view all

सुभाष घई ने ए आर रहमान का संगीत सुनने के बाद क्यों बदल दिया था फिल्म का नाम?

राग गावती एक दुर्लभ किस्म का राग है. इस राग के आरोह में ‘रे’ और ‘ध’ नहीं लगता है. अवरोह संपूर्ण वक्र होता है जिसका अंत ग म रे सा से होता है

Shivendra Kumar Singh

फिल्म ताल की कामयाबी और अंग्रेजी के अक्षर ‘ए’ का दिलचस्प कनेक्शन

साल 1999 की बात है. ए आर रहमान फिल्म इंडस्ट्री के कामयाब संगीतकार के तौर पर पहचान बना रहे थे. बॉम्बे, रंगीला, दिल और जेंटलमैन जैसी फिल्मों का संगीत फिल्म इंडस्ट्री में धूम मचा रहा था. इन चार में से दो फिल्मों में उन्होंने मणिरत्नम के लिए संगीत दिया था. इसके अलावा एक फिल्म का निर्देशन रामगोपाल वर्मा ने और एक का महेश भट्ट ने किया था.


उसी दौरान कई हिट फिल्मों के डायरेक्टर रहे सुभाष घई एक फिल्म बना रहे थे. इससे पहले उन्होंने कभी ए आर रहमान के साथ काम नहीं किया था. कुछ ऐसा संयोग बना कि सुभाष घई और ए आर रहमान ने यह फिल्म एकसाथ करने का मन बनाया. इस फिल्म का नाम अभी सुभाष घई ने तय नहीं किया था. फिल्म का ‘सब्जेक्ट’ ऐसा था कि सुभाष घई इस फिल्म का नाम दिल, प्यार जैसे शब्दों के इर्द-गिर्द रखना चाह रहे थे. यह अलग बात है कि जब उन्होंने इस फिल्म के लिए तैयार किया गया ए आर रहमान का संगीत सुना तो उन्होंने फिल्म का नाम रखा- ताल. जिस फिल्म ने कामयाबी के कई नए कीर्तिमान कायम किए.

दिलचस्प बात यह भी है कि इससे पहले भी इन दोनों ने एक फिल्म के लिए गाना तैयार किया था, लेकिन वो फिल्म रिलीज नहीं हो पाई. उस फिल्म के लिए ए आर रहमान ने जो गाना तैयार किया था उसे आखिर में ताल फिल्म में इस्तेमाल किया गया. आपको वो गाना सुनाते हैं.

ए आर रहमान ने इस गाने को तो पहले से ही तैयार कर लिया था. अब असली चुनौती थी फिल्म के बाकी गानों की. फिल्म के गीतकार आनंद बक्षी थे. फिल्म के संगीत को लेकर जमकर मेहनत हो रही थी. कई बार ऐसा होता था जब रहमान, आनंद बक्षी रात-रात भर काम करते थे. सुभाष घई भी साथ बैठा करते थे. यही वजह भी थी कि जब फिल्म का संगीत तैयार हुआ तो उसने कामयाबी के रिकॉर्ड बना दिए. इस फिल्म के संगीत के लिए ए आर रहमान को उस साल नेशनल अवॉर्ड को छोड़कर सभी बड़े अवॉर्ड मिले थे. उस साल का नेशनल अवॉर्ड इस्माइल दरबार को फिल्म हम दिल दे चुके सनम के लिए मिला था. बाद में सुभाष घई ने अपनी और भी फिल्मों में बतौर संगीतकार ए आर रहमान के साथ काम किया है.

खैर, अब आपको इस फिल्म का वो गाना सुनाते हैं, जिससे हमारे आज के राग की कहानी निकलती है. इस गाने को सुखविंदर सिंह और अलका यागनिक ने गाया था.

इस गाने को ए आर रहमान ने शास्त्रीय संगीत पर आधारित राग गावती की जमीन पर कंपोज किया था. आइए अब आपको इस फिल्म की कामयाबी के साथ अंग्रेजी के अक्षर ‘ए’ की दिलचस्प कहानी सुनाते हैं. हुआ यूं कि इस फिल्म के लिए चार फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे. जिन चार लोगों को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला उन सभी के नाम अंग्रेजी के अक्षर ‘ए’ से शुरू होते थे. सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए अनिल कपूर, सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए आनंद बक्षी, सर्वश्रेष्ठ फीमेल प्लेबैक सिंगर के लिए अलका यागनिक और सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए ए आर रहमान को फिल्मफेयर से नवाजा गया था. इसके अलावा इस फिल्म के कलाकारों में ज्यादातर बड़े नाम ‘ए’ अक्षर वाले कलाकार ही थे. आप फिल्म के स्टारकास्ट को याद कीजिए. इसमें अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय, अक्षय खन्ना, अमरीश पुरी और आलोक नाथ जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था.

खैर, आज की राग गावती की बात करते हैं. फिल्म ताल के इस गाने के अलावा ए आर रहमान ने 2001 में रिलीज फिल्म नायक में भी इसी राग की जमीन पर एक गाना कंपोज किया था. आइए वो गाना भी सुनते हैं.

इसके लिए 2003 में रिलीज फिल्म- कुछ ना कहो में संगीतकार शंकर एहसान लॉय ने इसी राग की जमीन पर एक गाना कंपोज किया था. जिसके बोल थे- बात मेरी सुनिए तो जरा. इसके अलावा 2003 में रिलीज फिल्म- एलओसी कारगिल में एक साथी और भी था गाना भी इसी राग के आधार पर तैयार किया गया था. फिल्म का संगीत अनु मलिक ने तैयार किया था. आपको फिल्म कुछ ना कहो का एक गाना सुनाते हैं. दूसरा वीडियो पाकिस्तान के मरहूम कव्वाली सम्राट उस्ताद नुसरत फतेह अली खान का है. जो राग गावती गा रहे हैं. नुसरत साहब के इस गीत के बोल हैं- धन धन भाग हमारो सजनी.

अब आपको राग गावती के शास्त्रीय पक्ष के बारे में बताते हैं. राग गावती एक दुर्लभ किस्म का राग है. इस राग के आरोह में ‘रे’ और ‘ध’ नहीं लगता है. अवरोह संपूर्ण वक्र होता है. जिसका अंत ग म रे सा से होता है. राग गावती में ‘नी’ कोमल लगता है. इस राग की अदायगी में मींड का इस्तेमाल काफी किया जाता है. इस राग को शास्त्रीय राग भीम के बेहद करीब का राग माना जाता है. फर्क सिर्फ चलन का होता है. राग गावती के बारे में और विस्तार से जानने के लिए आप ये वीडियो देख सकते हैं.

किसी भी राग के संपूर्ण चरित्र को समझाने के लिए हम हमेशा आखिर में आपको विश्वविख्यात शास्त्रीय कलाकारों की उस राग की प्रस्तुति का वीडियो दिखाते हैं. आज बात राग गावती की चल रही है तो सबसे पहले देखते हैं बनारस घराने की शास्त्रीय कलाकारों की जोड़ी पद्मभूषण पंडित राजन साजन मिश्र का गाया राग गावती. दूसरा वीडियो पटियाला घराने के दिग्गज कलाकार पंडित अजय चक्रवर्ती का है, जो राग गावती की एक रचना गा रहे हैं.

राग गावती में शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की प्रस्तुति को समझने के लिए आपको दो वीडियो दिखाते हैं. पहला वीडियो सितार वादन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर उस्ताद विलायत खान साहब का है. दूसरे वीडियो में सितार के ही एक और दिग्गज कलाकार उस्ताद शाहिद परवेज की प्रस्तुति है. इन दोनों वीडियो के साथ आपको छोड़े जा रहे हैं.