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सॉफ्ट ड्रिंक्स का एड ठुकराना काबिल-ए तारीफ, लेकिन विराट बोतल सीने से क्यों लगा रखी है!

क्या विराट कोहली को हाशिम अमला और रेसलर सुशील कुमार से सबक लेकर आईपीएल में शराब के विज्ञापन से खुद को अलग नहीं कर लेना चाहिए!

Jasvinder Sidhu

इस बात को लेकर बिजनेस जगत में काफी समय से चर्चा थी. लेकिन लगता है कि अब भारतीय कप्तान विराट कोहली  ने फैसला कर लिया है. खबर है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन करने से इनकार कर दिया है.

विराट का तर्क है कि सेहत और फिटनेस से लिहाज से वह खुद सॉफ्ट ड्रिंक्स नहीं पीते. इसलिए वह इसका प्रचार करना गलत समझते हैं. विराट का फैसला देश के बाकी एथलीटों के लिए बड़ा उदाहरण है और करोड़ों की डील त्यागने के इस बड़े फैसले की जितनी तारीफ की जाए, कम है.


सॉफ्ट ड्रिंक्स से ज्यादा खतरनाक है शराब!

दुनिया के हर विशेषज्ञ ने साबित किया है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स जिस्म के लिए अच्छे नहीं हैं. इस लिहाज से विराट का फैसला हमेशा याद रखा जाएगा और हमेशा उसका जिक्र होगा. लेकिन इस सब के बावजूद दुनिया में ऐसा कोई भी आंकड़ा सामने नहीं आया है, जो बताता हो कि सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से लोगों की मौत होती है.

लोगों को मारने के लिए शराब सबसे आगे है. 2013 के नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन 15 लोग शराब के कारण मरते हैं. यानी हर 96 मिनट में एक घर में शराब के कारण मातम होता था.

यह संख्या अब कितनी होगी, इसके लिए ब्यूरो के ताजा डाटा का इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन तय है कि नंबर ऊपर ही जाएंगे. वैसे वर्ल्ड हैल्थ आर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व की कुल 16 के मुकाबले भारत की 11 फीसदी से भी ज्यादा आबादी दारूबाज है.

सॉफ्ट ड्रिंक्स के बाद विराट के पास देश की इस सबसे परेशान कर देने वाली इस बीमारी के खिलाफ आवाज उठाने का अच्छा मौका है. देखना होगा कि वह इसका  फायदा उठाते हैं या नहीं!

क्या आईपीएल में शराब का विज्ञापन नहीं कर रहे हैं विराट!

विराट इंडियन प्रीमियर लीग की टीम रॉयल चैलेंजर्स के कप्तान हैं. इसकी मालिक शराब बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनी डियाजिओ की सहायक कंपनी यूनाइडेट स्पिरिट्स लिमिटेड हैं.

यह कंपनी बीयर, रम, वोदका, जिन, वाइन और व्हिस्की सब बनाती है. विराट के अलावा टीम के बाकी सदस्यों के कपड़ों पर कंपनी लोगो और सोरोगेट नाम हैं. सभी जानते हैं कि यूनाइडेट स्पिरिट्स क्या बनाती है. चूंकि वह शराब का विज्ञापन खेल के प्रसारण के दौरान नहीं कर सकती, लिहाजा उसके नियमों की कमजोरियों का फायदा उठा कर सोरोगेट विज्ञापन के लिए टीम को नाम दिया 'रॉयल चैलेंजर्स' जो उसके व्हिस्की के सबसे लोकप्रिय ब्रांड 'रॉयल चैलेंज' के मिलता है.

कागजों पर रॉयल चैलेंजर्स मिनरल वॉटर है. लेकिन साफ है कि यह दूसरे रास्ते से कंपनी के सबसे फेमस ब्रांड का प्रमोशन है. विराट व अन्य खिलाड़ी इसमें पार्टी हैं क्योंकि उनके सीने और टांगों पर कंपनी को लोगो और ब्रांड का नाम रहता है.

और हां, टीम जर्सी के पीछे किंगफिशर भी तो लिखा है. यह भी कंपनी का सबसे कामयाब बीयर ब्रांड हैं. लेकिन कागजों पर यह भी मिनरल वाटर है. हालांकि किंगफिशर का पानी और सोडा आता है. इसके अलावा, एक और खास बात है. एक सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड रॉयल चैलेंजर्स टीम के मुख्य प्रायोजकों में है. सॉफ्ट ड्रिंक्स को ठुकराने के बाद विराट से उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले आईपीएल सीजन में शराब के इस सोरोगेट विज्ञापन से इनकार करेंगे.

यहां पर तर्क दिया जा सकता है कि यह विराट का व्यक्तिगत प्रायोजक नहीं बल्कि टीम का है. अगर विराट मन में ठान लें और उनका मकसद साफ हो तो  ऐसे तर्क के मायने नहीं और कोई मजबूर भी नहीं करेगा.

दक्षिण अफ्रीका के हाशिम अमला विराट के लिए प्रेरणा हो सकते हैं. मुसलिम होने के कारण उन्होंने टीम की आधिकारिक प्रायोजक कंपनी का लोगो शर्ट पर पहनने से इनकार कर दिया क्योंकि वह बीयर का ब्रांड था.

लंदन ओलिंपिक मेडलिस्ट पहलवान सुशील दूसरा उदाहरण हैं. सुशील ने शराब के ऐसे सोरोगेट विज्ञापन के लिए 50 लाख की डील ठुकरा दी थी. उनका तर्क था कि उनके शराब का एड करने से युवाओं में गलत संदेश जाएगा. 2010 में सचिन तेंदुलकर भी ऐसा कर चुके हैं. उन्होंने ऐसे शराब कंपनी का एंबैसेडर बनने के लिए 20 करोड़ के करार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

विराट युवाओं के हीरो हैं और उनके इस फैसले से उनका सम्मान और बढ़ेगा लेकिन उन्हें शराब के विज्ञापन से भी दूर रहना चाहिए और जल्द इस पर कोई फैसला करना चाहिए. वरना उन पर आरोप भी लग सकता है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स एड को मना करना महज पब्लिक में इमेज बनाने का स्टंट था.