view all

विश्व पर्यावरण दिवस: हमारी सोच से भी ज्यादा खतरनाक है प्लास्टिक

इस साल 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम पर 45 वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है और भारत इसकी मेजबानी कर रहा है

Piyush Raj

पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है और इस बार थीम है- 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन'. यानी इस बार प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है. विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने की विधिवत शुरुआत 5 जून, 1974 को हुई थी. वैसे इसके बारे में दुनिया के देशों के बीच सहमति 1972 में ही बन गई थी.

1972 में 5 जून से लेकर 16 जून तक मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा हुई. इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ और पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए व्यापक रूपरेखा तय हुई. इसी सम्मेलन में 'एक पृथ्वी' थीम का प्रस्ताव पास हुआ और यह तय किया गया कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरी दुनिया के नागरिकों में जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाए.


क्या है विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य?

विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करते हुए उनमें राजनीतिक चेतना पैदा करना और पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्हें प्रेरित करना है. 5 जून, 1974 'केवल एक धरती' थीम पर पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया और इसका मेजबान देश संयुक्त राज्य अमेरिका था.

इस साल 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम पर 45 वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है और भारत इसकी मेजबानी कर रहा है. अभी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट आई थी कि दुनिया के 15 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में भारत के 14 शहर शामिल हैं और विश्व की लगभग 95 फीसदी आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है. ये आंकड़े अपने आप में बताने के लिए काफी हैं कि पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर भारत में खास ध्यान देने की जरूरत है.

वैसे तो आधुनिकीकरण की वजह से पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कई तत्व हैं. लेकिन इसमें प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसकी वजह से न सिर्फ भूमि बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी होता है और पर्यावरण को इसकी वजह से जो नुकसान होता है वो दीर्घकालीन होता है. यानी प्लास्टिक में पाए जाने वाले पदार्थों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई करना लगभग नामुमकिन है. प्लास्टिक के तत्व न सिर्फ मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं बल्कि पूरे पारिस्थितिक-तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं.

विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण फैलने की सबसे बड़ी वजह है कि हम इसका सही तरीके न इस्तेमाल करते हैं और न ही सही तरीके से इसका निपटान करते हैं. भारत में करीब 45 फीसदी प्लास्टिक उत्पादों का सिर्फ एक बार ही प्रयोग होता है और यह सबसे बड़ी समस्या है.

प्लास्टिक से होते हैं ये नुकसान

बहुत दिनों तक लोग प्लास्टिक का प्रयोग इस वजह से करते रहे क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं था कि इसके प्रयोग से स्वास्थ्य या पर्यावरण को किसी तरह की हानि भी होती है. एक शोध के अनुसार खानों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिको में करीब 4000 रसायन होते हैं- उसमें फॉर्मलडिहाइड नामक नामक रसायन भी शामिल है जिससे कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक होती है.

इसके अलावा कड़े और पारदर्शी प्लास्टिक में bisphenol A (BPA) और phthalates जैसे रसायन होते हैं. इस प्लास्टिक को पॉलीकार्बोनेट कहते हैं और इसका इस्तेमाल बच्चों के बोतलों और स्टोरेज कंटेनरों में होता है. कुछ रिसर्च के अनुसार bisphenol A की वजह से शरीर के हार्मोन्स और प्रजनन तंत्र पर असर पड़ता है. इससे गर्भधारण संबंधी समस्याएं भी होती हैं.

इसके साथ-साथ यह भी संभावना व्यक्त की गई है कि इससे डायबिटिज, दिल की बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियां भी होती हैं. इसके अलावा प्लास्टिक के रसायन समुद्र, नदी आदि में भी पहुंच जाते हैं जो मानव के साथ-साथ जलीव जीवों और पौधों पर भी बुरा असर डालते हैं.

इन सबकी मुख्य वजह यह है कि हम प्लास्टिक का ठीक से इस्तेमाल नहीं करते हैं और प्लास्टिक की थैलियों और बोतलों को जगह-जगह फेंक देते हैं. इससे जमीन, हवा और वायु सभी प्रदूषित होते हैं और अंततः हमारी लापरवाही हम पर ही भारी पड़ती है.