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दिल्ली की वो गली जिसमें तिब्बत की रूह बसती है

अगर आप खाने-पीने और कुछ नया एक्सप्लोर करने के शौकीन हैं. दिल्ली या उसके आस-पास रहते हैं. तो तिब्बतियन कॉलोनी सस्ते में कुछ बिलकुल नया देखने का बेहतरीन मौका है

Animesh Mukharjee

एक शहर के अंदर क्या एक देश हो सकता है? हां, हो सकता है. ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी एक शहर में दूसरे देश को लोग आकर बसे और अपनी पहचान बनाए रखी.

दिल्ली विश्विद्यालय और कश्मीरी गेट आईएसबीटी बस स्टॉप के पास 1960 में तिब्बत से आए शरणार्थियों को बसाया गया. यमुना के किनारे बसी इस बस्ती ने आज दिल्ली शहर में एक अलग रूप अख्तियार कर लिया है. अगर आप खाने-पीने और कुछ नया एक्सप्लोर करने के शौकीन हैं. दिल्ली या उसके आस-पास रहते हैं. तो तिब्बतियन कॉलोनी सस्ते में कुछ बिलकुल नया देखने का बेहतरीन मौका है.


गलियों के पीछे छिपा खजाना

मजनूं का टीला गुरुद्वारे के पास एक लकड़ी का फुट-ओवर ब्रिज है. गंदे से लगने वाले इस पुल के पास आपको सड़क पर तिब्बतियन कॉलोनी में जाने का गेट दिखेगा. बेहद संकरी गलियां, जिनमें लाल कपड़े पहने बौद्ध सन्यासी आपसे टकराते हैं. याक का सूखा चीज़, अचार बिकता दिखता है. हर तरफ छोटी-छोटी दुकानें जिनमें तिब्बत के झंडे लगे हैं. वहां की लड़कियां अलग-अलग तरह का सामान बेच रही हैं. सेव तिब्बत की टीशर्ट, बैग लटके हुए हैं.

इस माहौल में आपको करीब 300-400 मीटर तक चलना पड़ेगा. ये गलियां बेहद सकरीं हैं साथ ही घुमावदार भी. लेकिन ये छोटा सा सफर आपको परेशान करने की जगह हिमाचल के धर्मशाला की दिलाता है. अगर आप धर्मशाला नहीं गए हैं तो किसी भी छोटे से खूबसूरत पहाड़ी हिल स्टेशन की कल्पना कर सकते हैं.

बीच में पहुंचकर एक छोटा सा बौद्ध मठ दिखाई देता है. इसके आगे सड़क के एक ओर होटल और बड़ी दुकाने हैं. दूसरी तरफ स्ट्रीट मार्केट. लेकिन इन दोनों को देखकर ही आपको लगेगा कि आप तिब्बत में हैं. तिब्बत वालों ने अपनी संस्कृति को कैसे सहेजा है सीखने लायक है.

लाजवाब खाना यादगार शॉपिंग

अगर आप शाकाहारी नहीं हैं तो अच्छी खबर है. अगर मांस-मछली से परहेज है तो ऑप्शन कम हैं लेकिन फिर भी बहुत कुछ मिलेगा. इसके अलावा बिना अल्कोहल की एपल बियर मिलती है जिसका एक अलग मज़ा है. एक बात और अगर आपकी आस्था पर कोई आंच न आए तो पोर्क या बफ (सुअर और भैंस के मांस) से बनी चीज़ें ट्राय कर सकते हैं. लाल मांस का अपना एक अलग स्वाद होता है. इसकी वजह से आपको खाने का एक नया अनुभव मिलेगा.

आपको खाने की ज्यादातर चीजों के साथ इतनी सारी साइड डिश मिलती है

यहां कई रेस्तरां हैं. ज्यादातर में तिब्बतियन खाना मिलता है. इसके अलावा, कोरियन और जापानी क्यूज़ीन के कई ठिकाने हैं. इन सबमें कई तरह के नूडल्स और मोमोज़ होते हैं लेकिन ये चाइनीज़ नहीं हैं.

अगर आपको तिब्बतियन क्यूज़ीन खाना है तो नॉर-खयाइल एक अच्छा ऑप्शन है. लकड़ी का बना इंटीरियर किसी क्लासिक ओरिएंटल फिल्म की तरह लगता है. शाकाहारी लोग थुक्पा, अलग-अलग तरह के मोमोज़ और नूडल्स मिलेंगे. चावल से बने नूडल्स, शीशे की तरह पारदर्शी ग्लास नूडल्स और शाया-फालेय बेहद लजीज़ हैं.

सुशी जैसा किमबाब शाकाहारी और नॉनवेज दोनों के लिए अच्छा ऑप्शन है

इसी तरह से टी-डी रेस्तरां में आपको कई तरह की ब्रेड मिल जाएंगी. नॉनवेज खानेवालों के लिए पोर्क सबसे अच्छा ऑप्शन है. यहां बुसान और कोरी जैसे खाने के कई अड्डे हैं जिनमें लजीज़ खाना मिल जाता है. यहां अच्छे से अच्छे होटल में दो-तीन लोगों के लिए 400-1000 रुपए में पेटभर के खाना मिल जाएगा.

इन सारी जगहों की खास बात इनके खाना परोसने का ढंग है. उदाहरण के लिए अगर आप किमबाब खाते हैं. किमबाब सुशी और कबाब से मिलती जुलती डिश है जो वेज-नॉनवेज दोनों हो सकती है. किमबाब के साथ आपको 6-7 तरह की साइड डिश मिलती हैं. इसी तरह से कई डिश ऐसी हैं जिनमें आपको आधा तैयार किया हुआ खाना सर्व किया जाता है. आप इसे टेबल पर दोस्तों के साथ बार्बेक्यू पर पका सकते हैं. यकीन मानिए ये बहुत मजेदार तरीका है.

यहां की सारे होटल, रेस्ट्रां और दुकानों पर बाकी दिल्ली से अलग माहौल मिलता है

शॉपिंग की बात करें तो यहां से कुछ चीज़ें बिलकुल खरीदने लायक हैं. एक तो चीनीमिट्टी के जैसे बर्तन आपको यहां मिलेंगे वैसे बाहर शायद बहुत महंगे मिलें. इसके अलावा तिब्बतियन शर्ट, शोपीस, गहनों जैसा काफी कुछ अलग मिलेगा. सबसे खास चीज़ अगरबत्तियां और परफ्यूम हैं. यहां आपको गांजे के फ्लेवर वाली अगरबत्ती मिलेगी. जिसके बेचने वाले दावा करते हैं कि इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है. अफीम का सेंट मिलेगा. इसमें भी शायद 'मदहोश' करने वाली महक आती हो.

कैसे पहुंचें

दिल्ली मेट्रो के विश्विद्यालय या कश्मीरी गेट से आपको यहां के लिए रिक्शा, ऑटो मिल जाएगा. अगर अपनी गाड़ी से हैं तो मजनूं का टीला गुरुद्वारा यहां का सबसे मशहूर लैंडमार्क है. हां व्हील चेयर इस्तेमाल करने वालों के लिए मार्केट से अंदर तक पहुंचना थोड़ा सा मुश्किल है.

इन बातों का ध्यान रखें

ज्यादातर जगहों पर कार्ड या डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं है, इसलिए यहां पर्याप्त कैश के साथ जाएं. इस जगह की संकरी गलियों और आस-पास के माहौल के चलते लंच के समय जाना बेहतर रहेगा. यहां के लोग काफी मिलनसार और मदद करनेवाले हैं. आप भी नॉर्थईस्ट, चीन और उनसे जुड़े हुए नस्लीय कमेंट, बातों चुटकुलों से बचें. यहां के खाने के मसाले भारतीय स्वाद से थोड़ा अलग हैं तो इसके लिए तैयार रहें.