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क्या स्पिनर हैं इस सीरीज का सबसे बड़ा फर्क?

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में स्पिनर्स ने निभाया है बड़ा रोल

Srinath Sripath

इंग्लैंड की टीम जब बांग्लादेश में उनके नए नवेले ऑफ स्पिनर मेंहदी हसन के आगे संघर्ष कर रही थी, तभी से ये कयास लगने शुरू हो गए थे कि शायद ये इंग्लिश टीम भारतीय स्पिनर्स के आगे न टिक पाए. दो टेस्ट मैचों में ही बांग्लादेश के इस औसत स्पिनर ने 19 विकेट झटके थे.

बांग्लादेश के स्पिनर्स के आगे घुटने टेकने के बाद इंग्लैंड की मीडिया ने अपने ही खिलाड़ियों की काबिलियत पर सवाल उठा दिए. इंग्लिश मीडिया ने कहा कि जब हमारे बल्लेबाज नए स्पिनर का मुकाबला नहीं कर पाए तो भारत के वर्ल्ड क्लास स्पिनर्स का सामना कैसे करेंगे.


बांग्लादेश में सीरीज 1-1 से बराबर करने के बाद भारतीय सरजमीं पर 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने आई इंग्लैंड की टीम सीरीज शुरू होने से पहले ही कमजोर मानी जा रही थी. राजकोट में टॉस जीतने और बड़ा स्कोर खड़ा करने के बाद पांचवें दिन मेहमानों ने भारतीय टीम को दबाव में डाला था. उम्मीद थी कि इंग्लैंड दूसरे टेस्ट में भी यही प्रदर्शन बरकरार रखेगा. लेकिन उनका प्रदर्शन सुधरने के बजाय बद से बदतर ही होता गया.

भारतीय स्पिनरों से खौफ में इंग्लैंड के बल्लेबाज

सीरीज में अब तक इंग्लैंड ने कुछ कमाल नहीं किया है. अगर मोहाली टेस्ट में एलिस्टर कुक के आउट होने का तरीका देखा जाए तो उससे काफी कुछ साफ होता है. समझ आता है कि भारतीय गेंदबाजों का इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर कितना खौफ है और वे उनके खिलाफ कितना संघर्ष कर रहे है.

राजकोट की पिच में असमान उछाल था, जिसका फायदा इंग्लैंड को भी मिला था. इंग्लैंड के बल्लेबाज भारतीय बल्लेबाजों की तरह मानसिक तौर पर मजबूत नहीं दिख रहे हैं. ये उनके प्रदर्शन में साफ देखा जा सकता है कि वे किस तरह एक अनुशासित गेंदबाजी आक्रमण के सामने संघर्ष कर रहे हैं.

प्लानिंग के मुताबिक गेंदबाजी कर रहे हैं स्पिनर

दोनों टीमों के प्रदर्शन की अगर तुलना की जाए तो इंग्लैंड की टीम में निरंतरता  की कमी साफ देखी जा सकती है. भारतीय स्पिनर एक प्लानिंग के तहत गेंदबाजी कर रहे हैं. पिछले दो टेस्ट मैचों में भारतीय स्पिनर्स विकेट को निशाना बना रहे हैं और इंग्लैंड के बल्लेबाजों के बैकफुट को टेस्ट कर रहे हैं. उन्हें ये पता नहीं चल रहा था कि उन्हे बॉल को फ्रंट फुट पर खेलना है या बैकफुट पर. ये दिखाता है कि मानसिक तौर पर मजबूती और निरंतरता स्पिनर्स के माकूल पिचों पर कितनी कारगर होती है.

इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर माइकल आथर्टन ने कमेंटरी के दौरान कहा कि भारत के पास तीन तीन ऑलराउंडर हैं. ये सुनने में अच्छा लगता है क्योंकि पिछले कुछ सालों में भारत एक अच्छे टेस्ट ऑलराउंडर के लिए तरस रहा था. हालांकि ये कहना अभी जल्दबाजी होगी. रविचंद्रन अश्विन बल्ले से भी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. वेस्टइंडीज में महत्वपूर्ण पारियां खेलने के बाद घरेलू सरजमीं पर भी वह लगातार रन बना रहे है. अश्विन शायद विदेशों में तेज पिचों पर नंबर 6 पर बल्लेबाजी ना करें, लेकिन ये किसी भी टीम के लिए फायदेमंद है कि निचले क्रम का बल्लेबाज भी रनों से योगदान दे.

रवींद्र जडेजा.

इस टेस्ट सीरीज में रवींद्र जडेजा की बल्लेबाजी भी भारतीय खेमे के लिए राहत लाई है. हालांकि मोहाली में खेली 90 रन की पारी को लेकर वह ज्यादा उत्साहित नहीं थे. जब उनसे पूछा गया कि 90 रन पर होते हुए भी उन्होने बड़ा शॉट क्यों खेला तो उन्होंने कहा कि वह इंग्लिश गेंदबाजों के रक्षात्मक तरीके से बोर हो गए थे. जडेजा तेजी से तो रन बना सकते है, लेकिन लंबे वक्त तक ऑलराउंडर की जिम्मेदारी संभालना उनके लिए मुश्किल है.

सीरीज की सबसे बड़ी खोज हैं जयंत यादव

इस टेस्ट सीरीज की सबसे बड़ी खोज हैं जयंत यादव. विशाखापत्तनम टेस्ट खत्म होने के बाद अश्विन ने खुद माना था कि जयंत ने जिस तरह बल्लेबाजी की, उसे देखकर बिल्कुल नहीं लगा कि वह अपना पहला टेस्ट खेल रहे हैं. वह एक परिपक्व खिलाड़ी नजर आए. मोहाली में बनाया गया उनका अर्धशतक कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके सात स्कोर पचास से ऊपर हैं, जिनमें एक दोहरा शतक भी शामिल है.

विकेट लेने के बाद खुशी जताते जयंत यादव.

ये देखने में अच्छा लगता है कि तीनों खिलाड़ी गेंद और बल्ले से अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे है. पिछले कुछ समय में इंग्लैंड की टीम भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे सफल मेहमान टीम है और अपने इस प्रदर्शन से वे कतई संतुष्ट नहीं होंगे.

शायद भारत में विकेट आसान नहीं हैं, लेकिन ये आरोप लगाना गलत है कि भारत को घरेलू स्थितियों का फायदा हुआ है. दोनों टीमों के बीच का अंतर भारत की स्पिन तिकड़ी है, जिसके कारण भारत सीरीज में 2-0 से आगे है.