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सबको हराकर अपनी बेटी के हाथों हार गए थे जिन्ना

पाकिस्तान के कायदे-आजम के जीवन के अजीब संयोग रहे. जवानी में जो उन्होंने किया उनकी बेटी डीना वाडिया ने भी अपनी जवानी में वही किया

Pratima Sharma

मोहम्मद अली जिन्ना की जिद्द के आगे एक दिन गांधी को भी झुकना पड़ा था. हिंदुस्तान से पाकिस्तान अलग हुआ और जिन्ना की जिद्द पूरी हुई. लेकिन कायदे-आजम भी किसी की जिद्द के सामने हार गए थे. और उनको यह शिकस्त किसी नेता से नहीं बल्कि अपनी बेटी बेटी डीना वाडिया से मिली थी.

डीना वाडिया अब इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके नाम के साथ लगा सरनेम 'वाडिया' दुनिया को उनकी जिद्द की याद जरूर दिलाता रहेगा. जिन्ना चाहते थे कि उनकी बेटी किसी मुस्लिम से शादी करे लेकिन डीना के दिल में पारसी नेविल वाडिया बसे हुए थे. डीना वाडिया का नाम ही यह बताने के लिए काफी है कि बाप-बेटी में जीत किसकी हुई.


अजब संयोग 

जिन्ना की जिंदगी के भी अजीब संयोग रहे. उनकी जिद्द की वजह से 1947 में 14-15 अगस्त की रात पाकिस्तान का जन्म हुआ. उसी 14-15 अगस्त की रात को 1919 में उनकी जिद्दी बेटी डीना वाडिया पैदा हुई थीं.

अगर कर्मफल के सिद्धांत को मानें तो जिन्ना ने जो किया, ठीक वही उनके साथ भी हुआ. 19 साल की डीना मुस्लिम थीं लेकिन पारसी से शादी करना चाहती थीं. ठीक वैसे ही जैसे मोहम्मद अली जिन्ना खोजा मुस्लिम होने के बावजूद पारसी रत्नाबाई पेटीट से शादी करना चाहते थे. जिन्ना की उम्र रत्नाबाई के पिता दिनशॉ पेटीट से सिर्फ 3 साल कम थी. दोनों दोस्त भी थे. समाज की परवाह किए बगैर जिन्ना खुद से 24 साल छोटी और दोस्ती की बेटी से हर हाल में शादी करना चाहते थे. वहीं दिनशॉ इसके लिए कतई तैयार नहीं थे. लेकिन जिन्ना और रत्नाबाई को कोई रोक नहीं पाया और 1918 में दोनों की शादी हो गई.

पारसी नेविल वाडिया से शादी के बाद डीना वाडिया और जिन्ना के बीच दूरियां बढ़ीं

20 साल बाद कहानी वही थी. सिर्फ किरदार बदल गए थे. इस बार पिता की भूमिका में खुद जिन्ना थे और सामने थी उनकी बेटी डीना. जिन्ना चाहते थे कि डीना की शादी किसी मुस्लिम से हो, लेकिन बेटी पारसी नेविल वाडिया से शादी करने के लिए आमदा थीं.

शादी की बात पर जब बाप और बेटी में बहस हुई. जिन्ना ने कहा, 'भारत में सैकड़ों मुसलमान लड़के हैं और तुम्हें उनमें से किसी को चुनना चाहिए.' बेटी भी कहां कम थीं. कभी जिन्ना के असिस्टेंट रहे करीम चागला के मुताबिक डीना ने कहा, 'भारत में लाखों मुस्लिम लड़कियां थीं फिर आपने उनमें से किसी से शादी क्यों नहीं की.' जिन्ना तब जवाब दिया, 'वह मुस्लिम बन गई थी.' लेकिन डीना पर इसका कोई असर नहीं हुआ. डीना ने 1938 में नेविल वाडिया से शादी कर ली और हमेशा के लिए मुंबई शिफ्ट हो गईं. जिस जिन्ना की बात को भारत के बड़े-बड़े नेता नहीं टाल पाए उनकी बात अपनी बेटी ने नहीं मानी.

जिन्ना और नेहरू: दो बड़े नेता और उलझन एक

पत्रकार जावेद नकवी ने द डॉन वेबसाइट पर एक लेख में लिखा है पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना और हिंदुस्तान के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की जिंदगी का दर्द कमोबेश एक जैसा ही था. एक तरह से देखा जाए तो पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना और हिंदुस्तान के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की जिंदगी का दर्द कमोबेश एक जैसा ही था.

जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बीच भी दूरियां फिरोज गांधी से शादी की वजह से बढ़ी थीं

दो नेता, दोनों की एक-एक बेटी और उनके पारसी दामाद. दोनों खानदान की बेटियों ने पिता की मर्जी के खिलाफ लव मैरेज की और पिता की नाराजगी मोल ली. वैसे तो इन दोनों नेताओं को सेकुलर माना जाता है लेकिन बात जब बेटियों की शादी की थी तो दोनों ने विरोध किया था.