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मजरूह सुल्तानपुरी: एक हकीम जिसे इश्क ने शायर बना दिया

कुंदन लाल सहगल से आमिर खान के लिए सुपरहिट गाने लिखने वाले ये इकलौते गीतकार हैं

FP Staff

मजरूह सुल्तानपुरी की बात करते हुए जो बात सबसे पहले दिमाग में आती है वो है उनकी अलग-अलग जॉनर में लिख लेने की बड़ी क्षमता.

जो आदमी फैज़ की नज्म का मिसरा लेकर 'तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है' से लेकर 'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' तक हर दौर में हिट गाने दिए हैं. वो शायद इकलौते है्ं जो कुंदन लाल सहगल से लेकर आमिर खान के लिए सुपर हिट गाने लिख चुके हैं.


उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पैदा हुए मजरूह का खानदान पुरानी सोच का था. बचपन में उनके लिए तय किया गया कि मजरूह मौलाना बनेंगे. मगर मजरूह मदरसे में फुटबॉल खेलने लगे. जिसके चलते उनके ऊपर फतवा जारी हो गया इसके बाद वो हकीम बनने की बात सोचने लगे.

मजरूह ने हकीमी की तालीम ली और फैज़ाबाद में प्रैक्टिस करने लगे. मगर कुछ दिनों बाद ही फैजाबाद में किसी लड़की से इश्क हो गया. जैसा कि शायरों के साथ अक्सर होता है. इश्क मुकम्मल नहीं हुआ और हकीमी छूट गई शायरी शुरू हो गई. मजरूह सुल्तानपुर वापस आ गए.

जिगर मुरादाबादी की संगत में नौजवान मजरूह मुशायरों में पढ़ने लगे. ऐसे ही मुशायरे में उन्हें 'शाहजहां' फिल्म के लिए गीत लिखने का मौका मिला. इसके साथ मजरूह सुल्तानपुरी का कुंदन लाल सहगल के लिए गीत लिखने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अकेले हम, अकेले तुम जैसी म्यूजिकल हिट तक चला.

मजरूहग साहब ने हर दौर के हिसाब से लिरिक्स लिखी हैं. अगर वो न तुम हमें जानों न हम तुम्हें जानें जैसा क्लासिक गीत लिखते हैं तो उनके खाते में 70 के रॉक एंड रोल मिजाज़ वाले चांद मेरा दिल और बचना ऐ हसीनों भी हैं. 90 के पाकिस्तान से कॉपी करने के कल्चर में मजरूह साहब के गाने आज भी ठंडी हवा के झोंके की तरह हैं.

उनके जन्मदिन पर सुनते हैं उनकी कलम से निकले कुछ बेहतरीन कलाम:

गम दिए मुस्तकिल

दे दो मेरा पांच रुपइया बारह आना

चुरा लिया है तुमने जो दिल को

पहला नशा पहला खुमार