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घर के बाहर क्यों नहीं चलता वॉर्नर का बल्ला

रांची टेस्ट मैच में भी फेल रहे वॉर्नर

Manoj Chaturvedi

ऑस्ट्रेलियन टीम भारत आई थी, तो उसे अपने सीनियर खिलाड़ियों से बड़ी उम्मीदें थीं. उसे उम्मीद होगी कि डेविड वॉर्नर का बल्ला बोलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनर डेविड वॉर्नर की विस्फोटक अंदाज में खेलने वाले खिलाड़ी की छवि है. लेकिन रांची में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट की पहली पारी में 19 रन और दूसरी पारी में 14 रन बनाकर आउट होने पर यह बात साबित हो गई है कि वह घर के ही शेर हैं.

उन्हें घर से बाहर खासतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में लय में खेलने में दिक्कत होती है. वह इस सीरीज में अब तक चार टेस्ट की छ पारियों में 21.83 के औसत से 13 रन ही बना सके हैं. इस दौरे पर अभी भी उन्हें पहले अर्धशतक जमाने का इंतजार है.


हम यदि डेविड वॉर्नर के टेस्ट मैचों में घर और बाहर खेले गए टेस्ट मैचों के औसत को देखें तो घर के शेर, बाहर ढेर वाली कहावत उनके ऊपर चरितार्थ होती नजर आती है. वॉर्नर ने अब तक घर में खेले 33 टेस्ट में 59.22 के औसत से 3257 रन बनाए हैं, जिसमें 14 शतक शामिल हैं. लेकिन घर से बाहर खेले 30 टेस्ट में वह 35.11 के औसत से 2135 रन ही बना सके हैं. इस दौरान वह सिर्फ चार शतक ही जमा सके हैं.

यह स्थिति तब है कि वॉर्नर के आक्रामक अंदाज के साथ डिफेंस भी ठीक-ठाक है. लेकिन स्पिन के मददगार विकेट पर डिफेंस करने के बारे में उन्हें और सीख लेने की जरूरत है. इसके अलावा भारतीय विकेट पर अच्छा नहीं खेल पाने से उनका मनोविज्ञान भी बिगड़ा है और उनके मन पर जबर्दस्त दबाव हावी हो गया है.

यही वजह है कि वह रांची टेस्ट में अच्छे से पारी को बढ़ा रहे थे. यह लगने लगा था कि वह रन बनाने में रूठे बल्ले को इस बार मनाने में सफल हो जाएंगे. लेकिन तभी मन पर हावी दबाव की वजह से ही वह रवींद्र जडेजा की फुलटॉस गेंद पर सीधे उनको ही कैच थमा बैठे.

डेविड वॉर्नर की यदि हम पिछली एक-एक घर और बाहर खेली गई सीरीज को देखें, तब उनके बाहर नाकाम रहने का अहसास होता है. इस साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान के साथ तीन टेस्ट की सीरीज खेली थी, जिसमें वह 2-0 से विजय पाने में सफल रही थी. वॉर्नर ने इस सीरीज में 71.20 के औसत से 356 रन बनाए. इसमें वह सिडनी और मेलबर्न में खेले टेस्ट में शतक जमाने में सफल रहे. सिडनी में तो उन्होंने शतक (145 रन) जमाने के साथ एक अर्धशतक भी जमाया. वहीं पिछले साल श्रीलंका दौरे पर वह तीन टेस्ट में 39.33 के औसत से 163 रन ही बना सके थे, जिसमें सिर्फ एक अर्धशतक शामिल था.

भारतीय टीम 2014-15 में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी तो वॉर्नर ने एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट की दोनों पारियों में शतक (145 और 102 रन) और सिडनी में चौथे और आखिरी टेस्ट में 101 रन बनाए थे. इस तरह वह इस सीरीज में 427 रन बनाने में सफल रहे.

मौजूदा सीरीज में वॉर्नर के 117 रन के मुकाबले उनके साथी ओपनर मैट रेनशॉ ने छ पारियों में 223 रन बनाए हैं. इससे यह तो साफ है कि वॉर्नर को स्पिन की मददगार विकेट पर खेलने की कला साथी ओपनर से सीखने की जरूरत है. अगर हम भारत में खेली गई पिछली तीन ऑस्ट्रेलियाई सीरीज में ओपनरों के प्रदर्शन की बात करें तो कैटिच सबसे सफल रहे हैं. उन्होंने 2008 की सीरीज में एक शतक और दो अर्धशतकों के साथ 329 रन बनाए थे. लेकिन रेनशॉ जिस तरह से खेल रहे हैं, उससे लगता है कि वह सीरीज की बाकी दो पारियों में कैटिच के स्कोर को पार कर सकते हैं.