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वर्ल्ड टेलीविजन डे: दूरदर्शन के वो 5 बड़े चेहरे, जो बने टीवी का दूसरा नाम

वर्ल्ड टेलीविजन पर दूरदर्शन के 80 के दशक का वो दौर, जब टीवी ने नई कहानियां और नए चेहरे दिए.

FP Staff

दूरदर्शन का दौर सालों पहले खत्म हो गया. लेकिन देश ने जिस टीवी को सबसे पहले जाना, वो दूरदर्शन ही था. दूरदर्शन ने ही देश को सबसे पहले टीवी शोज और टीवी कलाकार दिए. इन शोज का दायरा बहुत बड़ा था. इस दौर ने कई कलाकारों को नई पहचान दी और देश को कई किरदार दिए. आज भी ये शोज उन लोगों के लिए नॉस्टेल्जिया लेकर आते हैं, जिन्होंने अपनी दोपहर और रातें इनके साथ बिताई हैं.

यहां कुछ ऐसे चेहरों की बात, जिन्होंने 80 और शुरुआती 90 के दशक में भारतीय जनमानस के लिए बिल्कुल नई दुनिया के दरवाजे खोले. एक बार उनके उस सफर पर नजर डालें और जानें कि टीवी ने उन्हें और उन्होंने टीवी के जरिए हमें क्या दिया.


शाहरुख खान

दूरदर्शन पर सबसे पहले 1988 में सीरियल फौजी से अपने करियर की शुरूआत करने वाले शाहरुख खान आज बॉलीवुड के किंग खान हैं. दूरदर्शन से उनकी इस शुरुआत ने इंडियन एंटरटेनमेंट इडस्ट्री को एक बड़ा स्टार दिया और शाहरुख ने बॉलीवुड को स्टारडम की चकाचौंध.

पंकज कपूर

पंकज कपूर टीवी इंडस्ट्री से निकले सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं. वो अपने टीवी शो करमचंद के जरिए जाने गए. करमचंद एक कल्ट है और पंकज कपूर भी ये बात मानते हैं. इस शो में निभाए गए उनके किरदार को उनके बेहतरीन किरदारों में से गिना जाता है. इसके बाद भी उन्होंने कई उम्दा शोज में काम किया है. नीम का पेड़, ऑफिस-ऑफिस और ज़ुबान संभाल के ऐसे ही शोज हैं. पंकज कपूर आज भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम हैं. निगेटिव, अकड़ू, पजेसिव कैसा भी रोल हो, पंकज कपूर के नाम से लिखे जाते हैं. उन्हें आखिरी बार फाइंडिंग फैनी में देखा गया. वो आने वाले समय में सआदत हसन मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह पर बनी फिल्म में नजर आ सकते हैं.

रघुवीर यादव

कॉमन मैन के खांचे में फिट मुंगेरीलाल के किरदार को जिंदा करने वाले वर्सेटाइल एक्टर रघुवीर यादव आज एक्टिंग की दुनिया का एक बड़ा नाम हैं. 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' मध्यमवर्गीय भारत का आईना था, जिसने रघुवीर यादव को घर-घर का चेहरा बना दिया. उन्होंने सलाम बॉम्बे, रूदाली, गांधी टू हिटलर और पीपली लाइव जैसी फिल्मों में काम किया है, वो हाल में अमित मुसरकर की बहुचर्चित फिल्म न्यूटन और राहत काज़मी की मंटोस्तान में नजर आए थे.

अंजन श्रीवास्तव

मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण की कल्पना से निकला कॉमन मैन जब श्रीनिवास वागले के जरिए टीवी पर आया, तो लोगों ने इसे खूब पसंद किया. इस किरदार को अंजन श्रीवास्तव ने निभाया था, वागले की दुनिया से घर-घर में पहचाने जाने वाले अंजन श्रीवास्तव फिल्मी दुनिया के एक बड़े और पुराने चेहरे हैं. इन 40 सालों में उन्होंने अनगिनत फिल्मों और नाटकों में काम किया है.

आलोक नाथ

आलोक नाथ भारतीय सिनेमा के पिता हैं. नहीं पितामह नहीं. वो सुसंस्कृत और संस्कारी भारतीय पिता के सिनेमाई चेहरे हैं. 1986 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए 'बुनियाद' में मास्टर हवेली राम के जरिए जिस तरह उन्होंने भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दर्द को बयां किया है, उसने इस सीरियल को टीवी इंडस्ट्री का मील का पत्थर बना दिया. वैसे, आलोक नाथ इसके पहले भी फिल्मों में नजर आते रहे थे लेकिन उनका खुद मानना है कि वो बुनियाद उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट है. इस सीरियल में देशभक्त पिता बनने के बाद और अपने किरदारों के चुनाव की वजह से अब संस्कारी भारतीय पिता के रूप में ही देखे जाते हैं लेकिन ये बात तो तय है कि दूरदर्शन के दौर को बुनियाद के बिना और बुनियाद को आलोकनाथ के बिना देख पाना नामुमकिन है.