view all

कुमार सानू: 90 के दशक को कल्ट बना देने वाले गायक

कुमार सानू के जैसी लोकप्रियता कुछ मायनों में किसी दूसरे गायक को नहीं मिल पाई

Animesh Mukharjee

मुंबई में समुंदर किनारे एक ‘आशिकी’ नाम का बंगला है. बंगला किसका है नाम से अंदाजा लगा सकते हैं. कुमार सानू अपने घर को इससे बेहतर नाम नहीं दे सकते थे. आशिकी ने न सिर्फ कुमार सानू को 90 के दशक का सिंगिंग कल्ट बनाया, खुद 90 का दशक अपने आप में एक कल्ट बन गया है.

90 के दशक का संगीत कई कारणों से अनूठा है. रफी, किशोर और मुकेश के अचानक गुजर जाने के बाद जो जगह खाली हुई थी उसे मोहम्मद अजीज़, शैलेंद्र सिंह, विजय बेनेडिक्ट भरने का असफल प्रयास कर रहे थे. ऐसे में टी-सीरीज़ के गुलशन कुमार ने कॉपीराइट कानून की खामियों का फायदा उठाकर रफी, किशोर और मुकेश के गाने सोनू निगम, कुमार सानू और बाबला मेहता से गवाने शुरू किए.


कुमार सानू हालांकि 1986 में ही प्लेबैक सिंगर के तौर पर करियर का आगाज कर चुके थे, मगर 1990 की फिल्म आशिकी ने हिंदुस्तान में एक नया दौर शुरू कर दिया. कुमार सानू की लोकप्रियता और सफलता का आलम ये था कि लगातार पांच फिल्मफेयर जीतने वाले वो एकमात्र गायक हैं.

15 रुपए की कैसेट में अलग-अलग गाने भरवा लिए जाते थे और टैम्पो, पान की दुकानों और तमाम छोटे कारखानों में साइड ए, साइड बी करते हुए, घिस जाने तक बजाए जाते थे. इन फिल्मों के ज्यादातर गीत पाकिस्तान के सुपरहिट गानों की सीधी कॉपी हैं जिनमें कठिन उर्दू को बदल कर हिंदी कोई शब्द रख दिया जाता था.

ये फॉर्मूला इतना सफल था कि सिर्फ गानों की कमाई से फिल्म का बजट रिकवर हो जाता था. गुलशन कुमार ने कई फिल्में सिर्फ गानों को जगह देने के लिए बनाईं. जिनमें न कोई कहानी थी न कोई निर्देशन, हीरो भी अक्सर अपना भाई ही होता था.

इसे कुमार सानू के स्टाइल का खौफ ही कहेंगे कि उस दौर में जो भी दूसरी तरह का संगीत आया, इंडी पॉप के एल्बम के जरिए ही आया. हिंदुस्तान में इंडीपॉप कल्चर के सफल होने का एकमात्र दौर भी यही है.

इस सफलता के पीछे एक खतरा भी था जिसे नजरअंदाज किया गया. कुमार सानू के नाम एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करवाने का कीर्तिमान है. ये बात सुनने में अच्छी लगती है पर 24 घंटे के दिन में 28 गानों में गायकी पर कितना असर पड़ा होगा सोच सकते हैं.

सफलता का ये दौर चल ही रहा था कि दो घटनाएं हुईं. एक तरफ इंडस्ट्री में एआर रहमान का पदार्पण हुआ जिन्होंने संगीत में टेक्नॉलजी और अकॉस्टिक्स को आमूल-चूल तरीके से बदल दिया. इसी के साथ गुलशन कुमार की हत्या के सदमे से उबर रही टी-सीरीज़ ने रीमिक्स को पैसे कमाने का सस्ता और सरल तरीका बना लिया.

कुमार सानू गायन में आज भी सक्रिय हैं मगर स्टारडम का वो दौर अब उनके साथ नहीं है. इस दुखद सत्य के साथ एक और सच भी है कि कुमार सानू शायद इस तरह का कल्ट स्टारडम पाने वाले आखिरी गायक हैं.

सुनिए उनके कुछ चुनिंदा गाने.