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आज के दिन इस महान बल्लेबाज ने खेली, वनडे इतिहास की सबसे खराब पारी!

सुनील गावस्कर खुद मानते हैं, ये उनके करियर की सबसे घटिया पारी थी

Lakshya Sharma

जरा सोचिए, अगर किसी टीम को 334 रन का लक्ष्य मिले वो भी 60 ओवर्स में तो बल्लेबाजों की रणनीति क्या होगी. सही सोचा आपने सीधी सी बात है कि इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करने के लिए तूफानी बल्लेबाजी करनी ही पड़ेगी. लेकिन एक महान बल्लेबाज है इस परिस्थिति में भी 174 गेंद खेलने के बाद केवल 36 रन बना पाया. मजे की बात ये है कि वह अंत तक नाबाद रहे. 7 जून 1975 को क्रिकेट का पहला वर्ल्डकप, भारत का सामना था इंग्लैंड से.

राज पर से पर्दा उठाते हैं, ये बल्लेबाज हैं भारत और दुनिया के महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर, नाम देख कर चौंक गए ना, आप विश्वास कैसे करेंगे जब सुनील गावस्कर को खुद यकीन नहीं हुआ कि वह इस तरह की पारी खेल सकते हैं.


वो दिन था 7 जून 1975, प्रडेंशियल कप के मैच में लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 60 ओवरों में 4 विकेट खोकर 334 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था जिसमें इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज डेनिस एमिस ने 137 रन की बेहतरीन पारी खेली थी जिसमें 18 चौके शामिल थे.

इतने बड़े स्कोर का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को बहुत धीमी शुरुआत मिली. गावस्कर ने बहुत कोशिश की लेकिन वह बड़े शॉट नहीं खेल पाए. पारी की शुरुआत करने उतरे सुनील गावस्कर अंत तक आउट नहीं हुए. उन्होने 174 गेंदों में केवल 36 रन ही बनाए. अपनी इस बेहद धीमी पारी में उन्होंने केवल एक ही चौका मारा था. गावस्कर की इस पारी के कारण भारतीय टीम केवल 3 विकेट खोकर केवल 132 रन के स्कोर तक ही पहुंच पाई थी. जिसकी वजह से टीम इंडिया को 202 रन से शिकस्त झेलनी पड़ी थी.

उस पारी के बाद सुनील गावस्कर की बहुत आलोचना हुई. मीडिया ने ही नहीं, उनके टीम के खिलाड़ी भी उनसे इस पारी के बाद नाराज थे. उस मैच में खेल रहे गावस्कर के साथी खिलाड़ी अंशुमन गायकवाड़ ने कहा कि सच में हमें बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि उस पारी के बाद गावस्कर ने किसी से बात नहीं की और चुपचाप अकेले बैठ गए.

उस समय टीम के मैनेजर रहे जी.एस रामचंद्र ने गावस्कर के धीमी बल्लेबाजी की शिकायत बोर्ड से भी की. रामचंद्र ने अपनी शिकायत में कहा था कि गावस्कर के इस रवैये से न सिर्फ टीम का मनोबल नीचे गिरा बल्कि इससे युवा खिलाड़ियों की मनोदशा पर भी प्रभाव पड़ेगा.

कुछ लोगों ने कहा कि सुनील गावस्कर ने वनडे क्रिकेट के विरोध में ये पारी खेली. कहा जाता है कि सुनील गावस्कर वनडे क्रिकेट के बिल्कुल खिलाफ थे. हालांकि ऐसा कभी साबित नहीं हो पाया.

सुनील गावस्कर ने अपनी आत्मकथा “सनी डेज” में यह कबूला है कि वह पारी उनके क्रिकेट करियर की सबसे घटिया पारी थी. बैटिंग करते वक्त वो चाह रहे थे कि विकेट को छोड़ दे ताकि बोल्ड हो सके और मैदान से बाहर आ जाएं लेकिन किस्मत देखिए ऐसा भी नहीं हो पाया.