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फिल्म न्यूटन के रियल लाइफ हीरो से मिले हैं आप!

न्यूटन की तरह ही मंगल कुंजम भी अपनी ईमानदारी के चलते निशानी पर रहते हैं

FP Staff

हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म न्यूटन हर जगह से तारीफ बटोर रही है. फिल्म 2018 एकैडमी अवॉर्ड्स के लिए भारत की तरफ से आधिकारिक एंट्री भी होगी. दंडकारण्य के जंगलों में फैली नक्सल समस्या और उनके बीच चुनाव करवाने गए एक ईमानदार अधिकारी न्यूटन (राजुकमार राव) की इस काल्पनिक कहानी का एक सकारात्मक पहलू असल जिंदगी से भी जुड़ा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक 26 साल के मंगल कुंजम बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाके में पत्रकार हैं. कुंजम इकलौते ऐसे पत्रकार हैं जिन्हें फिल्म में दिखाया गया है. फिल्म में वो इंस्पेक्टर जनरल से सवाल पूछते हैं, "आप जिन माओवादियों का समर्पण करवाते हैं- फिर उन्हीं माओवादियों को बंदूक देकर उन्हीं से लड़वाते हैं..ऐसा क्यों?"


फिल्म के सेट पर मंगल कुंजम

2005 में जब माओवादियों से लड़ने के लिए सलवा जुडूम आंदोलन शुरू हुआ था तो 6000 से ज्यादा सरेंडर कर चुके माओवादियों को स्पेशल पुलिस फोर्स ऑफिसर बनाया गया था. 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स को असिस्टेंट कॉन्सटेबल की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा.

फिल्म के नायक न्यूटन की तरह ही कुंजम भी अपनी ईमानदारी के चलते निशाने पर रहते हैं. एक तरफ फेक इन्काउंटर की रिपोर्ट करने पर सुरक्षाबल उनको माओवाद समर्थक कह चुके हैं.

फिल्म की यूनिट ने कुंजम से पहले इलाके से जुड़ी रिसर्च के लिए संपर्क किया था. बाद में वो फिल्म का हिस्सा भी बने. फिल्म में जो सवाल उन्होंने पूछा है वो भी अपनी मर्जी से पूछा है.