बुधवार को एशिया कप का वो मैच खेला जाएगा जिसे लेकर टीमों में फैंस में अलग ही स्तर का रोमांच है. रोमांच यहां एशिया कप का नहीं का बल्कि सालों से एक दूसरे की चिर प्रतिद्वंदी रही टीमें भारत और पाकिस्तान के आमने-सामने आने का है. भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलता है ऐसे में जब-जब आईसीसी की चैंपियनशिपों में दोनों टीमें आमने-सामने आती है तो रोमांच का पारा बढ़ जाता है. दिग्गजों और जानकारों का यही मानना है कि यह मुकाबला एकतरफा नहीं होने वाला है.
भारत के पक्ष में हैं आंकड़ें
ओवल में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से हारने के बाद भारत पहली बार उसका सामना करेगा. हालांकि एशिया कप के आंकड़ें उसके पक्ष में दिखते हैं. अबतक एशिया कप में 12 बार भारत-पाकिस्तान का आमना-सामना हुआ है. छह बार भारत को जीत हासिल हुई है जबकि पांच बार पाकिस्तान जीता है, जबकि एक बार मैच का परिणाम नहीं निकला था. एशिया कप में भारत की दावेदारी बहुत मजबूत रही है अब तक 13 बार एशिया कप का आयोजन हुआ है और भारत ने छह बार खिताब पर कब्जा किया है, जबकि पाकिस्तान को मात्र दो बार खिताब जीतने का मौका मिला, जबकि पांच बार श्रीलंका चैंपियन बना है.
रोहित शर्मा के उपर विराट कोहली जैसे अपने टॉप जनरल के बिना चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी के सामने दबाव में खुद को उनका सही प्रतिनिधि साबित करने का दबाव हैं. कप्तान रोहित शर्मा सीमित ओवर क्रिकेट में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों मे शामिल हैं. एशिया कप के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ों में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और शिखर धवन शामिल हैं. उनके अलावा टीम के जसप्रीत बुमराह और चोट से वापसी कर रहे भुवनेश्वर कुमार होंगे जो पाकिस्तान बल्लेबाजों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.
चैंपियंस ट्रॉफी की गलती नहीं दोहराएगा भारत
हालांकि पिछले कुछ समय में पाकिस्तान की टीम ने साबित किया है कि उसके पास की ऐसे इक्के हैं जो वक्त आने पर किसी भी टीम का खेल खराब कर सकते हैं. पाकिस्तान के फखर जमान, इमाम उल हक और बाबर आजम के हाल के प्रदर्शन को देखकर उम्मीद की जा सकती है कि वह भारत के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे.
टीम में शोएब मलिक का अनुभव भी इन खिलाड़ियों की मदद करेगा. वहीं हसन अली और उस्मान ख्वाजा भारतीय गेंदबाजों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं. चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने फाइनल से पहले लीग मैच में पाकिस्तान को बड़ी हार दी थी लेकिन फाइनल के दबाव में भारत वो प्रदर्शन दोहरा नहीं सका था. इस बार भारत ऐसी गलती नहीं करना चाहेगा और पाकिस्तान को हल्के में नहीं लेगा.