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बीसीसीआई का नया संविधान: मुंबई से छिना पूर्ण सदस्य का दर्जा

बिहार, तेलंगाना समेत कई राज्यों को पूर्ण सदस्य का दर्जा

FP Staff

भारतीय क्रिकेट का पावरहाउस कहे जाने वाले मुंबई के लिए बड़ा झटका है. 41 बार के रणजी चैंपियन से पूर्ण सदस्य का दर्जा छीन लिया गया है. बीसीसीआई के नए संविधान के तहत मुंबई फुल मेंबर नहीं है. प्रशासक समिति (सीओए) ने जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के तहत नया संविधान तैयार कर लिया है. पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को बोर्ड की पूर्ण सदस्यता देने का फैसला किया है. मुंबई के साथ विदर्भ, सौराष्ट्र, बड़ौदा को भी बोर्ड की मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. साथ ही इनकी पूर्ण सदस्य की मान्यता भी रद्द कर दी गई है.

देश के सभी 30 राज्यों को बोर्ड की पूर्ण सदस्यता दी गई है. बीसीसीआई की वेबसाइट पर जारी किए गए संशोधनों के मुताबिक, ‘एक राज्य में कई सदस्य होने के कारण पूर्ण सदस्यता वार्षिक तौर पर बदली जाएगी ताकि सिर्फ एक सदस्य ही एक समय पर पूर्ण सदस्य के रूप में अपने वोट का उपयोग कर सके.’


लोढ़ा समिति की एक राज्य एक वोट की सिफारिश को मानते हुए सीओए ने यह फैसला लिया है. नए बदलाव के अनुसार महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए), गुजरात क्रिकेट संघ को इन दो राज्यों में मौजूद अलग-अलग संघों में से चुना गया है. सभी सरकारी संघों के साथ क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया (सीसीआई), राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) की भी सदस्यता रद्द कर दी गई है.

बयान में लिखा है, ‘हर राज्य का प्रतिनिधित्व बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त संघ ही करेगी और यह संघ बोर्ड की पूर्ण सदस्य होगी. किसी भी समय एक राज्य से एक से ज्यादा संघ बोर्ड की पूर्ण सदस्यता की हकदार नहीं होंगी.’

बयान में कहा गया है, ‘वार्षिक आम सभा या विशेष सभा में प्रत्येक पूर्ण सदस्य को सिर्फ एक वोट ही करने का अधिकार होगा. अस्थायी सदस्य के पास वोट करने का अधिकार नहीं होगा.’ हालांकि नए संविधान में साफ है कि एक राज्य में जहां कई संघ हैं, वहां रोटेशन के हिसाब से सालाना बदलाव होगा.

पूर्ण राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों में बिहार, तेलंगाना, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय शामिल हैं. इनमें से कोई भी पहले फुल मेंबर नहीं थे. मुंबई, विदर्भ जैसों के अलावा संस्थापक सदस्य क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया और नेशनल क्रिकेट क्लब भी फुल मेंबर लिस्ट में नहीं हैं.

70 साल की आयु सीमा के छोड़कर यह साफ है कि बीसीसीआई और राज्य संघों में अलग-अलग नौ साल का कार्यकाल वाली सिफारिश को भी मंजूरी मिल गई है. नए बदलाव के तहत बीसीसीआई राज्य संघों, अस्थायी सदस्यों और संबद्ध सदस्यों को दिए जाने वाले पैसे की जांच के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करेगी.

उस चर्चा पर भी विराम लग गया है, जहां पदाधिकारियों के राज्य में नौ और बीसीसीआई में नौ और साल काम करने की बात थी. नए संविधान में साफ है कि पूरा कार्यकाल नौ साल का होगा, 18 का नहीं. कोई भी पदाधिकारी तीन साल के तीन टर्म से ज्यादा नहीं रह सकता.