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69वां गणतंत्र दिवस: क्यों लगाई गई थी झंडे के बीच में सफेद पट्टी

तिरंगे के उसके वर्तमान रूप तक पहुंचने की कहानी बड़ी रोचक है

Aditi Sharma

भारत का राष्ट्रीय ध्वज उम्मीद और अकांक्षाओं का प्रतीक माना जाता है. इस  ध्वज का इतिहास जितना गहरा है उतना ही रोचक भी. आइए देखते कैसा रहा भारत के इतिहास में राष्ट्रीय ध्वजों का सफर.

 ब्रिटिश राज 


ये ब्रिटिश भारत ध्वज 1858 में लाया गया था. इसमें आपको जो लोगो दिख रहा है उससे मिलता जुलता लोगो अब बीसीसीआई इस्तेमाल करती है.

सिस्टर निवेदिता का ध्वज

भारत का पहला अनआधिकारिक ध्वज 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता के ग्रीन पार्क में पारसी बागान स्क्वेर में फहराया गया था. ये 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या मार्गेट एलिज़ाबेथ नोबेल ने बनाया था. जिन्हें सिस्टर निवेदिता के नाम से भी जाना जाता है. ये तिरंगा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद के केंद्रीय  कक्ष में फहराया था.

मैडम कामा का ध्वज

इसके बाद आया दूसरा ध्वज जो मैडम कामा ने 1907 में अपने कुछ क्रांतिकारी सदस्यों के साथ पैरिस में फहराया था. विदेशी धरती पर फहराया गया ये पहला ध्वज था. ये झंडा पहलेवाले से थोड़ा सा ही अलग था जिसे बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया. मैडम कामा जिनका पूरा नाम भीकाजी रूस्तम कामा है जर्मनी के स्टुटगार्ट में 22 अगस्त 1907 में हुई 7वीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहराने के लिए जानी जाती हैं.

होम रूल आंदोलन के समय

(फोटो : भारत कोश)

ये झंडा होम रूल आंदोलन अखिल भारतीय होम रूल लीग द्वारा 1917 में फहाराया गया था जिसको ऐनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने मिलकर फहराया. ये आंदोलन घरेलू शासन के खिलाफ शुरू हुआ था.

गांधी जी का झंडा

इसके बाद 1921 में ये झंडा आया जिसे महात्मा गांधी के नेतृत्व में बनाया गया. इसे  पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. इसमें महात्मा गांधी के चरखे को भी इस्तेमाल किया गया था. इस झंडे को कांग्रेस की बैठक में पेश किया गया था. ये 3 रंगो से मिलकर बना था सफेद, हरा और लाल, मगर सफेद ऊपर होने की वजह इसमें दूर से या धूप में दो रंग ही दिखाई पढ़ते थे. इसलिए मांग उठने लगी कि सफेद रंग को हटा दिया जाए या फिर इसे बीच में किया जाए. इस झंडे के दो रंग लाल और हरा हिंदू और मुस्लिम को दर्शाते थे.

स्वराज ध्वज

इसके बाद गांधी जी ने झंडे में कुछ बदलाव करवाए. 1931 में स्वराज ध्वज आया. इसको पहली बार 31 अक्टूबर 1931 को फहराया गया. यह झंडा 1947 तक अस्तित्व में रहा. इसमें सफेद रंग को बीच कर दिया गया था. इस ध्वज को 1931 में कांग्रेस कमेटी की बैठक में आधिकारिक ध्वज के तौर पर मान्यता मिली. आजाद हिंद फौज ने इसको अपनाया मगर चरखे की जगह बीच में दहाड़ता हुआ शेर बना दिया.

तिरंगा

भारत में अब तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. जिसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में मान्यता मिली. ये स्वराज ध्वज की तरह ही था बस चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली थी. इसके साथ ही ध्वज के रंगों के मायने भी बदल गए. केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक बन गया. सफेद शांति का. अशोक चक्र हमेशा आगे बढ़ते रहने का. और हरा  हरियाली का प्रतीक बना. चरखे की जगह अशोक चक्र को अपनाने के चलते तिरंगा अब दोनों ओर से एक जैसा दिखता है.