भारत में यूं तो क्रिकेट हर प्रदेश में देखा और खेले जाने वाला खेल है. लेकिन भारतीय टीम में या घरेलू टीमों में अक्सर उत्तर और दक्षिणी राज्यों का दबदबा रहा है. बिहार भी उन राज्यों में से आता है जहां क्रिकेट प्रचलित जरूर है, लेकिन लोग वहां बतौर दर्शक इसे पसंद करते है. क्रिकेट को करियर के तौर पर अपनाने का सपना वहां देखते तो कई लोग हैं पर शायद उसे जीने की हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है. इसी राज्य से निकला एक खिलाड़ी आज लोगों के लिए प्रेरणा बन चुका है. नाम है अनुकूल रॉय. अनुकूल ने अंडर 19 टीम को वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई. वर्ल्ड कप में उनके शानदार खेल का प्रमाण ही है कि वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने. अनुकूल से फर्स्टपोस्ट ने की खास बातचीत.
अनुकूल ने कहा कि वह चाहते हैं कि बिहार के और खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलें इसके लिए वह अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करने को तैयार हैं. छोटे शहर से निकलकर दुनिया भर में नाम कमाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को वह अपना रोल मॉडल मानते हैं. उन्हीं की तरह अपने करियर को आगे ले जाना चाहते हैं.
बचपन से क्रिकेट के शौकीन रहे अनुकूल का मन पढ़ाई में कभी नहीं लगा. उन्होंने बताया, ‘मेरा मन पढ़ाई में कभी नहीं लगा बचपन से ही मुझे क्रिकेट खेलना सबसे ज्यादा भाता था. फिर धीरे धीरे पढ़ाई का साथ छूटा तो मैंने तय कर लिया कि अब मुझे क्रिकेट में ही कुछ करके दिखाना है.’ बिहार से लेकर अंडर 19 टीम तक का उनका सफर झारखंड से होकर गुजरा है. झारखंड क्रिकेट एकेडमी में प्रशिक्षण लेते हुए अनुकूल ने वर्ष 2014 में सरायकेला-खरसावां जिले की अंडर-16 टीम में जगह बनाई. इसके बाद वह अगले सीजन में पश्चिमी सिंहभूम जिले की टीम से जुड़ गए. विराट सिंह के अंडर-19 से आगे बढ़ते ही चयनकर्ताओं ने इस हरफनमौला खिलाड़ी को झारखंड अंडर-19 टीम की कप्तानी सौंप दी.
इस पूरे सफर में उनके परिवार ने उनका पूरा साथ दिया और यही वजह है कि अपनी कामयाबी का श्रेय वह अपने परिवार और अपने कोच ब्रजेश कुमार झा को देते हैं जो इस सफर में उनके साथ रहे. टूर्नामेंट में जाते वक्त उनका ध्यान सिर्फ कप जीतने पर था. उन्होंने नहीं सोचा था कि वह सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बनेंगे. इसका श्रेय वह कोच द्रविड़ के अनुशासन को देते हैं.
अपने अंडर 19 के कोच राहुल द्रविड़ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरी टीम में अनुशासन बनाकर रखा. सही समय पर खाने से लेकर प्रैक्टिस तक राहुल हर चीज पर ध्यान देते थे. उनके साथ रहकर टीम के हर खिलाड़ी ने बहुत कुछ सीखा. यह उनके लिए हमेशा याद रहने वाला अनुभव है. अनुकूल ने जीत की रात को याद करते हुए बताया कि उस रात हम सब बेहद खुश थे. होटल पहुंचकर हम सब पूरी रात नाचे. सिर्फ खिलाड़ी नहीं बल्कि कोचिंग स्टाफ और खुद कोच राहुल द्रविड़ भी इस जश्न का हिस्सा बने.
वर्ल्ड कप जीत के बाद हर तरफ से खिलाड़ियों पर पैसों की बरसात हो रही है. अनुकूल हालांकि फिलहाल खुद को पैसे की इस चमक से दूर रखकर सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरे पैसों पर मेरे मां बाप का हक है. वही तय करेंगे कि इन पैसों को क्या करना है. मैं फिलहाल खुद को इन सबसे दूर रखना चाहता हूं और बस अपने खेल पर ध्यान देना चाहता हूं.’
अनुकूल ने जो सफलता हासिल की है उससे वह सिर्फ अपने शहर समस्तीपुर के लिए ही नहीं हर छोटे शहर में बड़े सपने देखने वालों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं. अनुकूल ने दिखाया कि आपकी मेहनत का जज्बा ही आपको आगे लेकर जाता है. अगर आपका ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर है तो रास्ते में आने वाली तमाम मुश्किलें उसके सामने छोटी पड़ जाती हैं.