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ढक्कन से लेकर पेचकस, मिंट, चाकू, स्पाइक्स, मिंट, वेसलीन, सन स्क्रीन तक.... बॉल टेंपरिंग के तरीके

बॉल टेंपरिंग का इतिहास बहुत पुराना है, ढक्कन, पेचकस, मिंट, चाकू, स्पाइक्स, मिंट, वेसलीन, सन स्क्रीन जैसी कई चीजों का इस्तमाल किया जाता रहा है

Vedam Jaishankar

वसीम (अकरम) और वकार (यूनुस) इंग्लिश बैटिंग लाइन-अप को संतरे से भी आउट कर सकते हैं. यह बात इंग्लैंड के बड़बोले कहे जाने वाले जेफ्री बॉयकॉट ने कही थी. 90 के दशक की बात है. पाकिस्तान की टीम तब इंग्लैंड आई थी. बॉल टेंपरिंग और रिवर्स स्विंग को लेकर उस वक्त बहुत हंगामा हो रहा था.

वो समय था, जब किसी को नहीं पता था कि पाकिस्तानी गेंदबाज किस तरह रिवर्स स्विंग कराते हैं. सिर्फ टेस्ट क्रिकेट नहीं, वनडे मैच के डेथ ओवर्स में भी पाकिस्तानी गेंदबाज किसी बुरे सपने की तरह आते थे. इन स्विंगिंग यॉर्कर्स से अकरम और यूनुस ने सामने वाली टीमों की बैटिंग लाइन-अप उखाड़ कर रख दी थी. बल्लेबाज रन बनाने के बजाय विकेट और अपने पैर के अंगूठे को बजाने में ज्यादा परेशान दिखते थे.


वेसलीन और सनस्क्रीन का भी हो चुका है इस्तमाल

स्विंग बॉलिंग को लेकर उस वक्त तमाम बातें की जाती थीं. एक थ्योरी यह भी थी कि गेंद तभी स्विंग होगी, अगर रफ्तार 145 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा होगी. बाद में लोगों को समझ आया कि इसे रिवर्स स्विंग कहते हैं और यह भी कि कैसे गेंद की हालत इसके लिए जिम्मेदार होती है.

ऑस्ट्रेलिया के कैमरन बेनक्राफ्ट ने केपटाउन टेस्ट में जिस तरह के पेपर का इस्तेमाल किया, वो बॉल टेंपरिंग के इतिहास की लंबी लिस्ट को बढ़ाने का ही काम करता है. एक तरफ चमक बरकरार रखने के लिए गेंदबाज तमाम चीजें इस्तेमाल करते थे. इसमें सबसे ज्यादा कुख्यात वेसलीन मुद्दा था, जब इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन लीवर पकड़े गए थे. यह बात भारत के इंग्लैंड दौरे की है, जो 1976 में हुआ था.

वेसलीन, सन स्क्रीन क्रीम और तमाम बाकी आर्टिफिशियल चीजें गेंद की चमक बरकरार रखने के लिए इस्तेमाल की गईं. लेकिन बॉल टेंपरिंग का असली मुद्दा तब आया, जब रिवर्स स्विंग की बात हुई.

इमरान खान ने माना बोतल की कैप से करते थे टेंपरिंग

अपनी ऑटोबायोग्राफी में इमरान खान ने लिखा है कि वो बोतल की कैप का इस्तेमाल गेंद के एक हिस्से को रगड़ने के लिए करते थे. इससे पुरानी गेंद एक तरफ से खराब होती थी. दूसरी तरफ सूखी और चमकदार रहती थी. इससे पुरानी गेंद को रिवर्स स्विंग कराया जा सकता है. इस खुलासे के बाद तय किया गया कि खेल के दौरान ब्रेक्स में गेंद को अंपायर ही  अपने पास रखेंगे. यहां तक कि विकेट गिरने के बाद भी.

वनडे में नियम बदलकर तय किया गया कि 35वें ओवर के बाद दूसरी गेंद ली जाएगी. इसके बावजूद टीमों को सफेद गेंद से 25वें से 35वें ओवर के बीच रिवर्स स्विंग में कामयाबी मिली. इसके बाद आईसीसी ने वनडे में दोनों छोर से नई गेंद शुरू की. इससे सुनिश्चित किया गया कि पुरानी गेंद को बदलने के लिए गेंदबाजी टीम को ज्यादा वक्त न मिले. अगर टेंपरिंग हो भी तो उसका नतीजा ज्यादा न हो.

इस पूरे मामले में दुखद है कि हर इंटरनेशनल टीम ने किसी न किसी तरह बॉल टेंपरिंग की है. दिलचस्प है कि इस पूरे मामले में डेविड वॉर्नर के पास कहने के लिए काफी कुछ था. लेकिन अब  वही  इस जाल में फंसे हैं. 2016 में दक्षिण अफ्रीका कप्तान फाफ ड्यू प्लेसी गेंद को चमकदार बनाने के लिए मिंट का इस्तेमाल करते कैमरे में पकड़े गए थे. तब वॉर्नर ने कहा था, ‘हम अपना सिर ऊंचा रखते हैं और मुझे बड़ी निराशा होगी अगर हमारी टीम को कोई सदस्य अवैध तरीके से गेंद की कंडीशन बदलने की कोशिश करे.’ वो यहीं नहीं रुके, ‘नियम किसी वजह से बने हैं. अगर आप उनका इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो नियमों का कोई मतलब ही नहीं है.’

इससे पहले वॉर्नर ने विकेट कीपर एबी डिविलियर्स पर आरोप लगाया था कि वो ग्लव का इस्तेमाल गेंद को खुरदुरा बनाने में कर रहे हैं. शनिवार को जो कुछ हुआ, उसके बाद उनका दोहरा चरित्र और चेहरा दिखाई दिया है.

एक और शख्स जो खुद को बहुत स्मार्ट समझता था, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक अथर्टन थे. वो जेब में रेत रखकर ले गए थे. 1994 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में इसका इस्तेमाल वो गेंद को रगड़ने में कर रहे थे. उन्होंने सफाई दी थी कि वो गेंद की कंडीशन बिगाड़ने की कोशिश नहीं कर रहे थे. बिगड़ी हुई कंडीशन को बनाए रखने के लिए उन्होंने ऐसा किया. उन पर दो हजार पाउंड का जुर्माना हुआ. हजार रेत रखने के लिए और हजार मैच रेफरी के सामने झूठ बोलने के लिए.

मरे मिंट से लेकर नाखून से होती थी टेंपरिंग

कुछ समय बाद इंग्लैंड के ओपनर मार्कस ट्रेस्कोथिक ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उन पर गेंद की चमक बरकरार रखने की जिम्मेदारी थी. उन्होंने थूक और कभी पॉलिश का इस्तेमाल करके ऐसा किया. उन्होंने लिखा है कि बहुत सी आजमाइश के बाद उन्हें लगा कि मरे मिंट इसके लिए बेस्ट है.

राहुल द्रविड़ भी मिंट के इस्तेमाल करने के दोषी पाए गए थे. उन पर मैच फीस के 50 फीसदी का जुर्माना लगा. इससे कुछ साल पहले सचिन तेंदुलकर को एक मैच के लिए निलंबित किया गया था. इसके साथ मैच फीस के 75 फीसदी का जुर्माना भी मैच रेफरी माइक डेनेस से थोपा था. वो नाखून से गेंद की सीम उठाने की कोशिश कर रहे थे. तेंदुलकर ने सफाई दी थी कि वो सीम में फंसी घास निकाल रहे थे. उस एपिसोड के बाद ताकतवर बीसीसीआई ने डेनेस को ही सस्पेंड करवा दिया था.

इसके अलावा और भी मौके थे बॉल टेंपरिंग के. स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन ने स्पाइक्स का इस्तेमाल किया. वेरॉन फिलैंडर ने नाखून से गेंद को रगड़ने की कोशिश की. शाहिद आफरीदी ने इसी काम के लिए अपने दांतों का इस्तेमाल किया. बॉल टेंपरिंग सिर्फ खेल के नियम ही नहीं, खेल की भावनाओं के भी खिलाफ है. इसके बावजूद हर टीम ने तमाम तरीके अपनाए हैं. बोतल के ढक्कन, एमरी पेपर, पेचकस, चाकू, स्पाइक्स, पैंट की जिप, मिंट, वेसलीन, सन स्क्रीन वगैरा वगैरा... यकीनन यह क्रिकेट तो नहीं है.