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एशेज 2017: विवादों में घिरा ऑस्ट्रेलियाई टीम का सेलेक्शन

चयनकर्ताओं ने पहले दो टेस्ट मैचों के लिए किया टीम का ऐलान

Neeraj Jha

भले ही जमाना टी-20 का हो, लेकिन आज भी क्रिकेट जगत में एशेज की एक अलग जगह है. इस बदलते जमाने में भी इसे देखने के लिए लोगों की चाहत बनी हुई है और यहां ये बता दें की हम सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की बात नहीं कर रहे है. ऐसे में क्रिकेट प्रशंसकों के लिए एशेज से जुड़ी हर खबर पर होती है. और इस बार जिस तरह से पहले दो टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम का चयन हुआ है, वो ना सिर्फ खिलाड़ियों के लिए चौंकाने वाली खबर थी, बल्कि इसने क्रिकेट के दीवानों को भी झकझोर दिया है.

टिम पेन, शॉन मार्श और कैमरन बैनक्राफ्ट को पहले दो टेस्ट मैचों में 13 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है और ताज्जुब की बात ये है की मैथ्यू वेड, मैट रेनशॉ और खासकर ग्लेन मैक्सवेल सरीखे खिलाड़ी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसको लेकर मुख्य चयनकर्ता ट्रेवरहोंस पर सवाल उठाए जा रहे है. ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए अपने आखिरी टेस्ट मैच में से कुल  छह खिलाड़ियों को बाहर कर दिया. जिसको लेकर कई पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों ने सवाल खड़े कर दिए है.


टिम पेन पर उठ रहे हैं सवाल

टीम के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल विकेटकीपर टिम पेन पर उठ रहे है. विकेटकीपर की जगह के लिए रेस में मैथ्यू वेड, पीटर नेविल और एलेक्स कैरी शामिल थे, लेकिन टिम पेन पर सेलेक्टर्स ने अपना भरोसा जताया. पेन जिन्हें विकेटकीपर के तौर पर टीम में जगह मिली है, वह तस्मानिया की टीम में विकेटकीपर के तौर पर नहीं बल्कि एक बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं, वहां विकेट के पीछे का काम मैथ्यू वेड ही संभालते हैं.

सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि टेस्ट टीम में उनकी वापसी 2010 के बाद हो रही है, यानी पूरे सात साल बाद. खुद उनके लिए भी ये खबर चौंकाने वाली थी. उन्होंने कहा,  "मैं थोड़ा आश्चर्य चकित तो हूं क्योंकि मैंने सात साल पहले अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था, लेकिन मुझे लगता है कि इस मौके को हाथ से जाने नहीं दूंगा." सवाल उठना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि पेन ने एक तरह से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का पूरा प्लान भी बना लिया था. उन्होंने अब तक के करियर में कुल चार टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 92 रन बनाए हैं. उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट भारत के खिलाफ अक्टूबर 2010 में खेला था. हालांकि मुख्य चयनकर्ता ट्रेवरहोंस ने बचाव किया है और उन्हें मौजूदा समय में देश का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बताया.

शॉन मार्श की वापसी

पेन के बाद जो खिलाड़ी सवालों के घेरे में है- वह हैं शॉन मार्श. इस साल मार्च में बॉर्डर – गावस्कर ट्रॉफी के बाद मार्श ने भारत में आठ पारियों में 18.87 की औसत से 151 रन बनाए थे. बांग्लादेश दौरे से बाहर होने के बाद 34 वर्षीय मार्श का क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ उनका अनुबंध भी टूट गया.  इंग्लैंड की गेंदबाजी टीम उनके चयन से जरूर खुश हुई होगी क्योंकि आखिरी बार जब मार्श ने उनका सामना ट्रेंटब्रिज में किया था, अपनी दो पारी में वह सिर्फ दो रन ही बना पाए थे. यह आठवां मौका है जब उन्हें टेस्ट क्रिकेट टीम  में शामिल किया गया है. उन्होंने 2011 में अपना करियर शुरू किया था.

पूर्व खिलाड़ियों की नाराजगी

एशेज शुरू होने से पहले कई पूर्व खिलाड़ियों ने साफ तौर पर ये जाहिर किया था की ऑस्ट्रेलियाई टीम के सामने इंग्लैंड की टीम टिक नहीं पाएगी. ग्लेन मैकग्रा ने तो यहां तक कह दिया की ये सीरीज उन्हें ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में 5 – 0 दिख रही है. लेकिन टीम की घोषणा के बाद खिलाड़ियों ने अपने पूर्व के वक्तव्य में तब्दीलियां करनी शुरू कर दी हैं.

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट स्पिनर स्टुअर्ट मैकगिल ने ऑस्ट्रेलियाई चयन पैनल की कड़ी आलोचना की. वहीं, पूर्व लेग स्पिनर शेन वॉर्न ने तो टीम चयन पर सवाल उठाते हुए कहा की ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ता पूरी तरह से भ्रमित हो गए हैं.  वॉर्न ने ये भी भविष्यवाणी कर दी की सेलेक्टर्स की इस गलती का फायदा इंग्लैंड को पहले ही मिल गया है.

एक और प्रखर आलोचक पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेंडन जूलियन हैं, जिन्होंने कहा की इस टीम को चुनकर सेलेक्टर्स ने साबित कर दिया है की वो नाकाबिल हैं. उन्होंने ये भी कहा की इससे साफ पता चलता है की चयनकर्ताओं और राज्य क्रिकेट के बीच सामंजस्य की काफी कमी है.

सिर्फ खिलाड़ियों ने ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी इस टीम चयन की जमकर मुखालफत की है. डेली टेलीग्राफ ने टीम चयन के फैसले का नाम "एशेज बॉम्ब्शेल" दिया, जबकि मेलबर्न स्थित "द एज" ने पेन के टीम में शामिल किए जाने पर कई सवाल उठाए हैं.

एशेज टेस्ट के लिए इस टीम सेलेक्शन ने क्रिकेट प्रशंसकों के बीच एक हलचल तो जरूर पैदा कर दी है. यदि आप इंग्लैंड के प्रशंसक हैं तो आपके लिए ये अच्छी खबर है क्योंकि जिस तरह से टीम में खिलाड़ियों को जगह दी गई है उससे ऐसा लगता है की एशेज को फिर से हासिल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.  चयनकर्ताओं को भी इस बात के लिए दाद देनी होगी की पहले दो टेस्ट मैचों की इस टीम घोषणा के साथ उन्होंने इतना बड़ा जोखिम उठाया है. इससे इंग्लैंड को पहला फायदा तो जरूर मिला है, लेकिन उन्हें भी एक नए सिरे से पूरे विश्वास के साथ ब्रिस्बेन के लिए तैयार होना होगा. गौरतलब है की एशेज का पहला टेस्ट 23 नवंबर से शुरू होना है.

(लेखक करीब दो दशक से खेल पत्रकारिता में सक्रिय हैं और फिलहाल टेन स्पोर्ट्स से जुड़े हुए हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में फर्स्ट पोस्ट की सहमति होना जरूरी नहीं है)