एशिया कप की शुरुआत के वक्त से ही हर क्रिकेटप्रेमी भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल मुकाबले की उम्मीद कर रहा था. फैंस को आस थी कि फाइनल मे एक बार फिर भारत पाकिस्तान के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिलेगी. फाइनल हुआ और जोरदार टक्कर भी हुई लेकिन टीम इंडिया को फाइनल मे टक्कर देने वाली टीम पाकिस्तान नहीं बल्कि बांग्लादेश थी. टक्कर भी ऐसी हुई कि आखिरी गेंद तक इस मुकाबले को देखने वालो की सांसे थमी रहीं. भारतीय टीम आखिरकार चैंपियन तो बनी लेकिन इस जीत को हासिल करने में उसके पसीने छूट गए.
टॉप ऑर्डर के गिरने पर काम आया धोनी का अनुभव
एशिया कप में भारत के टॉप ऑर्डर ने जिस तरह का धुंआधार प्रदर्शन किया था उसे देखते हुए फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश का दिया 223 रन का टारगेट बेहद आसान लग रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. शिखर धवन और अंबाती रायुडू के विकेट्स 46 रन पर गिरने के बाद जब कप्तान रोहित शर्मा भी 48 रन बनाकर आउट हो गए तो भारत के लिए मुसीबत खड़ी हो गई.
इसके बाद धोनी ने दिनेश कार्तिक के साथ मिलकर भारत की पारी को संभाला लेकिन कार्तिक के आउट होने के बाद केदार जाधव की मांसपशियों के खिंचाव ने भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं.
केदार को रन लेने में परेशानी हो रही थे और इसी दबाव में धोनी एक रिस्की शॉट खेलकर 36 रन बनाकर आउट हो गए. बहरहाल टीम मैनेजमेंट ने केदार को वापस बुलाया और भुवनेश्वर को क्रीज पर भेजा.
जडेजा-भुवनेश्वर ने बचाई लाज
यहीं पर रवींद्र जडेजा और भुवनेश्वर के बीच 45 रन की पार्टनरशिप हुई जिसने भारत को मुकाबले मे वापस ला दिया. बहरहाल कहानी में ट्विस्ट अभी बाकी था. पहले जडेजा और फिर भुवनेश्वर के आउट होने के बाद भारत की नैया फिर से डांवाडोल होती दिखने लगी लेकिन मैदान पर वापस आए केदार जाधव ने कुलदीप यादव के साथ मिलकर भारत को जीत के दीदार करा दिए. आखिरी ओवर में 6 रन की दरकार थी और आखिरी बॉल पर एक रन की. विजयी रन लेगबाइ से आया लेकिन वह भारत को चैंपियन बना चुका था.
काम नहीं आया लिटन दास का बेमिसाल शतक
इससे पहले बांग्लादेश ने मैच का आगाज बेहद धमाकेदार अंदाज में किया. पूरे टूर्नामेंट में संघर्ष कर रही बांग्लादेश की सलामी जोड़ी ने 120 रन की नींव रख दी. इसके बाद बांग्लादेश के विकेट नियमित अंतराल पर गिरते रहे. लिटन दास ने अपने करियर का पहला शतक जड़कर कई रिकॉर्ड जरूर तोड़े लेकिन उनकी टीम के कुल तीन बल्लेबाज रन आउट हुए जिसने एक वक्त 250 तक बड़ी आसानी से पहुंचते स्कोर को 222 पर ही रोक दिया.
बहरहाल टीम इंडिया ने यह फाइनल जीत जरूर लिया लेकिन बांग्लादेश की टीम ने जिस तरह से भारत की बल्लेबाजी की परीक्षा ली है उसने टीम मैनेजमेंट को सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया होगा.