अपने पैसों की दम पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई का वर्ल्ड क्रिकेट में रुतबा किसी से छुपा नहीं हैं. हाल ही में अपनी मिलियन डॉलर लीग यानी आईपीएल के पांच साल के मीडिया राइट्स को बोर्ड ने रिकॉर्ड धनराशि में बेचा है. लेकिन बोर्ड की रईसी की इस गुलाबी तस्वीर के पीछे एक सच्चाई और भी है. और वह सच्चाई है बोर्ड की देनदारियां. बोर्ड की देनदारी इतनी अधिक बढ़ गई है कि वह इसी जमांपूजी से करीब दो गुना अधिक है. ऐसे में सवाल है क्या दुनिया की सबसे रईस क्रिकेट संस्था यानी बीसीसीआई दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है.
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया वाले है हालात!
एक वेबसाइट द इनसाइड स्पोर्ट्स के मुताबिक बोर्ड की इन देनदारियों और अधिकारियों के बीच अहम की लड़ाई के चलते बीसीसीआई एक बड़े वित्तीय संकट की ओर बढ़ रही है. द इनसाइ़ड स्पोर्ट्स ने बोर्ड का आर्थिक स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया है. खबर के मुताबिक इस वक्त बोर्ड अपनी देनदारियों के चलते तमाम मुकद्मों में उलझा हुआ है. बोर्ड की कुल देनदारी इस वक्त कुल 6,150 करोड़ है जबकि इसकी जमापूंजी 3100-3200 करोड़ से अधिक नहीं है.
साल 2009 में साउथ अफ्रीका में आयोजित कराए गए आईपीएल के दौरान हुई वित्तीय गड़बड़ियों के चलते भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय में जो मामला चल रहा है उसमें बोर्ड की कुल देनदारी 2,420 करोड़ रुपए की है. इसके अलावा तमाम अदालतों में चल रहे मुकद्मों में कुल 1,250 करोड़ रुपए की देनदारी है जिसमें आईपीएल से बर्खास्त की गई फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर को दिया जाने वाला 800 करोड़ रुपए का हर्जाना भी शामिल है.
90 करोड़ रुपए की देनदारी सेल टैक्स, 540 करोड़ रुपए की देनदारी इनकम टैक्स और 600 करोड़ रुपए सर्विस टैक्स की देनदारी है. इसमें अगर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यानी पीसीबी के हर्जाने की रकम यानी 650 करोड़ रुपए को भी जोड़ दें तो यह 6,150 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है. यह रकम बोर्ड की कुल जमापूंजी 3100-3200 करोड़ रुपए से कहीं अधिक है.
वेबसाइट को बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि बोर्ड की आर्थिक स्थिति आने वाले वक्त में और खराब होने वाली है. आईपीएल के दस साल पूरे होने के बाद अब फ्रेंचाइजीज कोई फीस नहीं देंगीं जबकि लॉजिस्टिक्स की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है.
इस अधिकारी का दावा है सुप्रीम कोर्ट की बनाई प्रशासकों समिति जिस तरह से आर्थिक फैसले ले रही है उससे बोर्ड के फाइनेंशियल मॉडल पर असर पड़ रहा है और वर्ल्ड क्रिकेट में उसका रुतबा भी कम होता जा रहा है. जाहिर है इस अधिकारी का इशारा क्रिकेटरों की फीस बढ़ाने और फ्यूचर टूर प्रोग्राम में टीम इंडिया के प्लेइंग डेज को कम करने के लिए सीओए के विचार की ओर भी है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि बोर्ड के पास अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के साधनों का अभाव हो. हाल ही में आईपीएल के मीडिया राइट्स को बेचने से मिली रकम भी बोर्ड के खाते में शामिल होगी और अगले साल भारत में खेले जाने वाले मुकाबलों के प्रसारण अधिकार भी बेचे जाएंगे. उम्मीद यही है कि बोर्ड इस परेशानी से निजात पा लेगा लेकिन जिस तरह से बोर्ड की देनदारियों और आर्थिक हालात की बातें लीक की जा रही हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीओए के दखल और फैसलों के खिलाफ बोर्ड के भीतर बेचैनी पैदा हो रही है.