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कौन हैं भरत अरुण?... जिनकी वजह से भारतीय क्रिकेट आपस में बंटा!

क्या कहते हैं भरत अरुण और जहीर खान के इंटरनेशनल रिकॉर्ड?

Lakshya Sharma

सीओए के अध्यक्ष विनोद राय का एक बयान फिर से भारतीय टीम में चल रहे विवाद को गरमा  सकता है. विनोद राय ने साफ कर दिया है कि सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति रवि शास्त्री से मीटिंग के बाद होगी.

कोच के बाद अब सपोर्ट स्टाफ के ऊपर विवाद हो गया है. सीएसी ने जहीर खान को सहायक गेंदबाजी कोच बनाया है लेकिन रवि शास्त्री चाहते हैं कि भरत अरुण को ये जिम्मेदारी दी जाए.


अगर अब किसी के कारण ये विवाद हो रहा तो वह सिर्फ भरत अरुण की वजह से हो रहा है हालांकि इसमें उनकी कोई गलती है. क्योंकि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में अच्छा काम किया था.

अब अगर रवि शास्त्री जहीर के नाम पर राजी हो जाते हैं तो उम्मीद है कि विवाद थम जाए लेकिन अगर शास्त्री  अरुण को गेंदबाजी कोच बनाने के लिए अड़ जाते हैं तो सीएसी इसके बाद क्या करेगी ये भी देखना होगा. सीएसी क्या करेगी या क्या नहीं करेगी उससे पहले सौरव गांगुली क्या करेंगे इस पर सभी की नजरें होगी.

रवि शास्त्री जब भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच बने तो सभी को उम्मीद थी पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में चल रहा विवाद आखिरकार थम जाएगा, लेकिन सीएसी या कहें कि सौरव गांगुली और रवि शास्त्री के बीच विवाद कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है.

एक गेंदबाज के रूप में जहीर खान का भरत अरुण से ज्यादा अनुभव है. जहीर खान ने 200 वनडे मैच खेले हैं और 282 विकेट लिए हैं. जबकि अरुण ने सिर्फ चार वनडे मैच खेले हैं और एक विकेट लेने में कामयाब हुए हैं.

भरत अरुण ने भारत के लिए 2 टेस्ट मैचों में 4 विकेट और 4 वनडे मैचों में सिर्फ 1 विकेट हासिल किए हैं. वहीं, जहीर खान का रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने वनडे, टेस्ट और टी-20 में कुल 610 विकेट हासिल किए है. जहीर ने वनडे में 282, टेस्ट में 311 और टी-20 में 17 विकेट हासिल किए है, जबकि अरुण के खाते में वनडे और टेस्ट मिलाकर सिर्फ पांच विकेट ही हैं.

अब ये रिकॉर्ड तो साफ बताता है कि रिकॉर्ड के हिसाब से तो जहीर खान अरुण से काफी आगे हैं लेकिन अरुण के पक्ष में दो बातें हैं.

पहली ये कि वह रवि शास्त्री के अच्छे खासे दोस्त है.

1979 भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के जब रवि शास्त्री कप्तान थे. तब उसी टीम में गेंदबाज के तौर पर भरत अरुण खेल रहे थे.  अरुण इससे पहले 2014 में टीम इंडिया के गेंदबाजी कोच रह चुके हैं, और वह भी तब जब उस वक्त रवि शास्त्री टीम डायरेक्टर थे.

कहा जाता है कि रवि शास्त्री के ही कहने पर एन. श्रीनिवासन ने भरत अरुण को टीम का गेंदबाजी कोच बनाया था. जब तक रवि शास्त्री टीम इंडिया से मैनेजर और डायरेक्टर के तौर पर जुड़े रहे तब तक भरत अरुण भी टीम के साथ थे.

दूसरा ये की अरुण को ना चुनने का कोई कारण नहीं?

भरत अरुण जब भारतीय टीम से जुड़े हुए थे तो हर किसी ने उनकें काम की तारीफ की थी और उस समय भारतीय गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे थे. तो आखिर किस कारण से अरुण को फिर से गेंदबाजी कोच क्यों ना बनाया जाए, इसका जवाब भी शायद किसी के पास ना हो

अब भरत अरुण के कारण ही भारत क्रिकेट तीन गुट में बट चुका है. पहला सीओए जो सीएसी पर ही सवाल उठा रही है. दूसरा सीएसी जिसमें महान खिलाड़ियों ने कोच के साथ सपोर्ट स्टाफ चुना और तीसरे रवि शास्त्री.

अब सीओए ने तो मीटिंग के बाद फैसला लेने की बात कही है लेकिन नजरें इस बात पर होगी कि रवि शास्त्री का बोलेंगे क्योंकि एक फैसले से या तो विवाद बढ़ सकता है या पूरी तरह खत्म हो सकता है. अब रवि शास्त्री आक्रामक तो माने जाते हैं लेकिन उनसें उम्मीद है कि वह भी इस विवाद को खत्म कर भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने की कोशिश करें. उनसे क्रिकेट फैंस ये भी उम्मीद कर रहे हैं कि वह थोड़ा बड़प्पन दिखाएं और अपनी जिद्द छोड़ दें.