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वर्ल्ड ब्लड डोनर डे: किसी के लिए, वहां मौजूद रहें, रक्त दें, जीवन बांटें

खून की आपूर्ति नहीं हो पाने से हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. सिर्फ 2017 में ही देश में करीब 12 लाख ब्लड यूनिट जरूरत पड़ने पर नहीं मिल पाया था

FP Staff

थैलेसीमिया, एक ऐसी बीमारी जिसमें आपके रक्त कणों की उम्र 120 दिनों से घटकर मात्र 20 दिनों तक रह जाती है. इसका सीधा प्रभाव शरीर में बनने वाले हीमोग्लोबीन पर पड़ता है. शरीर में तेजी से खून की कमी हो जाती है. फिर हर दूसरे दिन खून की जरूरत पड़ती है. लेकिन हम थैलेसीमिया की बात क्यों कर रहे हैं? जब बात रक्त दान पर होनी थी.

ऐसा इसलिए क्योंकि हम आपको उस ऐड की याद दिलाना चाहते हैं. जिसमें एक बच्ची हर दूसरे शख्स को थैंक्यू बोलती है. जवाब में जब उससे ये सवाल किया जाता है कि वो ऐसा क्यों कर रही है? वो कहती है कि उसे थैलेसीमिया है, उसे हर कुछ दिनों पर ब्लड की ज़रूरत पड़ती हैं. और उसकी इस ज़रूरत को वो लोग पूरा करते हैं, जिन्हें वो जानती तक नहीं. इसलिए मिलने वाले हर अंकल, आंटी, भैया और दीदी को वो थैंक्यू कहना चाहती है.


साल 2010 में आए इस ऐड ने बेहद संजीदगी से ब्लड डोनेशन और ब्लड डोनेट करने वाले की अहमियत को समझाया था. ब्लड डोनेशन की जागरूकता को लेकर पूरे विश्वभर में कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. ऐसा ही एक कदम है डबल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) ने 'वर्ल्ड ब्लड डोनर डे' के तौर पर उठाया है.

इस दिन को मनाने का केवल एक ही उद्देश्य है कि बड़ी से बड़ी संख्या में लोग आगे आएं और ब्लड डोनेट करें. साथ ही उन्हें स्वेच्छा से रक्तदान करने पर धन्यवाद भी दिया दाए. इस साल वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर डबल्यूएचओ का स्लोगन- 'किसी के लिए, वहां मौजूद रहें, रक्त दें,जीवन बांटें.'

भारत में ब्लड डोनेशन की क्या है तस्वीर?

केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के अनुसार 2016 तक देशभर में 2,760 ब्लड बैंक हैं. इन्हें या तो सरकार, प्राइवेट बॉडी या एनजीओ चलाते हैं. 'रेड क्रॉस सोसाइटी' उन्हीं में से एक है. भारत में ब्लड अपनी इच्छा से डोनेट करने का प्रावधान है. इसके बदले में आपको पैसे नहीं दिए जाते.

डबल्यूएचओ ने साल 1975 में संकल्प लिया था कि ब्लड डोनेट करना एक स्वैच्छिक कदम है. उसके बदले लोगों को पैसे देना सही नहीं है. भारत में भी साल 1995 में इस क़ानून को लागू किया गया और ब्लड डोनर्स को पैसे देने पर रोक लगा दी गई. हांलाकि इसके बाद रक्तदान की गति थोड़ी धीमी ज़रूर हुई है. डॉक्टरों का मानना है कि भले ही कमी दर्ज हुई हो लेकिन यह कदम सही है. पैसों के स्वार्थ में लोग अंधे हो जाते हैं. और ऐसे में दूषित खून भी बेच दिया जाता है.

दूसरा पक्ष ये है कि हमारे पास इसका विकल्प क्या है? इतने साल से रक्तदान की जागरूकता को लेकर चलाए जा रहे तमाम ऐड कैंपेन, रक्तदान-महादान, रक्त दें-जीवन बांटे जैसे स्लोगन के बावजूद देश में मरीज़ों और पीड़ितों को जितने खून की आवश्यकता पड़ती है, उसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही.

एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में देश में करीब 12 लाख ब्लड यूनिट जरूरत पड़ने पर नहीं मिल पाया. वक्त पर खून ना मिलने से हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. जानकारों का मानना है कि इसका सबसे बड़ा कारण लोगों के बीच जागरूकता की कमी है. लोगों के मन में बहुत सारी मिथ्याएं हैं. जो उन्हें रक्तदान करने से रोकती है.

रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती है?

अक्सर लोगों के मन में इस तरह की भ्रांतियां होती हैं कि खून देने से शरीर में कमजोरी आ जाएगी, बीमार पड़ जाएंगे, शरीर में खून की कमी हो जाएगी. इसलिए बहुत से लोग रक्तदान करने से कतराते हैं. लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है. रक्तदान करना कहीं से भी नुकसानदेह नहीं है. बल्कि यह सुरक्षित और फायदेमंद ही होता है. बशर्तें आप स्वस्थ हों. डॉक्टर्स का कहना है कि सभी सेहतमंद लोगों को साल में एक बार तो जरूर रक्तदान करना चाहिए.

ब्लड डोनेशन: सच्ची हैं ये बातें

- 18 से 65 साल की उम्र तक का कोई भी शख्स कर सकता है रक्तदान.

- ज़रूरी नहीं कि आप दिखने में दुबले-पतले हों तो आप ब्लड डोनेट नहीं कर सकते.

-आपका शरीर कितना स्वस्थ है, यह मायने रखता है कद-काठी नहीं.

- रक्तदान करने से एक दिन पहले रात में अच्छी नींद लेना जरूरी है.

- खून देने से पहले हल्का नाश्ता और ज्यादा से ज्यादा पानी पीजिए.

- बीमार हों तो रक्तदान करने से बचें.

- रक्तदान करने के बाद दो-तीन दिनों तक खूब फल और सब्जियां खाएं.

- हर तीन महीने में एक बार कर सकते हैं ब्लड डोनेट.

- ब्लड लाइसेंसशुदा ब्लड बैंक या कैंप में ही जाकर डोनेट करें.