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एशिया कप में खिताब के पटाखे चलाना बंद करो, वरना हाथ जल जाएगा...

कमजोर आंकी जाने वाली टीम बांग्लादेश व अफगानिस्तान के ओपनर टीम इंडिया के बॉलिंग अटैक के सामने शतक जड़ दें तो मान लेना चाहिए कि कुछ तो गलत हुआ है

Jasvinder Sidhu

टीम इंडिया एशिया की चैंपियन बन गई और सोशल मीडिया पर तारीफों भरे शब्दों की फूल मालाओं के साथ जश्न का माहौल है, लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी गेंद पर मिली खिताबी जीत पर पटाखे चलाने से पहले एशिया कप में टीम के पूरे प्रदर्शन का आकलन जरूरी है.

यह सही है कि किसी भी मुकाबले में जीत के ही मायने हैं, बेशक वह कैसे भी मिली हो. यह भी सच है कि टीम इंडिया अपना कोई मैच नहीं हारी है, लेकिन किसी भी खेल में हार या जीत के बाद टीम के कोच और रणनीतिकार पूरे प्रदर्शन पर आकलन जरुर करते हैं जो भारतीय क्रिकेट टीम में भी होता है. शायद एशिया कप के बाद भी हो. इस प्रक्रिया का मकसद कई पहलुओं का पता लगाना होता है, जिनमें यह भी शामिल रहता है कि जीत के बावजूद टीम कहां पर खड़ी है या बेहतर खेलने का बाद भी टीम क्यों हारी.


बात को यूं समझने की कोशिश करते हैं कि हर लिहाज के कमजोर आंकी जाने वाली टीम बांग्लादेश व अफगानिस्तान के ओपनर टीम इंडिया के जबरदस्त बॉलिंग अटैक के सामने शतक जड़ दें तो मान लेना चाहिए कि कुछ तो गलत हुआ है. या फिर हॉन्‍गकॉन्‍ग के ओपनर निजाकत खान 92 रन पर आउट होने से पहले अपने साथी ओपरन अंशुमान रथ के साथ 174 रन की साझेदारी बना दे तो आंकलन करना जरूरी हो जाता है.

बात सिर्फ शतक का सौ रन से ज्यादा की साझेदारी की ही नहीं है. हॉन्‍ग कॉन्‍ग और अफगानिस्तान भारत के खिलाफ अपने पूरे पचास ओवर बल्लेबाजी करके गए और फिर यह भी नजरअंदाज करना खतरनाक होगा कि अफगानिस्तान ने दुनिया के सबसे महंगे क्रिकेटरों के साथ 252 के स्कोर पर मुकाबला टाई किया. फाइनल में बांग्लादेश बुरी तरह खराब खेलने के बावजूद मैच को आखिरी गेंद तक ले गया. इसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती. कहने के लिए सही है कि इन नजदीकी मुकाबलों ने एशिया कप को रोचक बना दिया.

मगर टीम इंडिया के पूरे खेल पर निगाह डालने के बाद दिखता है कि पाकिस्तान को छोड़कर हॉन्‍ग कॉन्‍ग, अफगानिस्तान और बांग्लादेश अगर मैच में पकड़ बनाने के बाद लड़खड़ा न जाते तो परिणाम उलटे भी हो सकते थे. पाकिस्तान को एक तरफ रखना इसलिए सही है क्योंकि वह कहीं भी मुकाबले में नहीं था. यह कहना गलत नहीं होगा कि टीम इंडिया अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन की बजाय सामने वाली टीम के खराब खेल के कारण ज्यादा जीती है. यह हालात तब है जब उसने अपनी रैंकिंग से कहीं नीचे की टीमों से खेला.

विश्व कप 2019 को ज्यादा समय नहीं है और वेस्टइंडीज से घर पर खेलने के बाद टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाएगी. उम्मीद का जानी चाहिए कि जीत के बावजूद एशिया कप के आंकड़ों के टीम प्रंबंधन गंभीरता से लेगा.

इस टूर्नामेंट से यह भी दिखता है कि टीम की अपने कप्तान विराट कोहली पर निर्भरता बहुत ज्यादा हो चुकी है. उनका किसी एक टूर्नामेंट से बाहर बैठना, टीम के पूरे प्रदर्शन पर असर डालता है. किसी भी खेल में भविष्य के लिहाज से सबसे खतरनाक होता है जीत के बाद अपनी कमजोरियों को अनदेखा कर देना.

टीम के लिए नुकसान करने वाला यह भी होता है कि क्रिकेट को समझने और जानने वाले जानकार यह कमजोरियां देखते हुए भी उसकी जमकर तारीफ कर रहे हों. हो सकता है कि टीम की जीत के बावजूद आलोचना करने से उनके टीवी कमेंट्री करार पर बुरा असर पड़े, लेकिन जो कुछ भी हुआ, मैदान पर ही हुआ है. इसलिए जीतने के बाद भी टीम की कमजोरियों पर बात करना उसकी आलोचना नहीं कहीं जा सकती, बल्कि यह पेशेवरों से भरी टीम पर एहसान ही होगा, क्योंकि लगता नहीं कि कोई भी ऐसी आलोचनाओं से विचलित होगा.