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महमूद: उनके पास गाड़ियां थीं, बंगले थे, बैंक बैलेंस था, लेकिन....

ड्रामे के साथ शुरू हुई महमूद की कॉमेडी की कहानी ट्रैजेडी पर खत्म हो गई

Shailesh Chaturvedi

दो फिल्मों के सीन हैं. दोनों महमूद की फिल्में हैं. उन्हीं पर ये सीन फिल्माए गए हैं. ये दो सीन महमूद की पूरी जिंदगी बयां कर देते हैं. पहली फिल्म प्यार किए जा. उसमें महमूद फिल्म बनाना चाहते हैं और अपने पिता ओमप्रकाश को फिल्म का सीन समझा रहे हैं. महमूद जिस तरह का डरावना माहौल बनाते हैं और ओमप्रकाश जिस तरह की एक्टिंग करते हैं, वो यकीनन भारतीय सिनेमा के बेहतरीन कॉमिक सीन में गिना जाएगा.

दूसरी फिल्म है कुंवारा बाप. महमूद ने फिल्म बनाई थी. इसमें अनाथ बच्चे की कहानी है. उस बच्चे को लोरी सुनाते महमूद के चेहरे पर झलकती विवशता ऐसी थी, जिस पर बड़े-बड़े कलाकार रश्क करें. सोचें कि काश ये सीन मैंने किया होता.


दरअसल, इन दो सीन की कहानी है महमूद की. खिलंदड़, प्लेबॉय, बेहतरीन कॉमेडियन..  ऐसे कि शम्मी कपूर जैसे कलाकार उनके साथ फिल्म करने से कतराने लगे थे. ऐसा खुद महमूद ने कहा है. उसके बाद वो दौर, जब महमूद विवश थे. बेचारगी थी.

एक इंटरव्यू याद आता है. इसमें महमूद रो रहे थे. वो बता रहे थे कि उन्हें पत्नी और रिश्तेदारों ने किस तरह धोखे दिए हैं. उनके सारे पैसे खत्म हो गए. वो विवशता, वो बेचारगी भी सच्चाई है. और ये भी सच्चाई है कि महमूद अपने समय के तमाम सुपर स्टार्स से बड़े थे. उन्हें हीरो से ज्यादा पैसे मिलते थे. उन्हें देखने के लिए लोग मर-मिटने को तैयार होते थे. लड़कियां मरा करती थीं. उनके अनगिनत अफेयर थे. हनीफ जवेरी की किताब महमूद अ मैन ऑफ मैनी मूड्स में महमूद के हवाले से कहा गया है कि उनके बहुत से अफेयर थे. लेकिन उन्होंने कभी किसी को धोखा नहीं दिया.

किसी फिल्मी ड्रामा से कम नहीं थी उनकी जिंदगी

कलाकार मुमताज अली के बेटे महमूद का जन्म 1932 में हुआ था. उनकी जिंदगी किसी फिल्मी ड्रामा से कम नहीं रही. बचपन में ही वो घर से भाग रहे थे. उनकी मां ने पकड़ा और डांटते हुए कहा कि पता है, तुम्हारे शरीर पर जो कपड़े हैं, वो भी तुम्हारे अपने नहीं, बाप के दिए हुए हैं. इस पर महमूद सारे कपड़े उतारने लगे. जल्दी ही उन्होंने पैसे कमाना भी शुरू कर दिया. उन्होंने अंडे बेचने शुरू कर दिए. फिल्म किस्मत थी, जिसमें उन्होंने बाल कलाकार के तौर पर काम किया था.

मीना कुमारी की बहन से हुई थी महमूद की पहली शादी

महमूद की पहली शादी मीना कुमारी की बहन मधु से हुई थी. विनोद मेहता ने मीना कुमारी की बायोग्राफी में लिखा है कि मीना उनके घर में रहा करती थीं. वहां मीना कुमारी से मिलने तक पर काफी पाबंदियां थीं. हालांकि विनोद मेहता के मुताबिक महमूद इन सबसे अनजान थे. ये वो समय था, जब महमूद बड़ा कलाकार बनने की कोशिश कर रहे थे.

महमूद के लिए बड़ा मौका था 1958 में आई फिल्म परवरिश. इसमें वो कॉमेडियन नहीं थे. उन्होंने 1961 में फिल्म बनाई छोटे नवाब. आरडी बर्मन की वो पहली फिल्म थी. महमूद एसडी बर्मन को साइन करना चाहते थे. उनके पास वक्त नहीं था. जब उनकी ना सुनकर निराश महमूद उनके घर से निकलने वाले थे, तो उन्होंने एक चश्मा लगाए युवक को अंदर कुछ बजाते हुए सुना. महमूद ने सचिन दा से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये पंचम है. महमूद ने पंचम यानी आरडी बर्मन को फिल्म में संगीतकार बना दिया.

अमिताभ बच्चन के सुपरस्टार बनने की भविष्यवाणी की थी

ऐसा ही मौका उन्होंने अमिताभ बच्चन को भी दिया था. फिल्म थी बॉम्बे टु गोवा. गाना था – देखा ना हाय रे, सोचा ना... अमिताभ को डांस करना था. डांस उन्हें आता नहीं था. कुछ टेक हुए, जो बेहद खराब थे. अमिताभ रोने लगे. उन्होंने महमूद से कहा – भाईजान, मुझसे नहीं होगा. महमूद ने शूटिंग टाल दी और कहा कि जाओ, कुछ खा-पीकर आओ. अमिताभ जब चले गए, तब महमूद ने पूरी यूनिट से कहा कि ये जैसा भी डांस करेगा, सब ताली बजाएंगे.

अमिताभ लौटे. उन्होंने फिर सीन किया. पूरी यूनिट ने तालियां बजाईं. महमूद ने उन्हें गले से लगाते हुए कहा कि बहुत बढ़िया सीन था. महमूद ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उसके बाद तो लंबू रंग में आ गया. उसने बढ़िया डांस शुरू कर दिया. हमने पूरे गाने की शूटिंग खत्म की. फिर पहला हिस्सा शूट किया, जो उसने बहुत बकवास किया था, जिसके बाद हम सबने ताली बजाते हुए उसे गले से लगा लिया था.’

ये दोनों किस्से सिर्फ ये बताने के लिए थे कि टैलेंट की उन्हें कैसी पहचान थी. अमीन सायानी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अमिताभ के बारे में भविष्यवाणी की थी कि यह लड़का सबको पीछे छोड़ देगा. उन्होंने एक्टर के तौर पर जो किया, वो तो अपने आप में कमाल है ही. चाहे वो पड़ोसन हो, जिद्दी, गुमनाम, भूत बंगला, आंखें या आईएस जौहर के साथ उनकी फिल्में.

बेटे की बीमारी की वजह से बनाई फिल्म

इसी दौरान कुंवारा बाप भी आई. उनके बेटे को पोलियो था. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने फिल्म बनाई थी. बेटा हुआ था, तो बीमारी में उसे अस्पताल ले गए थे महमूद. वहां डॉक्टर ने बताया कि इसे पोलियो है. महमूद को पता नहीं था कि पोलियो क्या होता है. वहां डॉक्टर ने बुरी तरह डांटा था. महमूद ने वो सीन फिल्म में डाला. डॉक्टर का रोल संजीव कुमार ने किया था. फिल्म में बच्चे का रोल उनके उसी बेटे मैकी ने किया था.

खुद पर भगवान शिव का आशीर्वाद मानते थे महमूद

कुंवारा बाप महमूद के लिए कितनी खास थी, उसका अंदाजा लगाने के लिए एक किस्सा है. फिल्म रिलीज होने से पहले महमूद ने दुआ मांगी थी कि अगर फिल्म कामयाब हुई, तो वो वैष्णो देवी दर्शन के लिए जाएंगे. वो गए भी. उन्होंने उसके बाद की तमाम फिल्मों से हुई कमाई का बड़ा हिस्सा पोलियो मुक्ति अभियान में लगाया. महमूद खुद को शिव का आशीर्वाद मानते थे. इसीलिए तमाम फिल्मों में उनका नाम महेश था. आज के दौर में ये कहानी जानने की भी सख्त जरूरत है.

उनकी गाड़ी से गर्लफ्रेंड को इंप्रेस करने जाते थे अमिताभ!

महमूद के लिए शिखर का दौर था, जब एक के बाद एक उनके अफेयर के किस्से आने लगे. चाहे वो शुभा खोटे हों या अरुणा ईरानी.. यहां तक कि कई विदेशी महिलाओं के साथ भी उनके अफेयर रहे. मधु से अलग होने के बाद उन्होंने ट्रेसी से शादी की.

सब कुछ जैसे परीकथा की तरह चल रहा था. उनका घर हमेशा लोगों से भरा रहता था. एक समय पूरे खानदान के करीब 150 लोग उनके घर में रहते थे. एक से एक बेहतरीन गाड़ियां थीं. उनके पास 24 कार थीं. फिल्मफेयर के एक इंटरव्यू में महमूद के भाई अनवर अली ने बताया था कि अमिताभ बच्चन अपनी गर्लफ्रेंड को प्रभावित करने के लिए महमूद की ही कार लेकर जाते थे. लेकिन जिंदगी इतनी आसान हो, तो बात ही क्या है.

उन्हें दिल का दौरा पड़ा. उस वक्त वो पाव खा रहे थे. महमूद के मुताबिक दिन में करीब 100 सिगरेट पी जाते थे. उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था. रास्ते में उन्हें लगा कि अब डॉक्टर सिगरेट नहीं पीने देंगे. इसलिए एक सिगरेट एम्बुलेंस में पी.

ऐसी जिंदगी जीने वाले महमूद की हालत यह हो गई कि आखिरी वक्त पर वो बिल्कुल अकेले थे. बीमार महमूद के आसपास कोई नहीं था. महमूद के मुताबिक उनके अपने बच्चे भी नहीं. लोग कटने लगे थे. वो समय था, जब महमूद को लगता था कि हर कोई उन्हें धोखा दे रहा है. यहां तक कि अमिताभ बच्चन को भी उन्होंने एक तरह से धोखेबाज करार दे दिया. हालांकि अमिताभ ने कभी जवाब में कुछ नहीं कहा. आखिरी समय में अकेलेपन के साथ 23 जुलाई 2004 को पेनसिल्वेनिया में उनका निधन हो गया. ड्रामे के साथ शुरू हुई महमूद की कॉमेडी की कहानी ट्रैजेडी पर खत्म हो गई.