार लगाया. लंबे लंबे छक्कों के कारण उनका नाम ही सिक्सर सिद्धू पड़ गया था.

सिद्धू ने 51 टेस्ट में 42 से ज्यादा की औसत से 3202 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 9 शतक भी लगाए. वनडे में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा. 136 वनडे में उन्होंने करीब 37 की औसत से 4413 रन बनाए. वनडे में भी उन्होंने 6 शतक जमाए थे. सिद्धू अच्छे फील्डर नहीं थे. लेकिन आखिरी सालों में उन्होंने फील्डिंग पर बहुत काम किया, जिस वजह से उन्हें जोंटी सिद्धू नाम मिला.

मोहम्मद अजहरुदीन से विवाद के बाद बीच में छोड़ आए दौरा

1996 मे इंग्लैंड दौरे से वो वापस घर लौट आए थे क्योंकि उन्हें लगता था कि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन उन्हें गालियां सुना रहे थे. सुनील गावस्कर ने भी इसका जिक्र करते हुए बताया था कि पूरी टीम ने सिद्धू से पूछा था कि क्या बात हुई लेकिन सिद्धू ने किसी को ये बात नहीं बताई.

बाद में इसके लिए एक कमेटी बनी, जिसमें मोहिंदर अमरनाथ को यही सोचकर रखा गया कि वे पंजाबी हैं. शायद एक पंजाबी दूसरे पंजाबी के साथ ज्यादा सहज होकर बात करे. अनुशासन समिति के सामने भी सिद्धू नहीं बोले. फिर लंच टाइम में मोहिंदर उन्हें लेकर बाहर गए. फिर जोर-जोर से हंसते हुए लौटे और कहा कि केस को यहीं खत्म कर देना चाहिए. पता चला कि मोहम्मद अजहरुद्दीन हैदराबादी भाषा में कुछ बोलते थे जो पंजाबी भाषा में गाली थी. लेकिन हैदराबादी भाषा में वह गाली नहीं होती थी. मोहिंदर ने अजहर को यह बात समझाई. हालांकि अब दोनों के रिश्ते बिल्कुल सामान्य है.

इतनी शायरी कैसे कर लेते हैं सिद्धू?

1999 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सिद्धू ने 2001 में भारत के श्रीलंका दौरे से बतौर कमेंटेटर अपना करियर शूरू कर दिया. कमेंटेटर के तौर पर सिद्धू ने अपनी अलग पहचान बनाई और वो अपनी वन लाइनर्स के कारण फेमस हो गए. लेकिन यकीन मानिए सिद्धू जब खेलते थे तो वह ज्यादा नहीं बोलते थे और अक्सर चुप ही रहते थे. मैन ऑफ द मैच बनने के बाद वह क्या बोलेंगे वह इस बात से काफी डरते थे

कहा जाता है कि करियर के अंतिम पड़ाव में उन्होंने स्वामी विवेकानंद की किताब पढ़ना शुरू कर दिया, इसके बाद तो उनकी जिंदगी ही बदल गई. अब ज्यादा बोलना और शायरी ही उनकीं पहचान बन चुकी है. कहा तो ये भी जाता है कि शायरी और बोलने की उन्होंने स्पेशल ट्रेनिंग भी ली थी जिसके कारण उनमें ये बदलाव हुआ.

राजनीति में भी खेल रहे हैं लंबी पारी

नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 के आम लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अमृतसर की सीट पर विजय हुए. इसके कुछ समय बाद कोर्ट केस होने की वजह से उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था लेकिन दोबारा बहुमत से वो अपनी सीट पर कायम रहे.

2009 के आम लोकसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6858 मतों से हराया और अमृतसर की सीट पर कायम रहे. 2014 के आम लोकसभा चुनावों में उन्हें अमृतसर की सीट तो नहीं मिली लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का काफी प्रचार प्रसार किया. लेकिन इसके बाद कुछ विवादों के कारण उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. इस समय वह पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री के पद पर काबिज हैं.