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किस तरह याद किया जाएगा 'कैप्टन कुक' का दौर

कप्तान एलिस्टर कुक ने 59 टेस्ट में कप्तानी की और 24 जीते

Peter Miller

एलिस्टर कुक ने इंग्लैंड की टेस्ट कप्तानी छोड़ने का फैसला किया है. इस फैसले को लेकर ताज्जुब सिर्फ एक बात को लेकर है. बात यह कि आखिर इस फैसले में सात सप्ताह क्यों लग गए. भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड की दुर्गति को इतना ही समय हुआ है. उसके बाद से लग रहा था कि कुक हटने वाले हैं.

ऐसा लग रहा है कि कि फैसला कुक का है, इंग्लैंड मैनेजमेंट का नहीं. भारत में करारी शिकस्त के बावजूद उन्होंने अपने भाग्य का फैसला खुद किया है. कोच और चयनकर्ताओं का कुक को लेकर प्यार कम नहीं हुआ है. हालांकि खुद उनके मन में इस काम को करते रहने की इच्छा कमजोर हो गई है. चार लगातार हार के बाद भारत में प्रेस कांफ्रेंस के बाद निराश कुक को देखकर ही ऐसा लग रहा था कि अब कप्तान के तौर पर खेलना जारी रखने की उनकी इच्छा खत्म हो गई है.


कुक ने इंग्लैंड की कप्तानी 59 टेस्ट में की, 24 जीते, 22 हारे और 13 मैच ड्रॉ रहे.

सिर्फ माइकल वॉन हैं, जिन्होंने कप्तान के तौर पर 26 टेस्ट जीते हैं. यानी कुक से ज्यादा. कुक ने कप्तान के तौर पर 4844 रन बनाए. अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी से हजार रन से भी ज्यादा. दो एशेज जीत में वो इंचार्ज थे. दक्षिण अफ्रीका में सीरीज जीती. भारत में आकर सीरीज जीती.

आंकड़ों की नजर से वो इंग्लैंड के बेहतरीन कप्तानों में हैं. इसके बावजूद उनकी लेगेसी को लेकर लोग बंटे हुए दिखाई देंगे. कुक की कप्तानी को नीरस या प्रेरणा न देने लायक कहना गलत नहीं होगा. ऐसे मौके आए, जब उनकी कप्तानी प्रेरणा देने के बदले ढहती हुई दिखाई है. नंबर देखेंगे, तो पाएंगे कि वो ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने आगे बढ़कर कप्तानी की. लेकिन जब हालात गड़बड़ थे, तो उनके पास याद करने के लिए वो मौके नहीं थे. तब उनकी कड़ी आलोचना हुई.

कुक ने 2012 में कप्तानी संभाली. उसी दौरान केविन पीटरसन का टेक्स्टिंग कांड सामने आया था. पता चला था कि दक्षिण अफ्रीका में जन्मे इस इंग्लैंड क्रिकेटर का दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ मैसेज का आदान-प्रदान होता है. वो समय था, जब स्टुअर्ट ब्रॉड का ट्विटर पैरोडी अकाउंट बना. कहा जाता था कि ड्रेसिंग रूम से ही कोई ट्वीट कर या करवा रहा है. हालात खराब थे. कुक को इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने पीटरसन को टीम में जगह दिलवाई.

कई मायनों में पीटरसन कुक की कप्तानी में सबसे आगे खड़े दिखाई दिए. जब पीटरसन ने वापसी की, तो भारत में कुक की कप्तानी में पाई कामयाबी में उनका अहम रोल रहा. 2013-14 में ऑस्ट्रेलिया में सीरीज के बाद का समय आया. इंग्लैंड को फैसला करना था कि पीटरसन या कुक. उन्होंने ऐसे कप्तान को चुना जो युवा था. एक बार ये फैसला करना लॉजिकल था. लेकिन जिस तरह इसे हैंडल किया गया है, वो ठीक नहीं था.

इंग्लैंड के क्रिकेट प्रशंसकों का छोटा सा तबका था, जिसने कभी ईसीबी को इसके लिए माफ नहीं गिया. सही हो या गलत, लेकिन कुक की कप्तानी को उन 18 महीनों के लिए भी याद किया जाएगा, जो पीटरसन को टीम से हटाए जाने के बाद के थे. ईसीबी का बयान कि क्रिकेट से बाहर के लोग टीम की आलोचना कर रहे हैं या ईसीबी चेयरमैन जाइल्स क्लार्क का कहना कि कुक सही परिवार से हैं.. इस तरह की बातों ने मामले को भड़काया. सारी गलती पीटरसन पर थोप दी गई. माना गया कि कुक की कोई गलती नहीं थी. ये सब बातें मुंह में कड़वाहट लाने वाली थीं. भले ही कुक का इन पूरे मामलों में कोई हाथ न हो या बहुत कम हाथ हो... इसके बावजूद उन्हें सबके साथ जोड़कर देखा गया.

उस दौरान कुक वनडे कप्तान भी थे. उन्होंने 2015 में कप्तानी खोई. 2015 वर्ल्ड कप इंग्लैंड के लिए बेहद निराशाजनक था. टीम प्रबंधन में बदलाव हुए. लेकिन कुक की टेस्ट कप्तानी बनी रही. 2015 के एशेज में उन्होंने जीत दर्ज की.

कुक उस वक्त सातवें आसमान पर थे, जब इंग्लैंड ने दक्षिण अफ्रीका में जीत दर्ज की. पिछले सीजन में इंग्लैंड ने श्रीलंका और पाकिस्तान से सीरीज खेली थे. लेकिन भारत दौरे तक कप्तान के तौर पर उनकी विफलता सबके सामने आ गई. चयन में गड़बड़ियां हुईं. कुक इसे लेकर आश्वस्त नजर नहीं आए कि किस स्पिनर पर भरोसा करें और उसके लिए क्या फील्ड सेट करें.

वक्त आ गया है, जब कोई और इस काम को संभालेगा. लेकिन कुक ने कप्तान और बल्लेबाज के तौर पर जो कुछ भी पाया है, उसका श्रेय उन्हें मिलना चाहिए. उम्मीद है कि टेस्ट रन के मामले में टॉप पर पहुंचने की यात्रा में कप्तानी छोड़ने का फैसला मददगार होगा. यकीनन वो अब भी इंग्लैंड के बेहतरीन ओपनर हैं.

एंड्रयू स्ट्रॉस की जगह कौन होगा, इस तलाश ने उन्हें अहमियत दिलाई थी. कप्तानी से हटने के इस फैसले के बाद भी उनकी अहमियत बरकरार है. अब उन्हें टेस्ट रन बनाने के अलावा और किसी बात की फिक्र नहीं करनी.