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डैन ब्राउन: थ्रिल का तिलिस्म और बेस्टसेलिंग का फंडा

कई विधाओं में हाथ आजमाने के बाद डैन ब्राउन ने रचा रहस्य का संसार

Arun Tiwari

दुनियाभर में द विंची कोड के रचयिता के रूप में प्रख्यात डैन ब्राउन ने अपनी जिंदगी में हास्य भी रचे हैं. लेकिन दुनिया को थ्रिल याद रहता है. उनका थ्रिल भी बेकार था, जब तक कि धर्म से जुड़ा रहस्य उनकी किताबों का मुख्य विषय नहीं बना. लेखक बनने से पहले वो संगीतकार और गायक भी रहे हैं. टीचर भी रहे हैं. स्क्वैश भी खेला है. आज उनका जन्मदिन है. उनके जीवन के अनछुए पहलुओं पर चर्चा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आपके सामने जब किसी का कोई लोकप्रिय रूप खड़ा होता है तो इच्छा भी प्रबल हो जाती है कि उसके पीछे क्या है, ये जाना जाए.

उपन्यासों के सीक्रेट कोड की पाठशाला था पारिवारिक माहौल


डैन के पिता रिचर्ड जी ब्राउन गणित के टीचर थे. इसके अलावा डैन के पिता और मां चर्च में गायक दल में संगीत देते थे और गाते भी थे. कहा जाता है कि बाद के अपने मशहूर उपन्यासों में डैन जिन सीक्रेट कोड की चर्चा करते रहते हैं वो उनके बचपन के पारिवारिक माहौल का ही परिणाम है. इनमें गणित, संगीत, भाषाओं जैसी कई चीजें थीं जो उनके माता-पिता के कामों से जुड़ी हुई थीं.

बचपन में क्रॉसवर्ड्स खेलना डैन के शौक में शुमार था. डैन की परवरिश एक धार्मिक माहौल में हुई थी लेकिन उनके शब्दों में ईसाईयत से उनके मतभेद धर्म के नए मायनों की तलाश की वजह से हुए थे.

डैन बड़े हुए तो कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद गीत लेखक और गायक बनने की ठानी. कई जगह कोशिश की. पॉप संगीत भी गाया. बीच में स्कूल में बच्चों को भी पढ़ाया लेकिन जिंदगी बदली एक किताब ने. किताब का नाम था 'डूम्सडे कॉन्सपिरेसी' और लेखक थे सिडनी शेल्डन.

डैन ने यहीं से फैसला किया कि अब रहस्य और रोमांच से भरी किताबों के लेखक बनेंगे. इसके बाद उन्होंने अपनी किताब डिजिटल फोर्टेस पर काम करना शुरू किया. बीच में उनकी एक दो हास्य पर भी किताबें आईं लेकिन कामयाबी वैसी नहीं मिल रही थी.

अपने पैशन का काम चुनने के बावजूद भी सफलता न मिलने के कारण डैन निराशा की ओर जा रहे थे. इन सारी कवायदों के बीच डैन की जिंदगी को अगर कोई बात बेहतर बना रही थी, वो थीं उनकी पत्नी. संगीत सीखने के दौरान डैन की पत्नी ब्लीथे न्यलॉन. ब्लीथे उम्र में डैन से 12 साल बड़ी हैं और शुरुआती दिनों में स्क्रिप्ट रायटिंग में उनकी मदद किया करती थीं. उस समय शायद ही किसी को उम्मीद थी कि वो दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन साथ काम करने के लंबे समय के दौरान दोनों के बीच एक पर्सनल रिलेशनशिप डेवलप हुई जिसने बाद में शादी का रूप लिया.

डैन अपनी किताबों में रहस्य और रोमांच की दुनिया का वो संसार रचना चाहते थे जो उनके पूर्ववर्ती कई बड़े थ्रिलर लेखकों ने रचा था. लेकिन डैन की किस्मत जुड़ी हुई थी एक किरदार से. उसका किरदार का नाम था रॉबर्ट लैंगडन. इस किरदार का जन्म हुआ डैन के पहले बहुचर्चित उपन्यास एंजेल्स एंड डेमन्स में जो साल 2000 में आया था. इस उपन्यास के बाजार में आने के बाद डैन की लोकप्रियता बढ़ी फिर जिसे चार चांद लगाया एक ऐसे उपन्यास ने जिसने बिक्री के सारे कीर्तिमान ध्वस्त करके रख दिए.

इस उपन्यास का नाम था द विंची कोड. इस किताब को लेकर डैन पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के आरोप भी लगे. डैन को इस उपन्यास से वो लोकप्रियता मिली जिसकी शायद वो तलाश भी कर रहे थे. इस कृति को लेकर डैन को जबरदस्त आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा लेकिन इन सारी बातों के बीच किताब बेस्ट सेलर रही.

एंजेल्स और डेमन्स और द विंची कोड दोनों ही उपन्यासों पर फिल्में भी बनीं. द विंची कोड की बहुत आलोचना हुई. फिल्मों की समीक्षा से जुड़ी वेबसाइट रोटेन टोमैटो पर इसे एक कमजोर फिल्म करार दिया गया लेकिन कमाई की बारी में एक बार फिर डैन बाजी मार ले गए. ये फिल्म 2006 में हॉलीवुड में कमाई करने के मामले में दूसरे स्थान पर रही. द विंची कोड में रॉबर्ट लैंगडन का किरदार मौजूद रहा.

इसके बाद 2013 में रॉबर्ट लैंगडन सीरीज का एक और उपन्यास आया इनफरनो. लैंगडन सीरीज में अभी तक डैन कुल चार किताबें लिख चुके हैं जिनमें से एंजेल्स एंड डेमन्स, द विंची कोड और इनफरनो फिल्मों के रूप में तब्दील हो चुकी हैं. एक और किताब है द लॉस्ट सिंबल (2009). इन सभी फिल्मों में रॉबर्ट का किरदार ऑस्कर विजेता एक्टर टॉम हैंक्स ने निभाया.

डैन की किताबों की अभी तक 20 करोड़ से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं. डैन एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसने कई विधाओं में हाथ आजमाने की कोशिश के बावजूद हार नहीं मानी. जिंदगी के मायनों की तलाश में भटकते हुए जब एक इंटरेस्टिंग किरदार मिला तो उन्होंने रहस्य और रोमांच की वो दुनिया रच ही डाली जिस कामयाबी के लिए वो सारी मशक्कत कर रहे थे. उनकी एक बात से काफी कुछ समझने में आसानी होती है-

दुनिया में बहुत सारी मुश्किलें हैं, लेकिन एक बार जब आप आलीशान कार के भीतर बैठते हैं तो वो सब खिड़कियों के बाहर निकल जाती हैं