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किस फिल्म के लिए पंडित राजन मिश्र ने गाया था- आयो प्रभात सब मिल गाओ

राग भटियार के बहाने शास्त्रीय संगीत की स्थिति पर बन चुकी फिल्म सुर संगम की कहानी

Shivendra Kumar Singh

के विश्वनाथ का नाम फिल्मी दुनिया की बड़ी हस्तियों में गिना जाता है. उन्होंने तेलगु के अलावा कई सुपरहिट हिंदी फिल्मों का भी निर्माण किया. उनकी बनाई हिंदी फिल्मों में ईश्वर, संजोग और कामचोर जैसी फिल्में लोगों ने खूब पसंद की थीं. के. विश्वनाथ ने 1985 में एक अनूठे विषय पर फिल्म बनाने की सोची. फिल्म का विषय ही शास्त्रीय संगीत के इर्द-गिर्द था. फिल्म की कहानी लिखने का जिम्मा वसंत देव पर था. वसंत देव उस वक्त तक अर्धसत्य के डायलॉग्स और उत्सव के गाने लिखकर अपनी एक अलग जगह बना चुके थे. फिल्म का नाम रखा गया- सुर संगम. दिग्गज अभिनेता गिरीश कर्नाड, जया प्रदा को कास्ट किया गया.

फिल्म के मुख्य कलाकार के तौर पर गिरीश कर्नाड को आने वाली पीढ़ियों में इस कला के भविष्य की चिंता थी और वो इस जिम्मेदारी के लिए सही कंधे खोज रहे थे. फिल्म का संगीत देने की जिम्मेदारी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को सौंपी गई. चूंकि फिल्म की कहानी ही शास्त्रीय संगीत पर आधारित थी इसलिए लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए भी एक तरह का अनुभव था. इस फिल्म में उन्होंने शास्त्रीय राग भटियार की जमीन पर एक गाना तैयार किया. आइए आपको वो गाना सुनाते हैं, फिर इस गाने की कहानी को आगे बढ़ाएंगे.


इस गाने की शुरूआत में आपने एक शानदार आलाप सुना. क्या आप जानते हैं कि वो आलाप किस गायक ने लिया है. दरअसल ये आवाज बनारस घराने के जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र की है. पंडित राजन मिश्र अपने छोटे भाई पंडित साजन मिश्र की जोड़ी भारतीय शास्त्रीय संगीत के बड़े नामों में शुमार है. इस फिल्म में पंडित राजन मिश्र ने कई जगहों पर अपनी आवाज दी थी.

इसकी वजह ये थी कि लक्ष्मीकांत प्यारेलाल चाहते थे कि चूंकि फिल्म शास्त्रीय संगीत पर आधारित है इसलिए उसमें गायकी और संगीत का पक्ष शुद्ध हो और मजबूत हो. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म के संगीत पक्ष से कितने दिग्गज कलाकार जुड़े हुए थे. इसमें पंडित राजन मिश्र के अलावा, विश्वविख्यात गायिका भारत रत्न लता मंगेशकर, कविता कृष्णमूर्ति, सुरेश वाडेकर, एसपी बालासुब्रमनियम, एस जानकी, अनुराधा पौडवाल और वसंत मुदलियार जैसे दिग्गज शामिल थे.

हमारा आज का राग भटियार है. इस पर बने और फिल्मी गानों और राग की शास्त्रीयता पर बात करने से पहले आइए आपको पंडित राजन साजन मिश्र का गाया राग भटियार सुनाते हैं. जो उन्होंने बनारस में होने वाले मशहूर संकटमोचन संगीत समारोह में गाया था.

इसी तरह 1970 में टी प्रकाश राव ने एक फिल्म बनाई थी- घर घर की कहानी. फिल्म का संगीत कल्याण जी आनंद जी का था. ये फिल्म किशोर कुमार के गाए ‘समां है सुहाना सुहाना, नशे में जहां है’ के लिए अब भी याद की जाती है. इसी फिल्म में कल्याण जी आनंद जी ने एक भजननुमा गाना भी तैयार किया था. जो राग भटियार की जमीन पर ही था. इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था.

ऐसे ही राग भटियार की जमीन पर ही संगीतकार एआर रहमान ने भी गाना कंपोज किया है. जो 2005 में रिलीज फिल्म ‘वाटर’ में था. गाने के बोले थे- नैना नीर बहाए और इसे आवाज दी थी साधना सरगम से. दीपा मेहता की बनाई इस फिल्म का विषय बनारस में रहने वाली विधवाओं पर केंद्रित था. जिसके लेकर विवाद भी हुआ था. आइए आपको ये गाना सुनाते हैं.

आइए अब आपको राग भटियार के शास्त्रीय पक्ष के बारे में बताते हैं. राग भटियार की रचना बिलावल थाट से है. इस राग में कोमल ‘रे’ और दोनों ‘म’ इस्तेमाल किया जाता है. राग भटियार का चलन वक्र है और जाति वक्र संपूर्ण. इस राग का वादी स्वर ‘म’ और संवादी स्वर ‘स’ है. जो महत्व शतरंज के खेल में बादशाह और वजीर का होता है वही महत्व किसी भी शास्त्रीय राग में वादी और संवादी स्वरों का होता है.

राग भटियार के गाने बजाने का समय रात का अंतिम पहर है. राग भटियार और भंखार काफी मिलते जुलते राग हैं. राग भटियार में जो महत्व ‘म’ का है वही महत्व राग भंखार में ‘प’ का है. जैसा कि हमने बताया कि राग भटियार में दो ‘म’ का इस्तेमाल किया जाता है. तीव्र ‘म’ का थोड़ा प्रयोग ‘ध’ के साथ होता है. गायन के समय तार सप्तक में जाने के लिए इन्हीं स्वरों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा शुद्ध ‘म’ का प्रयोग आरोह अवरोह में बहुत अच्छी तरह किया जाता है. आइए आपको राग भटियार का आरोह अवरोह बताते हैं.

आरोह- सा, रे सा, सा ध S ध प म, प ग म(तीव्र) नी ध सां

अवरोह- रे S नी ध प म, प ग प ग रे S सा

पकड़- सा ध S ध प S प म, प ग, प ग रे S सा

राग भटियार के बारे में और विस्तार से जानने के लिए आप एनसीईआरटी का बनाया गया ये वीडियो भी देख सकते हैं.

आइए अब आपको राग भटियार के शास्त्रीय पक्ष को बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ और वीडियो दिखाते हैं. ये वीडियो भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कलाकारों के होते हैं. आज राग भटियार की प्रस्तुति को समझाने के लिए हम आपको दो बहुत खास वीडियो दिखा रहे हैं. पहला वीडियो सुप्रसिद्ध गायिका वीना सहस्रबुद्धे का है. जिन्हें ग्वालियर घराने के अलावा शास्त्रीय गायकी के जयपुर और किराना घराने की गायकी का भी ज्ञान था. दूसरा वीडियो मेवाती घराने के विश्वविख्यात कलाकार पंडित जसराज जी का है. जो राग भटियार गा रहे हैं.

शास्त्रीय गायन के बाद वादन पक्ष को समझाने के लिए भी हमने एक खास वीडियो निकाला है. ये रिकॉर्डिंग 1988 की है. कलाकार हैं भारत रत्न से सम्मानित सितार सम्राट पंडित रविशंकर. उनके साथ तबले पर संगत कर रहे हैं पंडित कुमार बोस. पंडित कुमार बोस इन दिनों भारत के सबसे प्रतिष्ठित तबला वादकों में से एक हैं. आप इस लाजवाब संगत का आनंद लीजिए, हम इजाजत लेते हैं. अगले हफ्ते एक नए राग के साथ हाजिर होंगे.