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ऑटो ड्राइवर के बेटे को मिली टीम इंडिया में जगह

हैदराबाद के  मोहम्मद सिराज को नहीं थी इतनी जल्दी भारतीय टीम में चयन की उम्मीद

Bhasha

मोहम्मद सिराज का हैदराबाद की गली क्रिकेट से टीम इंडिया का हिस्सा बनने का सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा है. उनके पिता ने ऑटो चलाकर सिराज के क्रिकेटर बनने का सपना पूरा किया. उन्होंने गरीबी में भी इस सपने को खत्म नहीं होने दिया. तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज को न्यूजीलैंड के खिलाफ आगामी टी-20 सीरीज के लिए टीम इंडिया में चुना गया है.

सिराज को पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका मिलेगा. उनके चयन के पीछे उनका शानदार बॉलिंग प्रदर्शन रहा है. पिछले रणजी सत्र में उन्होंने 47 विकेट लिए थे. उनके उसी प्रदर्शन के आधार पर हैदराबाद ने नॉकआउट दौर में प्रवेश किया था. इसी प्रदर्शन के कारण उन्हें भारत ए और शेष भारत के लिए भी टीम में शामिल किया गया.


सिराज के लिए टीम इंडिया में चुना जाना किसी सपने के पूरे होने जैसा है. वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता ऑटो ड्राइवर रहे हैं. सिराज की जिंदगी में तब बदलाव आया, जब उन्हें पिछले आईपीएल नीलामी के दसवें सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद ने 2.6 करोड़ रुपए में खरीदा था. जबकि उनका बेस प्राइस 20 लाख रुपए था. आईपीएल में भी सिराज ने कमाल का प्रदर्शन किया. उन्होंने छह मैचों में 10 विकेट लिए. इसमें गुजरात लायंस के खिलाफ लिए गए एक मैच में चार विकेट भी शामिल हैं.

सिराज ने अभी हाल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए तीन अभ्यास मैचों में चार विकेट लिए. इससे पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर एक मैच में पांच विकेट चटकाए थे. सिराज ने 14 प्रथम श्रेणी मैचों में 53 और 12 लिस्ट ए मैचों में 20 विकेट लिए है.

सिराज ने कहा था, ''आज तक मुझे याद है क्रिकेट खेलते हुए मैंने जो पहली कमाई की थी. यह क्लब का मैच था और मेरे मामा टीम के कप्तान थे. मैंने 25 ओवर के मैच में 20 रन देकर नौ विकेट चटकाए. मेरे मामा इतने खुश हुए कि उन्होंने मुझे ईनाम के रूप में 500 रुपए दिए. मेरे वालिद साहब ने बहुत मेहनत की है. वह ऑटो चलाते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी आर्थिक स्थिति का असर नहीं पड़ने दिया. गेंदबाजी की एक स्पाइक की कीमत बहुत होती है और वह मेरे लिए सबसे अच्छी स्पाइक लाते.’

सिराज के माता-पिता के संघर्ष की लंबी दास्तान है, लेकिन अब उनके बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. सिराज ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो यह सोचकर हालात के सामने हार मान लेते हैं कि गरीबी उन्हें आगे नहीं बढ़ने देगी.

मैंने अपने पापा को फिर ऑटो नहीं चलाने दिया 

 मोहम्मद सिराज को जिस दिन आईपीएल नीलामी में सनराइजर्स हैदराबाद ने बड़ी रकम देकर खरीदा तो उनका केवल एक सपना था कि वह अपने पिता  को कभी आटो रिक्शा नहीं चलाने देंगे और उन्होंने अपना वादा निभाया.

सिराज ने कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि 23 साल की उम्र में मैं अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा सकता हूं. जिस दिन मुझे आईपीएल का अनुबंध मिला था उस दिन मैंने अपने पापा से कहा था कि अब उन्हें काम करने की जरूरत नहीं है. उस दिन से मैंने पापा को बोला कि आप अभी आराम करो. और हां मैं अपने परिवार को नए घर में भी ले आया हूं. ’’

इस तेज गेंदबाज को इतनी जल्दी भारतीय टीम में चयन की उम्मीद नहीं थी.

सिराज ने कहा, ‘‘मैं जानता था कि भविष्य में मुझे टीम में चुना जाएगा, लेकिन इतनी जल्दी चयन होने की मैंने उम्मीद नहीं की थी. मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं. जब मैंने अपनी मां और पिताजी को बताया तो उनके पास खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे. यह सपना सच होने जैसा है. ’’